भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में सतत् पर्यटन को बढ़ावा देना
- 28 Mar 2025
- 27 min read
यह एडिटोरियल 27/03/2024 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “Lessons from Turkey in sustainable tourism” पर आधारित है। इस लेख में सांस्कृतिक पर्यटन के प्रति तुर्की के संतुलित दृष्टिकोण को सामने लाया गया है, जहाँ सुदृढ़ संस्थागत ढाँचे विरासत संरक्षण और सतत् विकास दोनों को सुनिश्चित करते हैं।
प्रिलिम्स के लिये:सांस्कृतिक पर्यटन, सतत् विकास, भारत का यात्रा और पर्यटन क्षेत्र, स्वदेश दर्शन, PRASHAD, सतत् पर्यटन के लिये राष्ट्रीय रणनीति, SAATHI, अतुल्य भारत, इको-टूरिज़्म मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन क्षेत्र की भूमिका, भारत में पर्यटन से जुड़े प्रमुख मुद्दे। |
सांस्कृतिक पर्यटन के प्रति तुर्की का दृष्टिकोण विरासत संरक्षण और सतत् विकास के समग्र मॉडल का उदाहरण है। सुदृढ़ संस्थागत कार्यढाँचे को लागू करके, तुर्की ने ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और पर्यटन विकास के बीच सफलतापूर्वक संतुलन बनाया है, हाल के वर्षों में पुरातात्त्विक उत्खनन 670 से बढ़कर 720 हो गया है। भारत के लिये, यह एक महत्त्वपूर्ण खाका है: सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध होने के बावजूद, भारत को सांस्कृतिक पर्यटन के लिये अधिक संरचित, समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करना चाहिये, संस्थागत कार्यढाँचे, पेशेवर प्रशिक्षण और स्थायी आगंतुक प्रबंधन में निवेश करना चाहिये ताकि इसकी अपार पर्यटन क्षमता को वास्तव में उजागर किया जा सके।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन क्षेत्र की क्या भूमिका है?
- आर्थिक इंजन और रोज़गार गुणक: पर्यटन आय, रोज़गार और विदेशी मुद्रा उत्पन्न करके भारत के सेवा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- आतिथ्य, परिवहन, हस्तशिल्प और कृषि जैसे क्षेत्रों के साथ इसके सुदृढ़ अग्रिम और पश्चवर्ती संबंध हैं। श्रम-प्रधान होने के कारण, यह अनौपचारिक श्रमिकों से लेकर विशेषज्ञ पेशेवरों तक के कौशल की एक विस्तृत शृंखला को समायोजित करता है।
- पर्यटन MSME और स्टार्टअप विकास को भी बढ़ावा देता है, विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में।
- भारत के यात्रा और पर्यटन क्षेत्र ने वर्ष 2022 में सकल घरेलू उत्पाद में 199.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया और वर्ष 2028 तक 512 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। वर्ष 2029 तक इससे 53 मिलियन नौकरियाँ सृजित होने की उम्मीद (WTTC) है।
- आतिथ्य, परिवहन, हस्तशिल्प और कृषि जैसे क्षेत्रों के साथ इसके सुदृढ़ अग्रिम और पश्चवर्ती संबंध हैं। श्रम-प्रधान होने के कारण, यह अनौपचारिक श्रमिकों से लेकर विशेषज्ञ पेशेवरों तक के कौशल की एक विस्तृत शृंखला को समायोजित करता है।
- सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति: पर्यटन सॉफ्ट पावर का एक महत्त्वपूर्ण साधन है, जो भारत की सांस्कृतिक गहनता, आध्यात्मिक विविधता और सभ्यतागत लोकाचार को प्रदर्शित करके वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को बढ़ाता है। यह लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देता है और अन्य देशों के साथ सद्भावना का निर्माण करता है।
- कार्यक्रम, सांस्कृतिक उत्सव और फिल्म पर्यटन भारत के कूटनीतिक संबंधों को मज़बूत करते हैं। प्रवासी और धार्मिक सर्किट सांस्कृतिक पुल के रूप में कार्य करते हैं।
- वर्ष 2023 में 26.52% विदेशी पर्यटक प्रवासी संबंध के लिये भारत आए। UAE, वियतनाम और कज़ाकिस्तान जैसे देशों के साथ फिल्म शूटिंग एवं टूरिज़्म टाई-अप्स तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
- क्षेत्रीय विकास और सामाजिक समावेशन के लिये साधन: पर्यटन दूरस्थ, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में निवेश एवं बुनियादी अवसंरचना सुनिश्चित कर संतुलित क्षेत्रीय विकास को सक्षम बनाता है।
