संक्रामक रोगों में लिपिड की भूमिका

प्रीलिम्स के लिये:

लिपिड्स, माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस के बारे में

मेन्स के लिये: 

संक्रामक रोगों में लिपिड की भूमिका

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (Indian Institutes of Technology- Bombay) के शोधकर्त्ताओं द्वारा जैविक रूप से सक्रिय लिपिड अणुओं (Active Lipid Molecule) का उपयोग रासायनिक जीव विज्ञान उपकरण के रूप में किया जा रहा है ताकि रोग पैदा करने में उनकी जैविक भूमिका को समझा जा सके। 

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि शोधकर्त्ता इस लिपिड का उपयोग माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacteria Tuberculosis- Mtb) से कर रहे हैं।
  • होस्ट (Host) और रोगजनक (Pathogens) की अन्योन्य क्रिया में शामिल महत्त्वपूर्ण तंत्रों में लिपिड की भूमिका का पता लगाया जा रहा है। 
  • होस्ट झिल्ली और संबंधित कोशिकाओं (मानव की) पर ‘माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस’ लिपिड की क्रियाओं का महत्त्वपूर्ण तंत्र है। यह तंत्र झिल्ली-आरोपित बैक्टीरिया की उत्तरजीविता, रोगजनन और दवा प्रतिरोध में ‘माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस’ लिपिड के कार्य की समझ को बढ़ाता है। 
  • वैज्ञानिकों द्वारा ड्रग और मेम्ब्रेन की आपसी अंतर्क्रिया में ‘माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस’ लिपिड की भूमिका की भी जाँच की जा रही है। उल्लेखनीय है कि लिपिड ड्रग प्रसार, विभाजन और संचय को प्रभावित करने वाली झिल्लियों के साथ दवाओं की आण्विक अंतर्क्रिया को गंभीर रूप से निर्देशित करते हैं।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा माइकोबैक्टीरियल लिपिड के लिये विशिष्ट झिल्ली संरचनाएँ भी विकसित की गई हैं जो टीबी से संबंधित दवाओं की अंतर्क्रिया हेतु ‘कोशिकाहीन’ प्लेटफार्म के रूप में कार्य कर सकती हैं। ये निम्नलिखित क्रियाओं में मदद प्रदान करेंगी। 
    • भविष्य के एंटीबायोटिक डिज़ाइन के लिये माइकोबैक्टीरियल (क्षय रोग का प्रेरक एजेंट) विशिष्ट झिल्ली के साथ एंटीबायोटिक अंतर्क्रिया की जाँच करना।
    • पहले से मौज़ूद एंटी-टीबी ड्रग अणुओं की प्रभावशीलता में वृद्धि करना और नए ड्रग अणुओं के विकास को बढ़ावा देना। 
    • रोगजनक कारकों से ग्रसित होस्ट के कोशिकीय मार्गों की जाँच और तपेदिक में संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों को स्पष्ट करना। 

लिपिड्स (Lipids):

  • लिपिड शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ब्लोर नामक वैज्ञानिक ने किया था। 
  • रासायनिक दृष्टि से लिपिड वसीय अम्ल तथा ग्लिसराॅल के एस्टर होते हैं। इनमें ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा कम होती है। 
    • कार्बनिक अम्ल+एल्कोहल= एस्टर
  • लिपिड ऐसे अणु होते हैं जिनमें हाइड्रोकार्बन होते हैं तथा जीवित कोशिकाओं की संरचना और कार्य के निर्माण खंडों को बनाते हैं।
  • लिपिड्स कोशिका झिल्ली के गुणों में परिवर्तन करने में  एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • किसी संक्रमण और रोग के दौरान लिपिड्स विखंडित हो जाते हैं तथा रोगजनक (Pathogens) अपने अस्तित्व और संक्रमण हेतु कोशिका झिल्ली का दोहन करते हैं। 
  • लिपिड का प्रयोग कॉस्मेटिक और खाद्य उद्योगों के साथ-साथ नैनो तकनीक में भी किया जाता है। 

स्रोत- पीआईबी