पर्यावरण संरक्षण शुल्क | 29 Mar 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सौंपी गई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, CPCB द्वारा एकत्र किये गए पर्यावरण संरक्षण शुल्क (Environment Protection Charge- EPC) और पर्यावरण क्षतिपूर्ति (EC) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा खर्च नहीं किया गया है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एकत्र किये गए EPC और EC का 80% हिस्सा खर्च नहीं किया गया है।
पर्यावरण संरक्षण शुल्क क्या है?
- EPC एक फंड है जिसका उपयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा दिल्ली NCR में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करने हेतु किया जाता है। CPCB पर्यावरण संरक्षण शुल्क फंड के तहत IIT और NEERI जैसे अन्य संस्थानों के साथ काम करता है।
- EPC सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश (एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ मामला, 1985) के अनुसार और दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता सुधार तथा संबंधित कार्यों जैसे अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों व वाहन प्रदूषण नियंत्रण स्वास्थ्य प्रभाव अध्ययन तथा दिल्ली-NCR, पंजाब में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये विशिष्ट परियोजनाओं हेतु प्राप्त किया जाता है।
- CPCB को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा एकत्र किये गए पर्यावरणीय मुआवज़े का 25% भी मिलता है। यह विभिन्न मामलों में प्रदूषण फैलाने वालों/डिफॉल्टरों से सीधे पर्यावरणीय दंड भी वसूल करता है।
- वर्ष 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली और NCR में 2000cc तथा उससे ऊपर की डीज़ल कारों की बिक्री पर 1% का EPC लगाया।
पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति क्या है?
- EC एक उपकरण है जिसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना और प्रदूषण से होने वाले नुकसान को कम करना है। यह "प्रदूषक भुगतान" के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ है कि जो लोग पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिये ज़िम्मेदार हैं, उन्हें इसकी बहाली की लागत या इससे होने वाले नुकसान के क्षतिपूर्ति का वहन करना चाहिये।
- पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के अंतर्गत पर्यावरण को प्रदूषित करने अथवा कृत्यों के माध्यम से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले संबद्ध व्यक्तियों, कंपनियों अथवा संस्थाओं पर मौद्रिक दंड अधिरोपित किया जाता है।
- इन दंडों का उद्देश्य पर्यावरणीय क्षति से जुड़ी लागत की वसूली करना और भविष्य में ऐसे उल्लंघनों की रोकथाम करना है।
CPCB क्या है?
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक वैधानिक संगठन है है जिसका गठन वर्ष 1974 में जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
- CPCB को वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अधीन भी शक्तियाँ और कार्य सौंपे गए।
- यह एक क्षेत्रीय गठन के रूप में कार्य करता है और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत पर्यावरण तथा वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण क्या है?
- स्थापना: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) की स्थापना अक्टूबर, 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के त्वरित एवं कुशल समाधान की सुविधा प्रदान करना है।
- वर्तमान में NGT की बैठक के लिये नई दिल्ली प्रमुख स्थान है, भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई को ट्रिब्यूनल की बैठक के अन्य चार स्थानों के रूप में नामित किया गया है।
- संरचना:
- अधिकरण का अध्यक्ष इसका प्रमुख होता है जो प्रधान पीठ का पद धारण करता है और इसमें न्यूनतम 10 किंतु 20 से अधिक न्यायिक सदस्य तथा विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
- अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
- न्यायिक सदस्यों और विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार द्वारा एक चयन समिति का गठन किया जाता है।
- अधिकरण का अध्यक्ष इसका प्रमुख होता है जो प्रधान पीठ का पद धारण करता है और इसमें न्यूनतम 10 किंतु 20 से अधिक न्यायिक सदस्य तथा विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
- कानूनी अधिदेश: अधिकरण का क्षेत्राधिकार पर्यावरणीय अधिकारों को कार्यान्वित करने, व्यक्तियों और संपत्ति के नुकसान के लिये राहत, क्षतिपूर्ति प्रदान करने, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित समस्या का समाधान करने तक विस्तृत है।
- यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित, नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 में निर्धारित प्रक्रियात्मक नियमों से स्वतंत्र रूप से संचालित होता है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की अनुसूची-I में उल्लिखित कानूनों में शामिल विषयों से संबंधित पर्यावरणीय क्षति के लिये राहत और मुआवज़े की मांग करने वाला कोई भी व्यक्ति, अधिकरण से संपर्क कर सकता है। अनुसूची-I में क़ानून हैं:
- जल (प्रप्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
- वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:Q.1 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिन्दुओं का वर्णन कीजिये। विगत वर्ष 2005 के अद्यतन से, ये किस प्रकार भिन्न हैं ? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है ? (2021) |