- यह सीमांत समुदायों के लिये होमस्टे, स्थानीय व्यंजनों और सांस्कृतिक शिल्प के माध्यम से आय के अवसरों का सृजन करता है। PRASHAD और स्वदेश दर्शन जैसी योजनाएँ पिछड़े क्षेत्रों को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में लाने में मदद करती हैं।
- स्वदेश दर्शन और PRASHAD के अंतर्गत 76 परियोजनाओं और 46 धार्मिक स्थलों को मंजूरी दी गई है, जिनमें पूर्वोत्तर भारत और ग्रामीण आंध्र प्रदेश की परियोजनाएँ शामिल हैं।
- बुनियादी अवसंरचना के विकास के लिये उत्प्रेरक: पर्यटन की मांग सड़कों, हवाई अड्डों, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वच्छता और शहरी गतिशीलता में सुधार को बढ़ावा देती है। इन विकासों से स्थानीय आबादी और व्यवसायों को लाभ होता है।
- आतिथ्य, परिवहन और सांस्कृतिक संरक्षण में निजी निवेश और PPP मॉडल बढ़ रहे हैं। प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्र एकीकृत विकास के केंद्र बन रहे हैं।
- उत्तराखंड और अयोध्या जैसे राज्यों में पर्यटन आधारित बुनियादी अवसंरचना का तेज़ी से उन्नयन किया गया है।
- नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा: पर्यटन ने तकनीक-संचालित स्टार्टअप्स में वृद्धि की है, जो क्यूरेटेड अनुभव, AI-आधारित यात्रा योजना और डिजिटल बुकिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।
- यह इको-टूरिज़्म, ग्रामीण प्रवास और अनुभवात्मक यात्रा जैसे क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देता है। विशेष रूप से टियर-2/3 शहरों के युवा सरकार द्वारा समर्थित इनक्यूबेटर और एक्सेलरेटर के माध्यम से इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
- विलोटेल और हाईवे डिलाइट जैसे प्लेटफॉर्म ग्रामीण व राजमार्ग पर्यटन को सक्षम बना रहे हैं।
- यह इको-टूरिज़्म, ग्रामीण प्रवास और अनुभवात्मक यात्रा जैसे क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देता है। विशेष रूप से टियर-2/3 शहरों के युवा सरकार द्वारा समर्थित इनक्यूबेटर और एक्सेलरेटर के माध्यम से इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
- सतत् विकास लक्ष्यों को गति: पर्यटन कई सतत् विकास लक्ष्यों— गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, संधारणीय समुदाय और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ है।
- यह संधारणीय तरीके से नियोजित होने पर कम पारिस्थितिक पदचिह्नों के साथ आर्थिक विकास को सक्षम बनाता है। सचेत विलासिता, इको-रिसॉर्ट और समुदाय-आधारित पर्यटन बढ़ रहे हैं।
- सतत् पर्यटन के लिये राष्ट्रीय रणनीति और SAATHI जैसी योजनाएँ पर्यावरण प्रमाणन एवं स्वच्छता अनुपालन को बढ़ावा देती हैं। वर्ष 2022 में घरेलू पर्यटकों के खर्च में 20.4% की वृद्धि हुई, जो हरित सुधार को दर्शाता है।
- महामारी के बाद समुत्थानशक्ति और रिकवरी का चालक: पर्यटन ने डिजिटल परिवर्तन, स्वास्थ्य-आधारित यात्रा और बढ़ते घरेलू फुटफॉल के माध्यम से कोविड के बाद अनुकूलनशीलता का प्रदर्शन किया है। इसने अनौपचारिक क्षेत्रों में आजीविका का समर्थन किया है और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित किया है।
- भारत में घरेलू पर्यटन में उछाल से आंतरिक मांग-संचालित वृद्धि की उच्च संभावना का पता चलता है।
- वर्ष 2022 में डोमेस्टिक टूरिज़्म में तेज़ी से वृद्धि हुई, घरेलू आगंतुकों का खर्च 20.4% बढ़ा। केरल में योग रिट्रीट और अयोध्या के होटल बूम जैसे वेलनेस एवं आध्यात्मिक पर्यटन मज़बूत मांग का संकेत देते हैं।
भारत में पर्यटन से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- महामारी के बाद भारत के पर्यटन में धीमी गति से सुधार: वैश्विक स्तर पर सुधार के बावजूद, स्वास्थ्य सुरक्षा चिंताओं, जटिल वीज़ा नियमों और प्रभावी ब्रांडिंग की कमी के कारण भारत में संभावित पर्यटन में सुधार की गति धीमी रही है।
