बांधवगढ़ के जंगलों में मिली बौद्ध गुफाएँ | 29 Sep 2022
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में बौद्ध गुफाओं और स्तूपों की खोज की है।
प्रमुख बिंदु
- बौद्ध गुफाएँ:
- बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय से संबंधित 26 बौद्ध गुफाओं को खोजा गया है, जो दूसरी और 5वीं शताब्दी की हैं।
- गुफाओं और उनके कुछ अवशेषों में 'चैत्य' (गुंबद) दरवाज़ और पत्थर के बिस्तर थे जो महायान बौद्ध स्थलों में विशिष्ट थे।
- ब्राह्मी लिपि में शिलालेख:
- ब्राह्मी लिपि में 24 शिलालेख हैं, जो सभी दूसरी-पाँचवीं शताब्दी के हैं।
- शिलालेखों में मथुरा और कौशांबी, पावता, वेजबरदा एवं सपतनैरिका जैसे स्थलों का उल्लेख है।
- वे जिन राजाओं का उल्लेख करते हैं उनमें भीमसेना, पोथासिरी और भट्टदेव शामिल हैं।
- मंदिरों के अवशेष:
- 9वीं-11वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल के 26 मंदिरों के अवशेष और संभवत: दुनिया की सबसे बड़ी वराह मूर्तिकला भी इसी अवधि की है।
- कलचुरी राजवंश जो गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला है, सबसे पुराने एलोरा और एलीफेंटा गुफा स्मारकों से भी जुड़ा है।
- वराह मूर्ति भगवान विष्णु के 10 अवतारों की कई अखंड मूर्तियों में से एक है।
- दो शैव मठ भी मिले हैं।
- 9वीं-11वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल के 26 मंदिरों के अवशेष और संभवत: दुनिया की सबसे बड़ी वराह मूर्तिकला भी इसी अवधि की है।
- गुप्त काल के अवशेष:
- गुप्त काल के कुछ अवशेष, जैसे कि दरवाज़े के जाम और गुफाओं में नक्काशी ंपाई गई है।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के प्रमुख बिंदु:
- विषय:
- वर्ष 1968 में, इसे एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1993 में निकटवर्ती पनपथा अभयारण्य में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत एक बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
- ऐतिहासिक महत्त्व : इसका उल्लेख 'नारद पंचात्र' और 'शिव पुराण' की प्राचीन पुस्तकों में पाया जा सकता है कि इस स्थान को रामायण से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
- बांधवगढ़ किला "त्रेता युग" (हिंदू धर्म में मानव जाति के युगों में से एक) की एक महान कृति है।
- यह सेंगर, कलचुरी और बघेल (माना जाता है कि इन्होने लंबे समय तक क्षेत्रों पर शासन किया) सहित प्रमुख राजवंशों द्वारा शासित था।
- भौगोलिक पहलू: यह मध्य प्रदेश की बिल्कुल उत्तर-पूर्वी सीमा और सतपुड़ा पर्वत शृंखलाओं के उत्तरी किनारों पर स्थित है।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु क्षेत्र।
- जलधाराएँ: इससे होकर 20 से अधिक जलधाराएँ बहती हैं जिनमें से कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण धाराएँ हैं जैसे- जोहिला, जनाध, चरणगंगा, दमनर, बनबेई, अंबानाला और अंधियारी झिरिया। ये धाराएँ फिर सोन नदी (गंगा नदी की एक महत्त्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी) में मिल जाती हैं।
- जैवविविधता: कोर ज़ोन में बाघों की काफी अधिक संख्या है। यहाँ स्तनधारियों की 22 से अधिक प्रजातियाँ और पक्षियों की 250 प्रजातियाँ हैं।
- अन्य प्रजातियाँ : एशियाई सियार, बंगाली लोमड़ी, स्लॉथ बियर, धारीदार लकड़बग्घा, तेंदुआ और बाघ, जंगली सुअर, नीलगाय, चिंकारा एवं गौर।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण:
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय के तहत राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
- यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के स्थानों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।