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भारतीय संसद में गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों की अस्वीकृति

  • 02 Jan 2025
  • 9 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल के वर्षों में, संसद सदस्यों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिये महत्त्वपूर्ण गैर-सरकारी विधेयकों को सीमित समय आवंटन के कारण भारत की संसद में अस्वीकृत कर दिया गया है। 

गैर-सरकारी सदस्यों का विधेयक क्या है?

  • परिचय: गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक उन सांसदों द्वारा प्रस्तावित किये जाते हैं जो मंत्री नहीं होते (अर्थात सरकार का हिस्सा नहीं होते), जिससे उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर कानून या संशोधन प्रस्तुत करने की अनुमति मिलती है।
  • मुख्य विशेषताएँ: केवल गैर-सरकारी सदस्य ही इन विधेयकों को प्रस्तुत कर सकते हैं, जिससे स्वतंत्र विधायी प्रस्तावों को अवसर मिलता है।
    • सांसद विशिष्ट मामलों पर ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रस्ताव भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • प्रक्रिया: 
    • प्रस्ताव तैयार करना और नोटिस देना: सांसद कम से कम एक महीने के नोटिस पर विधेयक का प्रस्ताव तैयार करते हैं और उसे प्रस्तुत करते हैं।
    • परिचय: विधेयक संसद में पेश किये जाते हैं, उसके बाद प्रारंभिक चर्चा होती है।

    • बहस: यदि चयन हो जाता है, तो विधेयकों पर बहस की जाती है, आमतौर पर शुक्रवार दोपहर को सीमित सत्रों में।

    • निर्णय: विधेयक वापस लिये जा सकते हैं या मतदान के लिये आगे बढ़ाए जा सकते हैं।

  • महत्त्व: ये विधेयक सांसदों को दलीय दबाव के बिना, प्रायः महत्त्वपूर्ण या विवादास्पद मुद्दों पर अपनी बात कहने का मंच प्रदान करते हैं।

    • इसका एक ऐतिहासिक उदाहरण वर्ष 1966 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद एच.वी. कामथ द्वारा प्रस्तुत विधेयक है, जिसमें संविधान में संशोधन करके केवल लोकसभा सदस्यों को ही प्रधानमंत्री पद के लिये पात्र बनाने का प्रयास किया गया था।
    • स्वतंत्रता के बाद से अब तक केवल 14 गैर-सरकारी विधेयक पारित किये गये हैं, तथा वर्ष 1970 के बाद से कोई भी विधेयक पारित नहीं हुआ है।

सरकारी विधेयक बनाम गैर-सरकारी विधेयक

सरकारी विधेयक

गैर-सरकारी विधेयक

इसे संसद में एक मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

यह मंत्री के अतिरिक्त किसी अन्य सांसद द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

यह सरकार की नीतियों को प्रदर्शित करता है।

यह विपक्ष की नीतियों को प्रदर्शित करता है।

संसद में इसके पारित होने की संभावना अधिक होती है।

संसद में इसके पारित होने के संभावना कम होती है।

संसद द्वारा सरकारी विधेयक अस्वीकृत होने पर सरकार को इस्तीफा देना पड़ सकता है।

इसके अस्वीकृत होने पर सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

सरकारी विधेयक को संसद में पेश होने के लिये सात दिनों का नोटिस होना चाहिये।

इस विधेयक को संसद में पेश करने के लिये एक महीने का नोटिस होना चाहिये

इसे संबंधित विभाग द्वारा विधि विभाग के परामर्श से तैयार किया जाता है।

इसे संबंधित सदस्य द्वारा तैयार किया जाता है।

सरकारी सदस्यों के विधेयकों में कमी क्यों आई है?

  • समय की कमी: PRS लेज़िस्लेटिव रिसर्च के आँकड़ों से पता चलता है कि 17वीं लोकसभा में गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों पर सिर्फ 9.08 घंटे जबकि राज्य सभा में 27.01 घंटे का व्यय हुआ, जो कुल सत्र के घंटों का एक अंश है।
    • 18वीं लोकसभा के दो सत्रों में निचले सदन में ऐसे विधेयकों पर केवल 0.15 घंटे तथा राज्य सभा में 0.62 घंटे व्यय किये गए, तथा प्रस्तावों पर सबसे कम समय लगा।
    • शुक्रवार को गैर-सरकारी सदस्यों के कार्य की तिथि निर्धारित होने से चर्चा सीमित हो जाएगी, क्योंकि कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में चले जाएँगे, जिससे चर्चा के लिये समय और कम हो जाएगा।
    • इन विधेयकों की लोकप्रियता में गिरावट का कारण सांसदों की गंभीरता की कमी को माना जा सकता है, क्योंकि कई सांसद चर्चाओं में भाग ही नहीं लेते।
  •  गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों को पुनः शुरू करना:  गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों को सप्ताह के मध्य में स्थानांतरित करने से भागीदारी और चर्चा को बढ़ावा मिल सकता है।
    • सांसदों को उनके प्रस्तावित उपायों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना तथा संसद में स्वतंत्र भाषण के मौलिक अधिकार की रक्षा करना।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स: 

भारत की संसद् के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. गैर-सरकारी विधेयक ऐसा विधेयक है जो संसद् के ऐसे सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है जो निर्वाचित नहीं है किन्तु भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट है।
  2. हाल ही में, भारत की संसद् के इतिहास में पहली बार एक गैर-सरकारी विधेयक पारित किया गया है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या: 

  • कानून बनाने की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में विधेयक पेश किये जाने से शुरू होती है। विधेयक को मंत्री या मंत्री के अलावा कोई अन्य सदस्य पेश कर सकता है। पहले मामले में इसे सरकारी विधेयक कहा जाता है और दूसरे मामले में इसे गैर-सरकारी सदस्य का विधेयक कहा जाता है।
  • दूसरे शब्दों में, एक गैर-सरकारी सदस्य का विधेयक किसी मंत्री के अलावा संसद के किसी भी सदस्य (निर्वाचित या मनोनीत) द्वारा पेश किया जा सकता है। इसे पेश करने से पहले एक महीने की नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है। इसका मसौदा तैयार करना उस सदस्य की एकमात्र ज़िम्मेदारी है जो विधेयक पेश करता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • संसद द्वारा पारित पहला गैर-सरकारी विधेयक मुस्लिम वक्फ विधेयक, 1952 था, जिसका उद्देश्य वक्फों का बेहतर शासन और प्रशासन प्रदान करना था। इसे वर्ष 1954 में पारित किया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है। 
  • वर्ष 2015 में राज्य सभा द्वारा पारित ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2014 पिछले 45 वर्षों में राज्य सभा की स्वीकृति पाने वाला पहला गैर-सरकारी विधेयक बन गया। अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।

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