एशियाई स्याहगोश | 17 Sep 2022
एशियाई चीते के समरूप दिखने वाला तथा भारत के कुलीन वर्ग द्वारा तरह खेल में इस्तेमाल किया जाने वाला एशियाई स्याहगोश/कैरॅकेल अपने अस्तित्त्व के लिये संघर्ष कर रहा है, हालाँकि चीते और स्याहगोश की अतीत में लगभग समान आबादी थी।
स्याहगोश (Caracal):
- वैज्ञानिक नाम: कैरॅकेल कैरॅकेल श्मिट्ज़ी
- परिचय:
- एशियाई स्याहगोश मध्यम आकार की और भारत में स्थानीय रूप से संकटग्रस्त कैट स्पीशीज/प्रजाति है, जिसके व्यापक रूप से भारत में विलुप्त होने की सूचना है।
- इसे इसके फारसी नाम सियाहगोश या 'ब्लैक ईयर' से भी जाना जाता है।
- विस्तार:
- वे ज़्यादातर राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के क्रमशः कच्छ, मालवा पठार, अरावली पहाड़ी शृंखला में पाए जाते हैं।
- भारत के अलावा स्याहगोश/कैरॅकेल अफ्रीका, मध्य-पूर्व, मध्य और दक्षिण एशिया के कई देशों में पाया जाता है।
- प्राकृतिक वास:
- इनका प्राकृतिक वास अर्द्ध-रेगिस्तानी परिदृश्य, सवाना, झाड़ीदार भूमि, शुष्क वन और नम आर्द्रभूमि या सदाबहार वनों में होता है।
- यह खुले, शुष्क और झाड़ीदार प्राकृतिक वास में रहता है।
- खतरे:
- बड़े पैमाने पर शिकार, अवैध व्यापार और प्राकृतिक आवासों के नुकसान को प्रजातियों के लिये गंभीर खतरा माना जाता है।
- सुरक्षा स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंतनीय
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची 1
- CITES: परिशिष्ट I
- संरक्षण पहल:
- 2021 में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कैरॅकेल/स्याहगोश को गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रिकवरी कार्यक्रम के तहत गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल किया।।
प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम:
- यह वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास (IDWH) योजना के तीन घटकों में से एक है।
- IDWH को वर्ष 2008-2009 में केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया। यह संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों, संरक्षण रिज़र्व और बाघ अभयारण्यों को छोड़कर सामुदायिक रिज़र्व), संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यजीवों की सुरक्षा और गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के प्राकृतिक वासों को सुरक्षित करने के लिये रिकवरी कार्यक्रमों को सहायता प्रदान करने हेतु शुरू किया गया था।
- गंभीर रूप से संकटापन्न प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम में 22 प्रजातियाँ हैं।
- स्नो लेपर्ड, बस्टर्ड (फ्लोरिकन सहित), डॉल्फिन, हंगुल, नीलगिरि तहर, समुद्री कछुए, डुगोंग, एडिबल नेस्ट स्विफ्टलेट, एशियाई जंगली भैंस, निकोबार मेगापोड, मणिपुर ब्रो-एंटलर्ड हिरण, गिद्ध, मालाबार सिवेट, भारतीय गैंडा, एशियाई शेर, दलदल हिरण, जेर्डन कौरसर, उत्तरी नदी टेरापिन, क्लाउडेड लेपर्ड, अरब सागर हंपबैक व्हेल, रेड पांडा और काराकल।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से कौन-से स्वाभाविक रूप से भारत में पाए जातें हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |