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असम में भैंसों एवं बुलबुल की पारंपरिक लड़ाइयाँ

  • 10 Feb 2024
  • 2 min read

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

माघ बिहू त्योहार के दौरान पारंपरिक भैंसा और बुलबुल की लड़ाई को पुनर्जीवित करने के कारण असम सरकार के प्रयासों को पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) से कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने इन दोनों प्रथाओं पर रोक लगाने के लिये गोहाटी उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

  • असमिया शीतकालीन फसल त्योहार, माघ बिहू से जुड़ी लोक संस्कृति का भाग के रूप में ये लड़ाइयाँ पशु क्रूरता पर वर्ष 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद बंद कर दिये गए थे।
  • हालाँकि वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन की अनुमति दी, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हुई।
    • निर्दिष्ट अवधि के बाद निर्धारित भैंसों की लड़ाई पर हाल ही में हुए विवाद ने कानूनी हस्तक्षेप को प्रेरित किया है।
  • यह मुद्दा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और आधुनिक समाज में नैतिक चिंताओं को संबोधित करने के मध्य तनाव पर प्रकाश डालता है।

और पढ़ें… फसल त्यौहार, जल्लीकट्टू, कंबाला

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