प्रारंभिक परीक्षा
लिक्विड नैनो यूरिया की प्रभावकारिता
- 05 Jan 2024
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agricultural University- PAU) के वैज्ञानिकों द्वारा लिक्विड नैनो यूरिया की प्रभावकारिता पर दो वर्ष के क्षेत्रीय प्रयोग में पारंपरिक नाइट्रोजन (N) युक्त उर्वरक अनुप्रयोग की तुलना में चावल तथा गेहूँ की उपज में अत्यधिक कमी पाई गई है।
- वर्तमान निष्कर्ष, पारंपरिक यूरिया के समतुल्य नैनो यूरिया तथा फसल की उपज को बनाए रखने में इसकी प्रभावकारिता का पता लगाने के लिये 5-7 वर्षों तक के अतिरिक्त दीर्घकालिक क्षेत्र मूल्यांकन की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
लिक्विड नैनो यूरिया की प्रभावकारिता से संबंधित मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- उपज में कमी:
- पारंपरिक नाइट्रोजन उर्वरकों की तुलना में नैनो यूरिया का उपयोग करने पर फसल की उपज में उल्लेखनीय कमी आई है।
- विशेष रूप से गेहूँ की उपज में 21.6% तथा चावल की उपज में 13% की कमी आई है।
- अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा:
- नैनो यूरिया के प्रयोग से चावल तथा गेहूँ दोनों फसलों के अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा में कमी आई है।
- चावल और गेहूँ के अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा में क्रमशः 17 व 11.5% की कमी हुई है।
- अनाज में नाइट्रोजन की मात्रा में कमी उपज फसलों में प्रोटीन के स्तर में कमी को दर्शाती है।
- यह भारत जैसे देश में चिंता का विषय है जहाँ चावल और गेहूँ प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट प्रदान करने वाले मुख्य खाद्य पदार्थ हैं। फसलों में प्रोटीन की मात्रा कम होने से जनसंख्या की प्रोटीन ऊर्जा आवश्यकताएँ प्रभावित हो सकती है।
- लागत तुलना:
- नैनो यूरिया फॉर्मूलेशन की लागत दानेदार यूरिया की तुलना में 10 गुना अधिक है जिसके प्रयोग से किसानों की कृषि लागत बढ़ जाती है।
- फसल बायोमास और जड़ का आयतन:
- नैनो यूरिया के प्रयोग से सतह के ऊपर बायोमास और जड़ों के आयतन में कमी आई। इसके आयतन में इस कमी के परिणामस्वरूप जड़ की सतह का क्षेत्रफल कम हो गया, जिससे जड़ों द्वारा पोषक तत्त्व ग्रहण करने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है।
तरल नैनो यूरिया (Liquid Nano Urea) क्या है?
- परिचय:
- यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है।
- नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
- इसकी 500 मिली.की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होती है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन युक्त पोषक तत्त्व प्रदान करेगी।
- तरल नैनो यूरिया को जून 2021 में भारतीय किसान और उर्वरक सहकारी लिमिटेड (Indian Farmers and Fertiliser Cooperative- IFFCO) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- निर्माण:
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया गया है।
- भारत अपनी यूरिया की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- अनुप्रयोग:
- यह उर्वरक एक पत्तेदार स्प्रे है, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग केवल फसलों पर पत्तियाँ आने के बाद ही किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |