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फ्लोरिडा कारपेंटर चींटियाँ

  • 19 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल के अध्ययन से पता चला है कि फ्लोरिडा कारपेंटर चींटियाँ (Camponotus floridanus) अपने जीवित रहने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिये अपने घोंसले में जीवन रक्षक सर्जरी करती हैं।

  • चोट लगने के स्थान के आधार पर, ये चींटियाँ या तो अंग काटना (सर्जरी के माध्यम से शारीरिक घटक को हटाना) अथवा केवल घाव को साफ करना चुनती हैं।
    • पैर के ऊपर (फीमर) चोट लगने पर अंग-विच्छेदन किया जाता है, जबकि पैर के निचले भाग (टिबिया) में लगे घावों के लिये सफाई की जाती है।
  • चींटियों में हेमोलिम्फ नामक एक नीला-हरा तरल पदार्थ होता है, जो अधिकांश अकशेरुकी जीवों के रक्त के समान होता है। पैर की अधिक चोट लगने से हेमोलिम्फ का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे प्रभावी विच्छेदन में सहायता मिलती है।
  • चींटियों के इस व्यवहार को जीव जगत में सबसे परिष्कृत "चिकित्सा प्रणाली" माना जाता है, जो केवल मानव चिकित्सा पद्धतियों की प्रतिद्वंद्वी है।

फ्लोरिडा कारपेंटर चींटियाँ:

  • ये 1.5 सेमी. से अधिक लंबी लाल-भूरे रंग की प्रजातियाँ हैं, जिनके 6 पैर होते हैं, जो दक्षिण-पूर्वी अमेरिका में पाई जाती हैं।
  • वे सड़ती हुई लकड़ी में कालोनियाँ बनाती हैं और साथ ही प्रतिद्वंद्वी चींटी कालोनियों से अपने घोंसलों की रक्षा करते हैं।

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