वैश्विक स्तर पर स्वर्ण की कीमतों का निर्धारण | 16 May 2024

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

एक हालिया अर्थमिति अध्ययन (econometric study) में पाया गया है कि कच्चे तेल और स्वर्ण की कीमतों के बीच प्रत्यक्ष संबंध है तथा अमेरिकी डॉलर के मूल्य एवं स्वर्ण की कीमतों के बीच एक विपरीत संबंध है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • निष्कर्ष: वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत और स्वर्ण की अंतर्राष्ट्रीय कीमत के बीच एक सकारात्मक संबंध है तथा अमेरिकी डॉलर के बाह्य मूल्य एवं स्वर्ण की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के बीच एक नकारात्मक संबंध है।
    • दूसरे शब्दों में जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो स्वर्ण की कीमतें बढ़ जाती हैं और जब अमेरिकी डॉलर का मूल्य बढ़ता है, तो स्वर्ण की कीमत कम हो जाती है।
  • कारण: अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ती है, जिससे मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव निधि (Hedge) के रूप में स्वर्ण की मांग में वृद्धि होती है, क्योंकि स्वर्ण  एक वास्तविक संपत्ति (Real Asset) है और मूल्य के नुकसान के अधीन नहीं है। 
    • अन्य स्थितियों को स्थिर मानते हुए, जब अमेरिकी डॉलर मज़बूत होता है, तो स्वर्ण की कीमतें कम और स्थिर रहती हैं।
      • हालांकि, अगर डॉलर कमज़ोर होता है, तो स्वर्ण  की मांग में वृद्धि हो जाती है, जिससे इसकी कीमत में भी वृद्धि होती है।
      • यह परिवर्तन इसलिये होता है क्योंकि एक मज़बूत डॉलर अपने मूल्य में विश्वास बढ़ाता है, स्वर्ण  में निवेश की आवश्यकता को कम करता है, जबकि एक कमज़ोर डॉलर मूल्य हानि के बारे में चिंताओं को प्रेरित करता है, जिससे उपभोक्ता एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में स्वर्ण  में निवेश की ओर बढ़ते हैं।

वैश्विक स्तर पर स्वर्ण की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?

  • स्वर्ण  का उत्पादन: आपूर्ति पक्ष पर, स्वर्ण की कीमतें इसके उत्पादन और खनन लागत पर निर्भर करती हैं।
    • चूँकि, अधिकांश स्वर्ण का उत्खनन पहले ही किया जा चुका है, इसलिये नए उत्पादन के लिये भूमिगत खनन हेतु लागत में वृद्धि होगी। 
    • इसलिये जब कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ती हैं, तो यह स्वर्ण की कीमत में वृद्धि में योगदान देती है।
    • शीर्ष 5 स्वर्ण  उत्पादक देश हैं: चीन, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा और अमेरिका।
  • केंद्रीय बैंकों द्वारा मांगः संस्थागत मांग, विशेष रूप से केंद्रीय बैंकों से, स्वर्ण की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर तक ले जाती है।
    • वे इसके मूल्य प्रतिधारण (value retention) को देखते हुए, आरक्षित संपत्तियों को मज़बूत करने के लिये स्वर्ण खरीदते हैं।
    • कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और भू-राजनीतिक तनाव के साथ, वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिये अपने स्वर्ण के भंडार को बढ़ा रहे हैं।
    • मार्च 2024 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने कुल 822 मीट्रिक टन स्वर्ण का भंडारण किया है, जिसमें से 408 मीट्रिक टन देश के भीतर ही रखा गया है।
  • निवेशकों की मांग: जब भी वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ार, रियल एस्टेट और बॉण्ड में गिरावट आती है, तो निवेशक अपना पैसा लगाने के लिये स्वर्ण  को विकल्प के तौर पर चुनते हैं।
    • इसे अनिश्चितताओं के दौरान निवेशकों के लिये एक सुरक्षित विकल्प के रूप में माना जाता है क्योंकि स्वर्ण  अत्यधिक तरल होता है और इसमें कोई डिफाॅल्ट जोखिम नहीं होता है।
    • अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने एवं निवेश में सुरक्षा बढ़ाने के लिये, व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों निवेशक भौतिक स्वर्ण के साथ-साथ वित्तीय व्युत्पन्न (Financial Derivatives) तथा एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश करना पसंद करते हैं।
      • वित्तीय व्युत्पन्न (Financial Derivatives) एक प्रकार के वित्तीय साधन है जो अंतर्निहित परिसंपत्तियों से अपना मूल्य ग्रहण करते है।
  • उपभोक्ता मांग: मांग में वृद्धि व्यक्तियों और जौहरियों दोनों की तरफ से बढ़ती है।
    • स्वर्ण के सबसे बड़े उपभोक्ता व आयातक चीन और भारत दोनों में इसे धन के पारंपरिक भंडार तथा विशेष अवसरों पर आभूषण के रूप में खरीदा जाता है।
    • हालाँकि, उपभोक्ताओं की मांग ज़्यादातर मौसमी होती है।
  • औद्योगिक मांग: औद्योगिक मांग प्रौद्योगिकी से प्रभावित होती है। औद्योगिक प्रयोग हेतु स्वर्ण अपने आंतरिक गुणों जैसे नम्यता और संवाहकता के कारण पसंद किया जाता है।
    • इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे:
      • इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में इसकी उत्कृष्ट संवाहकता और संक्षारण प्रतिरोध के लिये। यह आमतौर पर कनेक्टर्स, सर्किट बोर्ड और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक घटकों में पाया जाता है।
      • दंत चिकित्सा में इसका प्रयोग जैव अनुकूलता और स्थायित्व के कारण मुकुट, ब्रिज तथा अन्य कृत्रिम दंत अंगों को बनाने के लिये किया जाता है।
      • एयरोस्पेस अनुप्रयोगों में, जैसे अंतरिक्ष यान घटकों और उपग्रहों को कोटिंग करना, इसके परावर्तक गुणों तथा कठोर वातावरण में संक्षारण प्रतिरोध के कारण।
      • चिकित्सा उपकरणों में, जैसे कि प्रत्यारोपण और नैदानिक ​​उपकरण, मानव शरीर के भीतर इसकी जैव-अनुकूलता एवं जड़ता के कारण।

