भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी में वृद्धि | 22 Apr 2025
स्रोत: बिज़नेस लाइन
विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण की हिस्सेदारी वर्ष 2019 के 6.7% से लगभग दोगुनी होकर फरवरी 2025 तक 12% हो गई है।
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अप्रैल 2025 में बढ़कर 677.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसका कारण FCA में 892 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तथा स्वर्ण भंडार में 638 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होना है, जबकि SDRs में 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है।
विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिज़र्व):
- विदेशी मुद्रा: विदेशी मुद्रा भंडार का आशय किसी केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित रखी गई परिसंपत्तियों से हैं। इसमें बैंक नोट, जमाएँ, बॉण्ड, ट्रेज़री बिल तथा अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं, जो आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में मूल्यवर्गित होती हैं।
- ये भुगतान संतुलन (BoP) का एक प्रमुख घटक है।
- भारतीय रिजर्व बैंक, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है तथा इसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से यह अधिकार प्राप्त है।
- उद्देश्य: यह बाह्य भुगतान आवश्यकताओं को पूरा करने और राष्ट्रीय मुद्रा को स्थिर करने में सहायक है।
- ये भंडार वैश्विक वित्तीय असंतुलन के दौरान बफर के रूप में भी कार्य करता है जिससे मौद्रिक नीतियों में विश्वास सुनिश्चित होता है।
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटक:
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA): सबसे अधिक हिस्सेदारी
- स्वर्ण भंडार: दूसरी सबसे अधिक हिस्सेदारी
- विशेष आहरण अधिकार (SDR):
- यह एक मुद्रा नहीं है, बल्कि इसका मूल्य 5 प्रमुख मुद्राओं की एक टोकरी द्वारा निर्धारित होता है: अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीन की रेनमिनबी, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग।
- IMF के पास आरक्षित स्थिति:
- यह मुद्रा के आवश्यक कोटे का एक हिस्सा है, जिसे प्रत्येक सदस्य देश को IMF को प्रदान करना होता है।
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