जादुई मशरूम: गैनोडर्मा ल्यूसिडम | 07 Apr 2022
हाल ही में व्यापार और आजीविका के लिये लकड़ी के लट्ठों और बुरादे पर खेती करके गैनोडर्मा ल्यूसिडम (जादुई मशरूम) को लोकप्रिय बनाने हेतु वैश्विक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
जादुई मशरूम के बारे में:
- यह मधुमेह, कैंसर, सूजन, अल्सर के साथ-साथ बैक्टीरिया और त्वचा के संक्रमण जैसी बीमारियों को ठीक करने हेतु सदियों में उपयोग किया जाने वाला एक औषधीय मशरूम है।
- हालांँकि भारत में इस कवक अर्थात् जादुई मशरूम /गैनोडर्मा ल्यूसिडम की क्षमता का अभी भी पता लगाया जा रहा है।
- इसे दुनिया में सबसे महत्त्वपूर्ण औषधीय मशरूम में से एक माना जाता है क्योंकि इसके रासायनिक घटक में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं।
- इसे "अमरता का मशरूम" (Mushroom Of Immortality), "आकाशीय जड़ी-बूटी" (Celestial Herb) और "शुभ जड़ी-बूटी" (Auspicious Herb) जैसे उपनाम दिये गए हैं। इसे विश्व स्तर पर "लाल ऋषि मशरूम" (Red Reishi Mushroom) के रूप में भी जाना जाता है।
- इस मशरूम के उपयोग के बारे में जानकारी 5,000 साल पहले के चीन के इतिहास में मिल सकता है। इसका उल्लेख जापान, कोरिया, मलेशिया और भारत जैसे देशों के ऐतिहासिक एवं चिकित्सा अभिलेखों में भी मिलता है।
- सामान्य मशरूम के विपरीत इस मशरूम की खासियत यह है कि यह केवल लकड़ी या लकड़ी पर आधारित सब्सट्रेट (Substrate) पर उगता है।
- यह गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से पनपता है तथा उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों के मिश्रित जंगलों में अधिमानतः बढ़ता है।
- इसमें 400 से अधिक रासायनिक घटक शामिल होते है, जिनमें ट्राइटरपेन, पॉलीसेकेराइड, न्यूक्लियोटाइड, अल्कलॉइड, स्टेरॉयड, अमीनो एसिड, फैटी एसिड और फिनोल शामिल हैं।
- ये इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory), एंटी-हेपेटाइटिस, एंटी-ट्यूमर, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV), एंटी-मलेरियल, हाइपोग्लाइकेमिक (Hypoglycaemic) और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे औषधीय गुण प्रदर्शित करते हैं।
- दवाओं के अलावा गैनोडर्मा ल्यूसिडम का उपयोग चाय, कॉफी, एनर्जी सप्लीमेंट, हेल्थ बूस्टर, पेय पदार्थ, पकी हुई सामग्री और एंटी-एजिंग सौंदर्य प्रसाधन जैसे उत्पादों के निर्माण के लिये एक आधार सामग्री के रूप में भी किया जाता है।
भारत में इसकी खेती का दायरा क्या है?
- इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन चीन, जापान, कोरिया, मलेशिया, थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका देशों तक सीमित है।
- गैनोडर्मा के बारे में जागरूकता फैल रही है तथा इस मशरूम की मांग ने भारत सहित कई देशों को बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने और इसके उत्पादों के निर्माण के लिये प्रेरित किया है।
- भारत एक ऐसा देश है जहाँ अधिकांश आबादी मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है और यहाँ इस मशरूम की खेती करने की काफी संभावनाएँ हैं।
- इसे घर के अंदर उगाया जा सकता है और इस प्रकार यह चरम मौसम की स्थिति, मानव-वन्यजीव संघर्ष, कठोर स्थलाकृति व खराब मिट्टी की स्थिति के प्रभावों से सुरक्षित है।
- वर्तमान में भारत में मशरूम अधिकतर प्रयोगशाला अनुसंधान तक ही सीमित है। हालाँकि विभिन्न भारतीय संगठनों द्वारा इसकी खेती के लिये कुछ सफल प्रयास किये गए हैं।
- इसकी खेती देश में लकड़ी के लट्ठों पर की जाती है।
- इसमें आजीविका सृजन की अपार संभावनाएँ हो सकती हैं, लेकिन इस संबंध में कुछ चुनौतियाँ भी हैं।
- ‘गनोडर्मा ल्यूसिडम’ के सूखे फल या कच्चे पाउडर को 4,000-5000 रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचा जा सकता है।