विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस
- 18 Feb 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआईवी), स्टेम सेल और इसके प्रकार। मेन्स के लिये:विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियांँ, ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) तथा इसकी व्यापकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ल्यूकेमिया से पीड़ित एक अमेरिकी महिला, डोनर से प्राप्त स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के ज़रिये HIV से ठीक होने वाली पहली महिला (दुनिया में इस प्रकार का तीसरा मामला) बन गई है। यह डोनर एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिसिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome- AIDS) वायरस के प्रति स्वाभाविक रूप से प्रतिरोधी था।
- ल्यूकेमिया एक रक्त कैंसर है जो शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) की संख्या में वृद्धि के कारण होता है।
- यह एचआईवी के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षणों या सिंड्रोम का एक समूह है लेकिन आवश्यक नहीं है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को निश्चित रूप से एड्स होगा।
प्रमुख बिंदु
ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (HIV):
- एचआईवी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में CD-4, जो कि एक प्रकार की व्हाइट ब्लड सेल (T-Cells) होती हैं, पर हमला करता है।
- टी-कोशिकाएँ वे कोशिकाएँ होती हैं जो कोशिकाओं में विसंगतियों और संक्रमण का पता लगाने के लिये शरीर में घूमती रहती हैं।
- शरीर में प्रवेश करने के बाद एचआईवी वायरस की संख्या में तीव्रता से वृद्धि होती है और यह CD-4 कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है, इस प्रकार यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली (Human Immune System) को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है।
- एक बार जब यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो इसे कभी नहीं हटाया जा सकता है।
- HIV से संक्रमित व्यक्ति की CD-4 कोशिकाओं में काफी कमी आ जाती है। ज्ञातव्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इन कोशिकाओं की संख्या 500-1600 के बीच होती हैं, परंतु HIV से संक्रमित लोगों में CD-4 कोशिकाओं की संख्या 200 से भी नीचे जा सकती है।
भारत में HIV/AIDS
- भारत HIV अनुमान 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अनुमानित वयस्क (15 से 49 वर्ष) HIV प्रसार की प्रवृत्ति वर्ष 2000 में महामारी के चरम के बाद से घट रही है और हाल के वर्षों में स्थिर रही है।
- वर्ष 2019 में वयस्क पुरुषों में HIV का प्रसार 0.24% और वयस्क महिलाओं में 0.20% का अनुमान लगाया गया था।
- वर्ष 2019 में 23.48 लाख भारतीय HIV से संक्रमित थे तथा इनकी सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र के बाद आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में थी।
स्टेम सेल (Stem Cells)
- स्टेम सेल विशेष कोशिकाएँ होती हैं जो स्वयं की प्रतिकृतियाँ बना सकती हैं तथा विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं जिनकी शरीर को आवश्यकता होती, में परिवर्तित हो सकती हैं। उनके दो अद्वितीय गुण हैं जो उन्हें ऐसा करने में सक्षम बनाते हैं।:
- वे नई कोशिकाओं के निर्माण हेतु बार-बार विभाजित हो सकती हैं।
- विभाजित होने के बाद वे शरीर के निर्माण हेतु अन्य प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती हैं।
- स्टेम सेल कई तरह की होती हैं और ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समय पर पाई जाती हैं।
- कैंसर और इसके इलाज से हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल को नुकसान पहुँच सकता है। हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल ऐसे स्टेम सेल होते हैं जो रक्त कोशिकाओं में बदल जाते हैं।
स्टेम सेल की उपयोगिता:
- अनुसंधान: यह बुनियादी जीव विज्ञान को समझने में मदद करता है कि सजीव वस्तुएँ कैसे काम करती हैं और बीमारी के दौरान विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में क्या होता है।
- थेरेपी - विलुप्त या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदलने में, जिन्हें शरीर स्वाभाविक रूप से प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है।
स्टेम सेल के तीन मुख्य प्रकार:
- भ्रूण स्टेम सेल:
- ये एक भ्रूण के लिये नई कोशिकाओं की आपूर्ति करती हैं क्योंकि यही भ्रूण एक बच्चे में विकसित होता है।
- इन स्टेम कोशिकाओं को प्लुरिपोटेंट कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे शरीर की किसी भी कोशिका में परिवर्तित हो सकती हैं।
- वयस्क (अस्थि-मज्जा या रक्त) स्टेम सेल:
- ये कोशिकाएँ एक जीव के वृद्धि करने पर क्षतिग्रस्त होने वाली कोशिकाओं के स्थान्नापन्न के लिये नई कोशिकाओं की आपूर्ति करती है।
- वयस्क स्टेम सेल को ‘मल्टीपोटेंट’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे शरीर में कुछ कोशिकाओं की केवल मरम्मत कर सकते हैं, उदाहरण के लिये:
- किसी के कॉर्ड ब्लड से लिये गए सेल को किसी को भी नहीं दिया जा सकता। इसके लिये उसी तरह मैचिंग की ज़रूरत होती है, जैसे किसी रोगी को रक्त्त चढ़ाते समय होती है।
- प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल:
- 'प्रेरित' होने का अर्थ है कि इन कोशिकाओं को प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है, इसके तहत एक सामान्य वयस्क कोशिका, जैसे- त्वचा या रक्त कोशिका आदि को पुन: प्रोग्राम कर एक स्टेम सेल में बदला जाता है।
- वे भ्रूणीय स्टेम सेल की तरह प्लुरिपोटेंट होते हैं, इसलिये किसी भी प्रकार की कोशिका में विकसित हो सकते हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट क्या है?
- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो किसी के स्टेम सेल को स्वस्थ कोशिकाओं से प्रतिस्थापित कर देती है। प्रतिस्थापन कोशिकाएँ या तो व्यक्ति के अपने शरीर से या किसी अन्य व्यक्ति से ली जा सकती हैं।
- बोन मैरो ट्रांसप्लांट को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है।
- ट्रांसप्लांट या प्रत्यारोपण का उपयोग कुछ विशेष प्रकार के कैंसर, जैसे- ल्यूकेमिया, मायलोमा, और लिम्फोमा तथा अन्य रक्त एवं प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी रोगों के उपचार के लिये किया जा सकता है जो बोन मैरो को प्रभावित करते हैं।