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गोल्डन लंगूर

  • 15 Jan 2025
  • 6 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

असम में राष्ट्रीय राजमार्ग 117 पर एक दुर्घटना में एक गोल्डन लंगूर की मौत हो गई, जिससे इस प्रजाति पर बढ़ते खतरे पर प्रकाश पड़ता है। 

Golden_Langur

गोल्डन लंगूर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वर्गीकरण और खोज:
    • प्रजाति का नाम: ट्रैकिपिथेकस गीई
    • फैमिली: सेरकोपिथेसिडी (प्राचीन बंदर)।
    • सबफैमिली: कोलोबिना (पत्ती खाने वाले बंदर)।
    • खोजकर्त्ता: ई.पी. गी, 1953; औपचारिक रूप से इसका वर्णन खजूरिया द्वारा वर्ष 1956 में किया गया।
  • भौगोलिक विस्तार: गोल्डन लंगूर विशेष रूप से असम, भारत और पड़ोसी भूटान में पाए जाते हैं।
    • ये भूटान (उत्तर) की तलहटी, मानस नदी (पूर्व), संकोश नदी (पश्चिम) और ब्रह्मपुत्र नदी (दक्षिण) से घिरे एक सीमित क्षेत्र में मिलते हैं।
  • आवास: समुद्र तल से लेकर 3,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर उपोष्णकटिबंधीय एवं समशीतोष्ण चौड़े पत्ते वाले वन इनके आवास स्थल हैं।
  • भौतिक विशेषताएँ:
    • रंग: सुनहरा-नारंगी फर। कोट का रंग मौसम के साथ बदलता है (गर्मियों में क्रीम, सर्दियों में गहरा सुनहरा)।
    • चेहरे की विशेषताएँ: काले बाल रहित चेहरे पर हल्की दाढ़ी; सिर के ऊपर सुरक्षात्मक बालों का गुच्छा रहता है।
    • लैंगिक द्विरूपता: नर, मादाओं की तुलना में बड़े एवं अधिक मज़बूत होते हैं।
  • व्यवहार: ये दिन के दौरान सक्रिय (दिनचर) रहते हैं और मुख्यतः इनका वासस्थल वृक्ष होते हैं।
    • गोल्डन लंगूर का वास 3 से 15 के समूह में होता है जिसमें प्रायः एक नर के साथ अनेक लंगूर मादाएँ अथवा यदा कदा सभी नर होते हैं।
  • भौगोलिक भिन्नता: ऐसा माना जाता है कि गोल्डन लंगूर के फर के रंग के आधार पर दो उप-प्रजातियाँ हैं, जो हैं Trachypithecus geei bhutanensis (उत्तरी भूटान) और Trachypithecus geei geei (दक्षिणी भूटान और भारत)।
  • खतरे: खंडित आवास गोल्डन लंगूरों के लिये एक बड़ा खतरा हैं, क्योंकि इन लंगूरों की समष्टि अलग-अलग समूहों में विभाजित है। 
    • इन खंडित क्षेत्रों में निष्प्रजननीय नर समूहों (जिसमें पूर्णतः नर लंगूर होते हैं) की अनुपस्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि इससे प्रजातियों के दीर्घकालिक अस्तित्व पर प्रभाव पड़ सकता है। 
    • सड़क निर्माण, वनों की कटाई, तथा लोगों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण यह आवास विखंडन बढ़ रहा है।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN रेड लिस्ट में गोल्डन लंगूर को संकटापन्न के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और इसे  वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) परिशिष्ट I के तहत संरक्षित किया गया है।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (अब वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022) के अंतर्गत  गोल्डन लंगूर को अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है, जिससे इनके लिये उच्चतम संरक्षण उपाय सुनिश्चित होता है।
  • संरक्षण उपाय:  खंडित आवासों को जोड़ने के लिये गलियारों का निर्माण किया जाना चाहिये, जिससे आनुवांशिक विविधता में सुधार हो और इनका आवागमन सुविधाजनक हो। 
    • सुरक्षित आवागमन के लिये कैनोपी पुलों का निर्माण किया जाना चाहिये। गोल्डन लंगूर के आवास पर मानवीय प्रभावों को संबोधित करने के लिये दीर्घकालिक संरक्षण रणनीतियों की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राणी समूह संकटापन्न जातियों के संवर्ग के अंतर्गत आता है? (2012)

(a) महान भारतीय सारंग, कस्तूरी मृग, लाल पांडा और एशियाई वन्य गधा।
(b) कश्मीर महामृग, चीतल, नील गाय और महान भारतीय सारंग।
(c) हिम तेंदुआ, अनूप मृग, रीसस बंदर और सारस (क्रेन)
(d) सिंहपुच्छी मेकाक, नील गाय, हनुमान लंगूर और चीतल

उत्तर: (a) 

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