भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रगति | 01 Jun 2024
स्रोत: द हिंदू
दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में प्रवेश कर चुका है और पूर्वोत्तर भारत के अधिकाँश भागों में आगे बढ़ रहा है, जो उपमहाद्वीप में वर्षा ऋतु के आगमन का संकेत है।
- दक्षिण-पश्चिम मॉनसून दक्षिण-पश्चिम अरब सागर के शेष भागों, पश्चिम मध्य अरब सागर के कुछ भागों, दक्षिण-पूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र के अधिकांश भागों में भी आगे बढ़ गया है।
- चक्रवाती परिसंचरण के कारण पूर्वोत्तर भारत तथा दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ भागों में हल्की से मध्यम वर्षा और कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गई है।
- उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में ग्रीष्म लहर/हीट वेव की गंभीर स्थिति बनी हुई है तथा आने वाले दिनों में इस स्थिति में कुछ सुधार होने की संभावना है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून एक मौसमी वायु पैटर्न पर आधारित है जो भारत में जून माह के आसपास आता है और सितंबर तक रहता है, इसके परिणामस्वरूप भारत के अधिकांश भागों में वर्षा होती है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून भारतीय कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वार्षिक वर्षा का लगभग 70% इसी से प्राप्त होता है।
- भूमि और जल के बीच तापमान का अंतर भारत पर निम्न दाब और आसपास के समुद्रों पर उच्च दाब की स्थिति निर्मित करता है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून के निर्माण को प्रभावित करता है।
- इसके अलावा, मानसून निर्माण को प्रभावित करने वाले अन्य कारक हैं- अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र, अफ्रीकी पूर्वी जेट (AEJ), हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) और अल-नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO)।
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