भारत में स्वर्ण उद्योग की क्या स्थिति है?

  • भारत में स्वर्ण भंडार: राष्ट्रीय खनिज सूची के अनुसार, वर्ष 2015 तक भारत में स्वर्ण के अयस्क का कुल भंडार/संसाधन 501.83 मिलियन टन होने का अनुमान था।
    • स्वर्ण अयस्क के सबसे बड़े संसाधन बिहार (44%) में स्थित हैं, इसके बाद राजस्थान में (25%), कर्नाटक में (21%), पश्चिम बंगाल में (3%), आंध्र प्रदेश में (3%) तथा झारखंड में (2%) हैं।
    • देश के कुल स्वर्ण उत्पादन में कर्नाटक का लगभग 80% योगदान है। कोलार ज़िले में कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) विश्व की सबसे प्राचीन और गहराई पर मौजूद स्वर्ण की खदानों में से एक है।
  • भारत में स्वर्ण आयात: भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है। वर्ष 2023-24 में भारत का स्वर्ण आयात 30% बढ़कर 45.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • हालाँकि, मार्च, 2024 में स्वर्ण आयात में 53.56% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज़ की गई।
  • सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना: इसे सरकार द्वारा नवंबर, 2015 में स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के भाग के रूप में पेश किया गया था।
    • इसका उद्देश्य भौतिक स्वर्ण की मांग को कम करना और घरेलू बचत के एक भाग को, जो आमतौर पर स्वर्ण खरीदने के लिये उपयोग किया जाता है, वित्तीय बचत में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करना था।

स्वर्ण मान (Gold Standard) क्या है?

  • गोल्ड स्टैंडर्ड (Gold Standard-GS) एक स्वैच्छिक कार्बन ऑफसेट कार्यक्रम है जो संयुक्त राष्ट्र सतत्  विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) को आगे बढ़ाने और उस परियोजना से उनके पड़ोसी समुदायों को लाभ सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
  • इसे विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund- WWF), HELIO इंटरनेशनल और साउथसाउथनॉर्थ (SouthSouthNorth)  के नेतृत्व में विकसित किया गया था, जिसमें ऑफसेट परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था जो स्थायी सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं।

और पढ़ें: स्वर्ण की कीमतों में वृद्धि

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. सरकार की 'सम्प्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme)' एवं 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme)' का/के उद्देश्य क्या है/ हैं? (2016)

  1. भारतीय गृहस्थों के पास निष्क्रिय पड़े स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना
  2. स्वर्ण एवं आभूषण के क्षेत्र में एफ० डी० आइ० (FDI) को प्रोत्साहित करना
  3. स्वर्ण-आयात पर भारत की निर्भरता में कमी लाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर:(c)


प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है? (2013)

(a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०) तथा विदेशों से ऋण
(b) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०)
(c) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विश्व बैंक से ऋण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०)
(d) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विश्व बैंक से ऋण

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारतीय सरकारी बॉण्ड प्रतिफल निम्नलिखित में से किससे/किनसे प्रभावित होता है/होते हैं? (2021)

  1. यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कार्रवाई
  2. भारतीय रिज़र्व बैंक की कार्रवाई
  3. मुद्रास्फीति एवं अल्पावधि ब्याज दर

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)