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गुलियन-बैरे सिंड्रोम और BBE

  • 03 Feb 2025
  • 2 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

पुणे में बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस (BBE) का मामला सामने आया, जो गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का एक दुर्लभ प्रकार है।

  • GBS: यह तंत्रिका संबंधी दुर्लभ विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS) (माँसपेशियों की गति और संवेदी कार्यों को नियंत्रित करती है) पर हमला करती है।
    • लक्षण: शरीर में हल्की कमज़ोरी से लेकर गंभीर पक्षाघात तक, जिसमें श्वसन में कठिनाई भी शामिल है।
    • उपचार: GBS का कोई ज्ञात उपचार नहीं है। स्वस्थ रक्तदान से प्राप्त अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) से इस विकार से रिकवरी में सहायता मिल सकती है।
  • BBE: यह एक दुर्लभ, तेज़ी से बढ़ने वाला, संक्रमण के बाद होने वाला तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसके कारण मस्तिष्क स्तंभ में सूजन आ जाती है।
    • लक्षण: श्वास संबंधी संक्रमण अथवा अतिसार, गतिभ्रंश (Ataxia)(माँसपेशियों पर नियंत्रण करने में अक्षमता), नेत्र पक्षाघात (नेत्र की माँसपेशियों का पक्षाघात), और अंगों में कमज़ोरी।
    • उपचार: इस स्थिति के उपचार के लिये प्रायः IVIG का उपयोग किया जाता है।
  • BBE और GBS: BBE केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को प्रभावित करता है, जबकि GBS PNS को प्रभावित करता है।
    • BBE संक्रमण के बाद स्वप्रतिरक्षी अनुक्रिया (शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वयं से ही ऊतकों पर आक्रमण) के कारण होता है, जबकि GBS संक्रमण, टीकाकरण या सर्जरी के कारण होता है।
  • पूर्वोपाय: BBE और GBS के पूर्वोपायों में फ्लू का टीका लगवाना, स्वच्छता का ध्यान रखना तथा कमज़ोरी अथवा संवेदनशून्यता जैसे तंत्रिका संबंधी लक्षणों के लिये तत्काल चिकित्सा सहायता लेना शामिल है।

और पढ़ें: गुलियन बैरे सिंड्रोम

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