ग्रीन डिपॉज़िट | 23 Dec 2024
स्रोत: बिज़नेस लाइन
भारत में मूल्य निर्धारण संबंधी मुद्दों, लोगों की अपर्याप्त सहभागिता और निजी बैंकों की सीमित रुचि के कारण ग्रीन डिपॉज़िट के स्वीकरण की गति मंद है।
- ग्रीन डिपॉज़िट: ये सौर ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन और सतत् जल प्रबंधन जैसी हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये निर्धारित ब्याज़-युक्त जमा राशि हैं।
- जून 2023 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने स्थायी निवेश को बढ़ावा देने के लिये ग्रीन डिपॉज़िट हेतु एक रूपरेखा तैयार की।
- हालाँकि, SBI जैसे बैंकों में इसको लेकर सीमित रुचि देखी गई है, क्योंकि उनकी ब्याज़ दरें नियमित जमाओं के मुकाबले प्रतिस्पर्द्धी नहीं हैं।
- जून 2023 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने स्थायी निवेश को बढ़ावा देने के लिये ग्रीन डिपॉज़िट हेतु एक रूपरेखा तैयार की।
- ग्रीन डिपॉज़िट संबंधी चुनौतियाँ: नियमित जमा की तुलना में ग्रीन डिपॉज़िट पर कम ब्याज़ दरें ग्राहकों को हतोत्साहित करती हैं।
- बैंकों को यह परिभाषित करने में कठिनाई होती है कि कौन सी गतिविधियाँ "हरित" मानी जाएंगी तथा हरित निवेश के लिये स्पष्ट रूपरेखा का भी अभाव है।
- ग्रीन डिपॉज़िट के लिये आरक्षित नकदी निधि अनुपात (CRR) की आवश्यकता अधिक है, जो अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने में बाधा बन सकती है।
- ग्रीन डिपॉज़िट के प्रति भारत की प्रतिबद्धता: भारत का लक्ष्य वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता लक्ष्यों की पूर्ति करना है तथा इस परिवर्तन में हरित वित्त महत्त्वपूर्ण होगा।
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