प्रारंभिक परीक्षा
आइंस्टीन वलय
- 13 Feb 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के यूक्लिड अंतरिक्ष दूरबीन ने पृथ्वी से लगभग 590 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगा NGC 6505 के चारों ओर एक दुर्लभ आइंस्टीन वलय/रिंग की खोज की है।
- नोट: एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश एक वर्ष में तय करता है, जो 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर है।
आइंस्टीन वलय/रिंग क्या है?
- आइंस्टीन वलय प्रकाश का वह वलय है, जो किसी खगोलीय पिंड, जैसे कि डार्क मैटर, आकाशगंगा या आकाशगंगाओं के समूह के चारों ओर दिखाई देती है।
- पूर्ण आइंस्टीन वलय केवल तभी दिखाई देता है जब पर्यवेक्षक (यूक्लिड टेलीस्कोप), गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग और बैकग्राउंड गैलेक्सी लगभग पूर्ण रूप से एक सीध में होते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग: यह गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के कारण होने वाली एक घटना है, जहाँ एक विशाल आकाशीय पिंड (जैसे एक आकाशगंगा) एक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बनाता है जो अपने पीछे अधिक दूर की वस्तु से आने वाले प्रकाश को मोड़ता और बढ़ाता है, जिससे फॉरग्राउंड ऑब्जेक्ट के चारों ओर एक पूर्ण वलय बनता है, जिसे आइंस्टीन वलय के रूप में जाना जाता है।
- वह वस्तु जिसके कारण प्रकाश का बंकन होता है, उसे गुरुत्वाकर्षी लेंस कहते हैं।
- खोज: वर्ष 1987 में पहली बार खोजे गए आइंस्टीन वलय अत्यंत दुर्लभ हैं, जो 1% से भी कम आकाशगंगाओं में पाए जाते हैं।
- NGC 6505 के चारों ओर आइंस्टीन वलय का निर्माण 4.42 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक अनाम आकाशगंगा से उत्सर्जित प्रकाश से हुआ है, जो NGC 6505 के गुरूत्वीय कर्षण के कारण विकृत हो गया है, जिसके कारण इसके चारों ओर एक आकर्षक वलय जैसी बाह्याकृति दिखाई देती है।
- नामकरण: अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के अनुसार प्रकाश का गुरुत्वाकर्षण बल के कारण विशाल वस्तुओं के चारों ओर बंकन हो सकता है और यह चमकीला हो सकता है (दिक्काल को विकृत कर सकता है और प्रकाश के मार्ग को मोड़ सकता है), इसलिये इसका नाम "आइंस्टीन रिंग" रखा गया।
- प्रेक्षण: सामान्य रूप से इसे आँखों से नहीं देखा जा सकता और केवल यूक्लिड जैसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीनों के माध्यम से इसका प्रेक्षण किया जा सकता है।
- वैज्ञानिक महत्त्व: ये ब्रह्मांड का अध्ययन करने की एक अद्वितीय विधि प्रदान करते हैं क्योंकि वे एक नैसर्गिक आवर्धिक लेंस के रूप में कार्य करते हैं, जिनसे सुदूरवर्ती आकाशगंगाओं का प्रेक्षण किया जा सकता होता है जो अन्यथा अदृश्य होते।
- आइंस्टीन रिंग्स खगोल भौतिकी में मूल्यवान उपकरण हैं क्योंकि ये वैज्ञानिकों के लिये डार्क मैटर का परीक्षण करने एवं डार्क एनर्जी (ब्रह्मांड के एकाएक विस्तार हेतु उत्तरदायी) का अध्ययन करने में सहायक हैं।
आइंस्टीन रिंग्स के सामान घटनाएँ
- आइंस्टीन क्रॉस: आइंस्टीन क्रॉस एक दुर्लभ गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग घटना है जिसमें दूर स्थित आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश को एक विशाल फोरग्राउंड आकाशगंगा द्वारा मोड़ दिया जाता है, जिससे इसके चारो ओर क्रॉस जैसे पैटर्न में चार अलग-अलग इमेज बन जाती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहे दक्षिण ध्रुव पर स्थित एक कण डिटेक्टर 'आइसक्यूब' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |