सतत् विकास पर ECOSOC फोरम | 26 Jul 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में, न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सतत् विकास पर उच्च स्तरीय राजनीतिक फोरम में राजस्थान के स्वदेशी जनजातीय समुदायों ने वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान के रूप में अपनी पारंपरिक प्रथाओं का प्रदर्शन किया।
- यह फोरम संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) के तत्त्वावधान में आयोजित किया गया था, जिसकी थीम थी - ‘वर्ष 2030 के एजेंडे को सुदृढ़ बनाना और विभिन्न संकटों में गरीबी उन्मूलन: सतत्, लचीले एवं नवीन समाधानों का प्रभावी क्रियान्वयन’ (‘Reinforcing the 2030 agenda and eradicating poverty in times of multiple crises: The effective delivery of sustainable, resilient and innovative solutions’)।
- वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित ECOSOC आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर समन्वय, नीति समीक्षा, नीति संवाद तथा सिफारिशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन हेतु यह एक प्रमुख निकाय है।
- यह सतत् विकास पर अध्ययन, चर्चा और नवीन सोच के लिये संयुक्त राष्ट्र का केंद्रीय मंच है।
- इसके 54 सदस्य संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा तीन-वर्षीय कार्यकाल के लिये चुने जाते हैं।
- राजस्थान स्थित स्वैच्छिक समूह वाग्धारा ने कृषि और संसाधन प्रबंधन में स्वदेशी प्रथाओं के लचीलेपन व स्थायित्व पर ज़ोर दिया।
- मंच ने जनजातीय समुदायों द्वारा बीज संरक्षण, जल संरक्षण और सतत् कृषि जैसी पहलों को मान्यता दी, जिससे कोविड-19 महामारी के प्रभावों सहित आर्थिक तथा पर्यावरणीय चुनौतियों में कमी आई है।
- भील, डामोर, दमरिया, धानका, तड़वी, तेतरिया, वलवी, सहरिया, कोली और तुरी राजस्थान में पाई जाने वाली कुछ अनुसूचित जनजातियाँ हैं।
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