सूडान में गृह युद्ध | 11 Oct 2024

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) द्वारा खार्तूम और बहरी में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के खिलाफ हमला शुरू करने से कई महीनों से शांत रहा संघर्ष फिर से शुरू हो गया।

  • यह हमला 18 महीने से अधिक समय से चल रहे गृहयुद्ध के बीच हुआ है, जिसमें अक्टूबर 2024 तक 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 11 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं।

सूडान में गृह युद्ध का क्या कारण है?

  • यह युद्ध SAF नेता अब्देल फतह अल-बुरहान और RSF नेता हमदान दगालो (हेमेदती) के बीच सत्ता संघर्ष में निहित है।
  • इसकी शुरुआत खार्तूम में हुई थी लेकिन यह ओमदुरमान, बहरी, पोर्ट सूडान और दारफुर तथा कोर्डोफन राज्यों जैसे अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित हो गया।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • एंग्लो-मिस्र कॉन्डोमिनियम के दौरान सूडान, मिस्र और ब्रिटेन के अधीन एक संयुक्त संरक्षित राज्य था।
    • सूडान को वर्ष 1956 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा उसे उत्तर में धनी अरब मुस्लिमों और दक्षिण में ईसाई/एनिमिस्ट से आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
    • दो प्रमुख गृह युद्धों, प्रथम (वर्ष 1955-1972) और द्वितीय (वर्ष 1983-2005) के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई, अत्याचार हुए और अंततः वर्ष 2011 में दक्षिण सूडान अलग हो गया।
    • वर्ष 2005 में दूसरा गृह युद्ध शांति समझौते के साथ समाप्त हो गया लेकिन तनाव और आंतरिक संघर्ष (विशेष रूप से दारफुर में) बना रहा।
  • उमर अल-बशीर का शासन:
    • बशीर ने वर्ष 1989 में तख्तापलट के जरिये सत्ता हासिल की और 30 वर्षों तक सूडान पर शासन किया।
    • इसके शासन में शरिया कानून को लागू किया गया, विद्रोहियों से लड़ने के लिये निजी मिलिशिया (जंजावीद) का इस्तेमाल किया गया तथा अल्पसंख्यक धर्मों पर अत्याचार किया गया।
    • दारफुर में नरसंहार के लिये इसके शासन की निंदा की गई, इसमें विशेष रूप से फुर, ज़गहवा और मसलित जैसे गैर-अरब समूहों को निशाना बनाया गया।
    • बशीर का तख्तापलट:
      • वर्ष 2019 तक बशीर के दमनकारी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तीव्र हो गए, जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल में SAF और RSF दोनों द्वारा समर्थित तख्तापलट द्वारा उसे हटा दिया गया।
      • इसके तख्तापलट के बाद सूडान सैन्य और नागरिक नेतृत्व के तहत एक संक्रमणकालीन चरण में शामिल हो गया।
  • RSF की उत्पत्ति और शक्ति:
    • RSF का उदय जन-जावेद मिलिशिया से हुआ, जो दारफुर संघर्ष में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा, जो व्यापक अत्याचारों के लिये ज़िम्मेदार माना जाता है।
    • औपचारिक रूप से 2013 में संगठित RSF ने विशेष रूप से सोने की खदानों पर नियंत्रण के माध्यम से धन प्राप्त किया।
  • संक्रमणकालीन सरकार:
    • बशीर के पतन के बाद, एक संक्रमणकालीन संप्रभुता परिषद का गठन किया गया।
    • प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक, एक नागरिक नेता, आर्थिक स्थिरता चाहते थे, लेकिन वर्ष 2021 में SAF और RSF के नेतृत्व में हुए तख्तापलट ने उन्हें हटा दिया। बाद में उनके इस्तीफे के पश्चात् सूडान में प्रभावी नागरिक नेतृत्व नहीं रह गया।
    • दिसंबर 2022 के समझौते:
      • दिसंबर 2022 के समझौते में नागरिक शासन के लिये दो वर्ष के संक्रमण की रूपरेखा तैयार की गई थी।
      • हालाँकि सशस्त्र बलों में RSF के एकीकरण को लेकर तनाव उत्पन्न हो गया तथा बुरहान और हेमेदती के बीच समयसीमा पर असहमति उत्पन्न हुई।
    • वैगनर ग्रुप जैसे विदेशी तत्वों की संलिप्तता और संयुक्त अरब अमीरात से प्राप्त सैन्य सहायता ने संघर्ष को और जटिल बना दिया है, जिससे इसका समाधान कठिन हो गया है।

सूडान में निरंतर संघर्ष के क्या कारण हैं?

  • सत्ता संघर्ष: SAF और RSF दोनों ही सत्ता को सुदृढ़ करने के लिये दृढ़ संकल्प हैं, प्रत्येक गुट दूसरे पर प्रभुत्व चाहता है। 
    • SAF का दावा है, कि वह वैध सरकार है, जबकि RSF इसे चुनौती दे रहा है।
  • शस्त्र आपूर्ति: वर्ष 2004 के डारफूर संकट के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा शस्त्र प्रतिबंध के बावज़ूद, देश में शस्त्रों का प्रवाह जारी है। 
    • उन्नत सैन्य उपकरण, प्रायः रूस, चीन और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आपूर्ति किये जाते हैं।
  • जातीय तनाव: संघर्ष ने जातीय आयाम ले लिया है। 
    • उदाहरण के लिये दारफुर में अरब मिलिशिया RSF का समर्थन करते हैं, जबकि मसलित जैसे गैर-अरब समुदाय SAF का समर्थन करते हैं। 
  • विदेशी हस्तक्षेप: प्रत्येक पक्ष को बाह्य समर्थन प्राप्त हो रहा है, जिससे समझौता करने या शांति स्थापित करने की उनकी प्रेरणा कम हो रही है।
  • असफल शांति वार्ता: कई युद्ध विराम के प्रयासों के बावजूद, विशेष रूप से सऊदी अरब और अमेरिका द्वारा जेद्दा घोषणा (वर्ष 2023) जैसे प्रयासों के बावजूद, कोई भी सफल नहीं हुआ है।