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भारतीय प्रतिभूतियों में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का FPI निवेश

  • 09 Oct 2024
  • 2 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा भारतीय प्रतिभूतियों में लगभग 1.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है, जो वैश्विक निवेशकों के लिये भारत के बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है।

  • यह मार्च 2020 में कोविड-19 के निम्नतम स्तर 329 बिलियन अमेरिकी डॉलर से तीन गुना वृद्धि को दर्शाता है। भारत का बाज़ार पूंजीकरण भी चार गुना बढ़कर अब लगभग 5.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। 
  • भारतीय बाज़ारों ने मज़बूत दीर्घावधि रिटर्न प्रदान किया है, जिसमें अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में सेंसेक्स के लिये 10-वर्ष का वार्षिक रिटर्न 8.5% रहा है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के डाऊ जोन्स (Dow Jones) सूचकांक के लिये यह 9.7% रहा है।
  • वर्ष 1991 के भुगतान संतुलन संकट के बाद, वर्ष 1992 में भारत के FPI (तब इन्हें विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) के रूप में जाना जाता था) में उदारता से निवेश नियमों और एक सहायक नियामक ढाँचे में बढ़ावा मिला है।
    • FPI में वे अनिवासी शामिल हैं, जो शेयर, सरकारी बॉण्ड, कॉर्पोरेट बॉण्ड, परिवर्तनीय प्रतिभूतियों और बुनियादी ढाँचा प्रतिभूतियों जैसी भारतीय वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं।
    • FPI में FII, योग्य विदेशी निवेशक (QFIs) और उप-खाते जैसे निवेश समूह शामिल हैं।
  • भारत में FPI प्रवाह के प्राथमिक स्रोत अमेरिका, सिंगापुर और लक्ज़मबर्ग हैं।

और पढ़ें: भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में परिवर्तन

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