प्रारंभिक परीक्षा
DNA नैनो राफ्ट्स
- 17 Feb 2025
- 6 min read
स्रोत: बीएल
चर्चा में क्यों?
नेचर मैटेरियल्स में प्रकाशित एक शोधपत्र में DNA नैनोराफ्ट (Nanorafts) का उपयोग करके जैविक झिल्लियों के समान कार्य करने वाली कृत्रिम कोशिकाओं बनाने की एक अभूतपूर्व तकनीक प्रस्तुत की गई है।
- ये प्रोग्रामयोग्य नैनो संरचनाएँ झिल्लियों को नया आकार प्रदान कर, मार्ग बनाकर, तथा अपने पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया करके कृत्रिम जीवन अनुसंधान, बायोसेंसर और चिकित्सा को बढ़ावा दे सकती हैं।
DNA नैनोराफ्ट क्या है?
- DNA नैनोराफ्ट: DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) नैनो-राफ्ट DNA स्ट्रैंड से बने छोटी, सपाट संरचनाएँ हैं जिन्हें विशिष्ट रासायनिक संकेतों के विपरीत कोशिका झिल्ली के आकार और पारगम्यता को नियंत्रित करने के लिये निर्मित किया जा सकता है।
- यह क्षमता उन्हें कोशिका जैसी झिल्लियों को नियंत्रित तरीके से प्रभावित करने की अनुमति देती है।
- कार्य प्रणाली:
- मॉडल झिल्लियों से संलग्न: DNA नैनोराफ्ट जायंट यूनिलेमेलर वेसिकल्स (Giant Unilamellar Vesicles- GUV) से जुड़े होते हैं, जो जैविक कोशिका झिल्लियों के सरलीकृत मॉडल के रूप में कार्य करते हैं।
- GUV कृत्रिम, कोशिका आकार की लिपिड झिल्ली होती हैं जो वास्तविक कोशिका झिल्ली के सामान होती हैं, जो सिंथेटिक जीव विज्ञान में झिल्ली और परिवहन तंत्र के अध्ययन के लिये उपयोगी हैं।
- आकार में संशोधन और प्रतिवर्तीता: जब "अनलॉकिंग" DNA स्ट्रैंड जोड़े जाते हैं तो DNA नैनोराफ्ट का विस्तार होता है, जिससे झिल्ली का आकार बदल जाता है।
- इस अनलॉकिंग को एंज़ाइम, यांत्रिक उपकरणों या अन्य तरीकों से ट्रिगर किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को "लॉकिंग" डीएनए स्ट्रैंड जोड़कर उलट दिया जाता है, जिससे मूल आकार बहाल हो जाता है।
- लॉक्ड न्यूक्लिक एसिड (LNA) DNA स्ट्रैंड को स्थिरता के लिये एक साथ सुरक्षित रखने में मदद करता है।
- झिल्ली का नियंत्रण: यह तकनीक वैज्ञानिकों को कृत्रिम कोशिका झिल्लियों को सटीक रूप से नियंत्रित करने की अनुमति प्रदान करती है।
- मॉडल झिल्लियों से संलग्न: DNA नैनोराफ्ट जायंट यूनिलेमेलर वेसिकल्स (Giant Unilamellar Vesicles- GUV) से जुड़े होते हैं, जो जैविक कोशिका झिल्लियों के सरलीकृत मॉडल के रूप में कार्य करते हैं।
- महत्त्वपूर्ण कार्यों:
- कोशिका को आकार देना: नैनोराफ्ट कृत्रिम कोशिका झिल्लियों की संरचना को बदल सकते हैं, जो कोशिका की गति, विभाजन और संचार के लिये आवश्यक है।
- गेटकीपिंग (आणविक परिवहन): वे झिल्ली में अस्थायी चैनल का निर्माण करते हैं, जिससे अणुओं को गुजरने की अनुमति मिलती है।
- ये चैनल जीवित कोशिकाओं में प्राकृतिक प्रोटीन-आधारित चैनलों के समान, आवश्यकतानुसार खुल और बंद हो सकते हैं।
कृत्रिम कोशिका क्या है?
- कृत्रिम कोशिकाएँ कृत्रिम संरचनाएँ होती हैं, जो जीवित कोशिकाओं की नकल करती हैं लेकिन कृत्रिम झिल्ली और रसायनों जैसे निर्जीव घटकों से बनी होती हैं।
- निर्माण: सिंथेटिक कोशिकाओं का निर्माण दो मुख्य तरीकों से किया जा सकता है:
- टॉप-डाउन एप्रोच: एक जीवित कोशिका को शुरुआती बिंदु के रूप में उपयोग करते हुए, वैज्ञानिक उन जीनों को हटा देते हैं जो आवश्यक नहीं हैं और केवल आवश्यक कार्यों को छोड़ देते हैं। उदाहरण: माइकोप्लाज्मा माइकोइड्स JCVI-syn3.0 (न्यूनतम सिंथेटिक कोशिका)।
- बॉटम उप एप्रोच: शोधकर्त्ता मुख्य कोशिकीय कार्यों को दोहराने के लिये जैविक और गैर-जैविक अणुओं को मिलाकर ज़मीन से ऊपर तक एक कोशिका जैसी संरचना का निर्माण करते हैं। उदाहरण: GUVs
- अनुप्रयोग:
- औषधि वितरण: कृत्रिम कोशिकाओं का निर्माण संभव है जो औषधियों को विशेष शारीरिक स्थानों तक ले जा सकें।
- बायोमेडिसिन: वे कैंसर जैसी दीर्घकालिक बीमारियों के लिये नवीन चिकित्सा विकसित करने में सहायता कर सकते हैं।
- अंग प्रत्यारोपण: यह जैव-इंजीनियरिंग ऊतकों या अंगों के निर्माण में मदद कर सकता है, तथा दाता अंगों की कमी को दूर कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |