भारत में ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन प्रदूषण | 13 Aug 2024

स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों ? 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन ने भारत के प्रमुख शहरों में ग्राउंड-लेवल ओज़ोन (O3) के गंभीर स्तर की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

  • इस अध्ययन के निष्कर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करते हैं, विशेष रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं वाले व्यक्तियों के लिये।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • प्रमुख शहरों में उच्च ओज़ोन अतिक्रमण: दिल्ली-NCR में 1 जनवरी से 18 जुलाई 2023 के बीच ग्राउंड लेवल ओज़ोन अतिक्रमण के 176 दिन दर्ज़ किये गए, जो सूची में सबसे ऊपर है। मुंबई और पुणे में 138 दिन और जयपुर में 126 दिन का अतिक्रमण रहा।
    • अपेक्षाओं के विपरीत, कई शहरों में सूर्यास्त के बाद ओज़ोन का स्तर उच्च रहा, मुंबई में 171 रातों में ओज़ोन का स्तर अधिक रहा, जबकि दिल्ली-NCR में 161 रातों में ओज़ोन का स्तर अधिक रहा।
    • पिछले वर्ष की तुलना में, दस में से सात शहरों में ओज़ोन का स्तर बढ़ा, अहमदाबाद में 4,000% की वृद्धि हुई, उसके बाद पुणे में 500% की वृद्धि हुई और जयपुर में 152% की वृद्धि हुई।
  • मानक और मापन मुद्दे: ओज़ोन के लिये दो मानक हैं- 8 घंटे के औसत हेतु 100 µg/m³ और एक घंटे हेतु 180 µg/m³।
    • इस अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डेटा को 200 µg/m³ पर सीमित करता है, जिससे उल्लंघन की गंभीरता का पूरी तरह से आकलन करना मुश्किल हो जाता है।
  • स्वास्थ्य जोखिम: ग्राउंड-लेवल ओज़ोन के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जिसमें सीने में दर्द, खाँसी, ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति एवं अस्थमा शामिल हैं और फेफड़ों में सूजन व क्षति भी हो सकती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
  • हरित क्षेत्र सर्वाधिक कुप्रभावित: उच्च-स्तरीय, हरे-भरे परिवेश ग्राउंड-लेवल ओज़ोन के हॉटस्पॉट पाए गए, जो इस धारणा पर प्रश्न खड़े करता है कि ये क्षेत्र वायु गुणवत्ता के मामले में सुरक्षित हैं।
    • ओज़ोन आमतौर पर स्वच्छ क्षेत्रों में एकत्र होता है, जहाँ इसके साथ अभिक्रिया करने के लिये कम गैसीय प्रदूषक उपलब्ध होते हैं।
  • व्युत्क्रमिक स्थानिक वितरण: अध्ययन में पाया गया कि ओज़ोन का स्थानिक वितरण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) से व्युत्क्रमिक रूप से संबंधित है। जबकि ओज़ोन प्रदूषित क्षेत्रों में बनता है, लेकिन कम NO2 वाले क्षेत्रों की ओर इसका प्रवाह और संचय होता है, जिससे ये क्षेत्र उच्च ओज़ोन सांद्रता के प्रति अधिक सुभेद्य हो जाते हैं।

ग्राउंड-लेवल ओज़ोन क्या है?

  • परिचय: ग्राउंड-लेवल ओज़ोन या क्षोभमण्डलीय ओज़ोन, एक द्वितीयक प्रदूषक है जो तब बनता है जब वाहनों, उद्योगों एवं विद्युत ऊर्जा संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया करते हैं, विशेषकर गर्मियों के दौरान इसका स्तर बढ़ जाता है। यह पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर बनने वाली एक रंगहीन गैस है।
    • समताप मंडल में लाभकारी ओज़ोन परत के विपरीत, जो पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाती है, ग्राउंड-लेवल ओज़ोन एक हानिकारक वायु प्रदूषक है, जिसे प्रायः ‘बैड ओज़ोन’ कहा जाता है।
    • बढ़ते तापमान, विशेषकर हीट-वेव्स के दौरान, ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन परत के निर्माण को खराब कर देते हैं, जिसके कारण नई दिल्ली जैसे शहरों में वायु की गुणवत्ता खतरनाक हो जाती है, जिससे ओजोन का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक हो जाता है।
  • प्रभाव: विश्व स्तर पर ओज़ोन के कारण होने वाली मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें भारत सहित दक्षिण एशिया में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। अनुमानों से पता चलता है कि अगर इसके पूर्ववर्ती गैसों के उत्सर्जन को पर्याप्त रूप से नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो वर्ष 2050 तक भारत में दस लाख से अधिक मौतें ओज़ोन के संपर्क में आने से हो सकती हैं।  ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन फसल के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है, जिससे पैदावार और बीज की गुणवत्ता कम हो जाती है। गेहूँ और चावल जैसी आवश्यक फसलें, जो भारत में मुख्य खाद्यान्न हैं, विशेष रूप से ओज़ोन प्रदूषण के प्रति संवेदनशील हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा है।
  • भारत के लिये चिंताएँ: विश्व के 15 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 10 भारतीय शहर हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देश एवं वायु-गुणवत्ता मापदंड के अनुसार नहीं हैं।
    • खराब वायु गुणवत्ता, बढ़ता तापमान और लगातार गर्म लहरें भारत को ज़मीनी स्तर के ओज़ोन के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाती हैं।
    • देश की बढ़ती और वृद्ध होती जनसंख्या ओज़ोन प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों से लगातार खतरे में है, तथा अधिक लोगों के इस प्रदूषक के संपर्क में आने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बोझ बढ़ने की संभावना है।
  • ग्राउंड-लेवल ओज़ोन को कम करने में चुनौती: अन्य वायु प्रदूषकों के विपरीत, ग्राउंड-लेवल ओज़ोन एक चक्रीय रासायनिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। पूर्ववर्ती गैसों (NOx व VOCs) को कम करने से ओज़ोन के स्तर में कमी नहीं आती है और यदि स्थितियों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित नहीं किया जाता है तो ओज़ोन वायुमंडल में लंबे समय तक रह सकती है, जिससे लंबे समय तक जोखिम बना रहता है।
    • दिल्ली की तरह वायु गुणवत्ता निगरानी का विस्तार करने तथा अलर्ट लागू करने से जनता और उद्योगों को यह सूचित करके ओज़ोन प्रदूषण को कम करने में सहायता मिल सकती है कि उन्हें कब निवारक कार्रवाई करनी है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2.  मीथेन
  3. ओज़ोन
  4. सल्फर डाइऑक्साइड

फसल/बायोमास अवशेषों के जलने से उपर्युक्त में से कौन-से वातावरण में उत्सर्जित होते है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)