सामाजिक न्याय
मलेरिया-रोधी दवा प्रतिरोध
- 04 Oct 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:मलेरिया, एचआईवी, उत्परिवर्तन, विश्व स्वास्थ्य संगठन मेन्स के लिये:मलेरिया दवा प्रतिरोध संबंधित खतरे एवं मलेरिया से संबंधित कार्यक्रम |
चर्चा में क्यों?
हाल के वर्षों में मलेरिया के खिलाफ उपयोग की जाने वाली मलेरिया-रोधी दवाओं के प्रतिरोध (AMR) या एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के परिणामों में वृद्धि देखी गई है।
- यह प्रतिरोध दवा (आर्टीमिसिनिन या क्लोरोक्वीन,Artemisinin or Chloroquine) के अकेले या अन्य दवाओं के साथ इलाज के दौरान परिलक्षित हुई है।
प्रमुख बिंदु
- दवा प्रतिरोधक क्षमता:
- इसे केवल रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं (जैसे- बैक्टीरिया या वायरस) की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो आमतौर पर उन्हें नष्ट करने वाली दवाओं की उपस्थिति के बावजूद वृद्धि जारी रखते हैं।
- दवा प्रतिरोध का आशय किसी बीमारी या स्थिति को ठीक करने के लिये ली जाने वाली दवा की प्रभावशीलता में कमी करने से है।
- उदाहरण: एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) के साथ, दवा प्रतिरोध वायरस की आनुवंशिक संरचना में उत्परिवर्तन के कारण होता है। इस उत्परिवर्तन से कुछ एचआईवी प्रोटीन और एंजाइम (जैसे, प्रोटीन एंजाइम) में परिवर्तन होता है जो एचआईवी को दोहराने में मदद करता है।
- AMR के कारक:
- उत्परिवर्तन (Mutation):
- मलेरिया परजीवी में उत्परिवर्तन आर्टीमिसिनिन के आंशिक प्रतिरोध के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- 2010-2019 तक वैश्विक स्तर पर किये गए 1,044 अध्ययनों ने PfK13 उत्परिवर्तन की पुष्टि की।
- अपर्याप्त कवरेज:
- मलेरिया-रोधी दवाओं की अपूर्ण कवरेज, अनुचित निदान, दवाओं का दुरुपयोग और मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों की विफलता की रिपोर्ट आदि को इन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध पैदा करने वाले प्रमुख योगदान कारकों के रूप में उद्धृत किया गया था।
- इन विफलताओं से मलेरिया परजीवियों का दवाओं के प्रति जोखिम बढ़ जाता है, जिससे दवा प्रतिरोध के खतरे में वृद्धि होती है।
- उत्परिवर्तन (Mutation):
- चिंताएँ:
- क्लोरोक्वीन (CQ) पी विवैक्स परजीवी के कारण होने वाले मलेरिया में सबसे अधिक दी जाने वाली दवा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी WHO में शामिल देश से क्लोरोक्वीन के लिये पी विवैक्स प्रतिरोध की सूचना प्राप्त हुई थी।
- भारत सहित 28 देशों में CQ प्रतिरोध के मामले देखे गए हैं।
- व्यापक स्तर पर प्रतिरोध के कारण 22 मिलियन उपचार विफल हो सकते हैं, साथ ही 116,000 लोगों की मृत्यु हो सकती है तथा उपचार नीति में बदलाव लाने के लिये अनुमानतः 130 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ सकती है।
- क्लोरोक्वीन (CQ) पी विवैक्स परजीवी के कारण होने वाले मलेरिया में सबसे अधिक दी जाने वाली दवा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी WHO में शामिल देश से क्लोरोक्वीन के लिये पी विवैक्स प्रतिरोध की सूचना प्राप्त हुई थी।
मलेरिया
- परिचय:
- मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग (Mosquito Borne Blood Disease) है जो प्लास्मोडियम परजीवी (Plasmodium Parasites) के कारण होता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- इस परजीवी का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों (Female Anopheles Mosquitoes) के काटने से होता है।
- मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद परजीवी शुरू में यकृत कोशिकाओं के भीतर वृद्धि करते हैं, उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट करते हैं जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है।
- मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग (Mosquito Borne Blood Disease) है जो प्लास्मोडियम परजीवी (Plasmodium Parasites) के कारण होता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- लक्षण:
- पसीना आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी और पेट में दर्द आदि इसके लक्षण बताए गए हैं।
- प्रकार:
- चार प्रकार के परजीवी प्लास्मोडियम विवैक्स, पी. ओवेल, पी. मलेरिया और पी.फाल्सीपेरम मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं:।
- भारतीय परिदृश्य:
- वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 2% मामले भारत में पाए जाते हैं और मलेरिया के कारण विश्व भर में होने वाली मौतों में से 2% मौतें भी भारत में ही होती हैं।
- दक्षिण पूर्व एशिया के संदर्भ में मलेरिया के 85.2% मामले भारत में पाए जाते हैं।
- भारत वैश्विक पी विवैक्स मलेरिया रोग भार का 47% वहन करता है (विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में), जिसके चलते वैश्विक मलेरिया उन्मूलन के लिये भारत रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाता है, दूसरी ओर भारत एकमात्र उच्च स्थानिक देश है जिसने वर्ष 2018 के मुकाबले वर्ष 2019 में मलेरिया के मामलों में 17.6% की गिरावट दर्ज की है।
- वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 2% मामले भारत में पाए जाते हैं और मलेरिया के कारण विश्व भर में होने वाली मौतों में से 2% मौतें भी भारत में ही होती हैं।
- संबंधित पहलें:
- राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रणनीति (2017-22)
- मलेरिया उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय फ्रेमवर्क
आगे की राह
- मलेरिया के कारण वर्ष 2018 में 4,05,000 लोगों की मृत्यु हुई और इसने 21.8 करोड़ लोगों को प्रभावित किया। मलेरिया की दवाओं के खिलाफ बढ़ते प्रतिरोध के कारण इस जानलेवा रोग के विरुद्ध लड़ाई मुश्किल होती जा रही है।
- रोगियों को प्रभावी उपचार प्राप्त हो यह सुनिश्चित करने के लिये अनुशंसित उपचारों की प्रभावशीलता पर अद्यतन तथा गुणवत्तापूर्ण डेटा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
- दवा प्रतिरोधी रूपों का पता लगाने के लिये आणविक स्तर पर मलेरिया की निगरानी (Molecular Malaria Surveillance) करने का समय आ गया है ताकि किसी भी परिणाम को रोकने के लिये समय पर सुधारात्मक उपाय किया जा सके।