असम में विदेशी अधिकरण | 20 Jul 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में असम सरकार ने राज्य पुलिस की सीमा विंग से कहा कि वह वर्ष 2014 से पहले अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों के मामलों को विदेशी अधिकरणों (Foreigners Tribunal- FT) को अग्रेषित न करें।
- यह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के अनुरूप था, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से उत्पीड़न के कारण प्रवास करने वाले हिंदु, सिख, ईसाई, पारसी, जैन तथा बौद्ध धर्म के व्यक्तियों के लिये नागरिकता का आवेदन करने का अवसर प्रदान करता है।
विदेशी अधिकरण (FT) से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- विदेशी अधिकरण (FT) अर्द्ध-न्यायिक निकाय होते हैं, जिनका गठन केंद्र सरकार द्वारा विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 की धारा 3 के अंतर्गत विदेशी विषयक (अधिकरण) आदेश, 1964 के माध्यम से किया गया है जिसका उद्देश्य किसी राज्य में स्थानीय प्राधिकारियों को किसी संदिग्ध विदेशी व्यक्ति को अधिकरण के पास भेजने की अनुमति प्रदान करना है।
- विदेशी विषयक (अधिकरण) आदेश (2019 संशोधन): मूल आदेश में वर्ष 2019 में किया गया संशोधन केवल यह रूपरेखा प्रदान करता है कि अधिकरण उन व्यक्तियों की अपीलों पर किस प्रकार निर्णय लेंगे जो NRC के लिये दायर अपने दावों और आक्षेपों के परिणाम से तुष्ट नहीं हैं।
- गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ज़िला मजिस्ट्रेटों को अधिकरण स्थापित करने का अधिकार भी प्रदान किया है।
- ये सभी आदेश संपूर्ण देश में क्रियान्वित हैं और राज्य विशिष्ट नहीं हैं।
- हालाँकि इस आदेश के तहत विदेशी अधिकरण केवल असम में स्थापित किये गए हैं और देश के किसी अन्य राज्य में नहीं तथा इस प्रकार यह संशोधन वर्तमान में केवल असम के लिये प्रासंगिक प्रतीत होता है।
- इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों में "अवैध अप्रवासियों" के मामलों पर निर्णय विदेशियों विषयक अधिनियम के अनुसार लिया जाता है।
- मामलों के प्रकार: FT को दो प्रकार के मामले प्राप्त होते हैं:
- जिनके लिये सीमा पुलिस द्वारा “संदर्भ” दिया गया है।
- जिनके नाम मतदाता सूची में D [Doubtful (शंकास्पद)] मतदाता के रूप में दर्ज है।
- ‘D’ अथवा शंकास्पद मतदाताओं के मामलों को भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा भी FT को भेजा जा सकता है।
- संरचना:
- प्रत्येक FT की अध्यक्षता न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अनुभव वाले सिविल सेवकों में से चुने गए सदस्यों द्वारा की जाती है।
- न्यायाधीशों/अधिवक्ताओं को समय-समय पर सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार विदेशी अधिकरण अधिनियम, 1941 और विदेशी विषयक अधिकरण आदेश, 1964 के तहत FT के सदस्यों के रूप में नियुक्त किया गया है।
- प्रकार्य:
- 1964 के आदेश के अनुसार, FT के पास कुछ विशिष्ट मामलों में सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं जिनमें किसी व्यक्ति को बुलाए जाने और उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने, शपथ पर उसका परीक्षण करने तथा किसी आवश्यक दस्तावेज़ को पेश करवाए जाने, जैसी शक्तियाँ शामिल हैं।
- अधिकरण को संबंधित प्राधिकारी से संदर्भ प्राप्त करने के 10 दिनों के भीतर विदेशी होने के अभियुक्त व्यक्ति को अंग्रेज़ी या राज्य की आधिकारिक भाषा में नोटिस देना आवश्यक है।
- FT को संदर्भ के 60 दिनों के भीतर मामले का निपटारा करना होता है।
- विदेशियों विषयक अधिनियम की धारा 9 के अनुसार भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में किसी बात के होते हुए भी यह साबित करने का भार कि संबद्ध व्यक्ति विदेशी है या नहीं, उसी व्यक्ति पर होगा।
- यदि व्यक्ति नागरिकता का कोई सबूत देने में विफल रहता है तो FT उसे बाद में निर्वासन के लिये डिटेंशन सेंटर, जिसे अब ट्रांज़िट कैंप कहा जाता है, में भेज सकता है।
- विदेशी अधिकरण के आदेश के विरुद्ध अपील:
- संबद्ध व्यक्ति द्वारा समीक्षा आवेदन आदेश की तिथि से 30 दिनों के भीतर दायर किया जा सकता है और FT मामले का गुण-दोष के आधार पर निर्णय करेगा।
- FT द्वारा प्रतिकूल आदेश दिये जाने की स्थिति में उसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है और उसके पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय में भी अपील दायर की जा सकती है।
अधिकरणों से संबंधित सांविधानिक प्रावधान
- इसे 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा शामिल किया गया था।
- अनुच्छेद 323-A प्रशासनिक अधिकरणों से संबंधित है।
- अनुच्छेद 323-B अन्य मामलों के लिये अधिकरणों से संबंधित है।
असम की सीमा पुलिस की क्या भूमिका है?
- असम पुलिस सीमा संगठन की स्थापना वर्ष 1962 में पाकिस्तानी घुसपैठ की रोकथाम (PIP) योजना के तहत राज्य पुलिस की विशेष शाखा के एक हिस्से के रूप में की गई थी।
- इस संगठन को वर्ष 1974 में एक स्वतंत्र इकाई बना दिया गया।
- इस इकाई के सदस्यों को अवैध विदेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने तथा सीमा सुरक्षा बल के साथ भारत-बांग्लादेश सीमा पर गश्त करने का कार्य सौंपा गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. “केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जिसकी स्थापना केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा या उनके विरुद्ध शिकायतों एवं परिवादों के निवारण हेतु की गई थी, आजकल एक स्वतंत्र न्यायिक प्राधिकरण के रूप में अपनी शक्तियों का प्रयोग कर रहा है।” व्याख्या कीजिये (2019) |