- कई संभावित यात्री सुरक्षित और अधिक सुलभ माने जाने वाले गंतव्यों की ओर चले गए। असंगत संदेश और पुरानी डिजिटल वीज़ा प्रणाली ने हिचकिचाहट को और बढ़ा दिया।
- इससे प्रतिस्पर्द्धी वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में भारत की स्थिति कमज़ोर होती है।
- उदाहरण के लिये, भारत के मेडिकल वैल्यू टूरिज़्म (MVT) क्षेत्र को नवंबर और दिसंबर 2024 में 43% की गिरावट का सामना करना पड़ा।
- यद्यपि कतर, दुबई और वियतनाम ने पूर्व-महामारी मानकों को पार कर लिया है।
- कई संभावित यात्री सुरक्षित और अधिक सुलभ माने जाने वाले गंतव्यों की ओर चले गए। असंगत संदेश और पुरानी डिजिटल वीज़ा प्रणाली ने हिचकिचाहट को और बढ़ा दिया।
- कमज़ोर बुनियादी अवसंरचना और गंतव्य की तैयारी: कई पर्यटन स्थल निम्नस्तरीय भौतिक बुनियादी अवसंरचना— खराब सड़कें, स्वच्छता की कमी, अविश्वसनीय बिजली और लास्ट माइल कनेक्टिविटी की कमी से ग्रस्त हैं।
- यहाँ तक कि प्रमुख स्थलों पर भी प्रायः पर्यटक सूचना केंद्र, बहुभाषी साइनेज और आपातकालीन सेवाओं का अभाव होता है। इससे आगंतुकों का अनुभव खराब होता है और उच्च मूल्य वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्री हतोत्साहित होते हैं।
- निधि के तहत केवल 48,775 आवास इकाइयाँ पंजीकृत हैं और 11,220 SAATHI-प्रमाणित हैं। ग्रामीण, तटीय और पूर्वोत्तर सर्किटों में क्षमता के बावजूद बुनियादी अवसंरचना की कमी बनी हुई है।
- कम वैश्विक दृश्यता और अप्रभावी ब्रांडिंग: भारत का पर्यटन प्रचार वैश्विक प्रतिस्पर्द्धियों के साथ तालमेल नहीं रख पाया है जो प्रभावी विपणन और गंतव्य ब्रांडिंग में भारी निवेश करते हैं। जबकि ‘अतुल्य भारत’ प्रतिष्ठित बना हुआ है, इसकी गति कम हो गई है।
- सतत् डिजिटल और घटना-आधारित विपणन का अभाव, आधुनिक, सुरक्षित एवं जीवंत गंतव्य के रूप में भारत की छवि को नुकसान पहुँचाता है।
- जॉर्जिया, अज़रबैजान और कज़ाकिस्तान जैसे देशों ने डिजिटल अभियानों, वीज़ा को आसान बनाने तथा कार्यक्रमों की मेज़बानी करके लोकप्रियता हासिल की है, जबकि भारत का वैश्विक विपणन खर्च मामूली बना हुआ है।
- पर्यावरणीय क्षरण और अति-पर्यटन: पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अनियंत्रित पर्यटक प्रवाह के कारण जैव-विविधता का ह्रास, प्रदूषण और स्थानीय समुदायों पर तनाव उत्पन्न हुआ है।
- हिल स्टेशनों व तीर्थ स्थलों पर जल की कमी और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या है। वहन क्षमता अध्ययन एवं विनियामक प्रवर्तन की कमी से संकट और भी गंभीर हो गया है।
- मनाली, शिमला और जोशीमठ में पर्यटकों की आमद के कारण भारी दबाव देखा गया। सतत् पर्यटन के लिये राष्ट्रीय रणनीति लागू की गई है, लेकिन क्रियान्वयन अभी भी अधूरा है।
- कौशल की कमी और सेवा गुणवत्ता में अंतर: आतिथ्य और पर्यटन कार्यबल में प्रायः भाषाओं, ग्राहक सेवा एवं तकनीकी उपकरणों में पर्याप्त प्रशिक्षण का अभाव होता है। इससे पर्यटकों की संतुष्टि और ब्रांड इंडिया पर असर पड़ता है।
- एक व्यवसाय के रूप में पर्यटन अभी भी कई राज्यों में अनौपचारिक और विखंडित है, तथा इसमें संरचित कौशल विकास की व्यवस्था बहुत कम है।
- पर्यटन मंत्रालय ने 145 गंतव्यों पर 12,187 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है, लेकिन मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है। टियर-2 और 3 शहरों के सेवा मानक असंगत बने हुए हैं, जिससे बार-बार पर्यटन की संभावना प्रभावित हो रही है।
- विनियामक बाधाएँ और पर्यटन में सुगमता का अभाव: अनुमोदन, लाइसेंसिंग और कर नीतियों में लालफीताशाही पर्यटन स्टार्टअप्स, होटल शृंखलाओं और विदेशी निवेशकों के लिये बाधा के रूप में कार्य करती है।
- जटिल परमिट प्रणाली और अंतर-राज्यीय यात्रा नियम ऑपरेटरों एवं यात्रियों दोनों को निराश करते हैं। ये मुद्दे एक निर्बाध पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत की क्षमता को कमज़ोर करते हैं।
- यद्यपि इस क्षेत्र में 17.26 बिलियन रुपये का FDI (वर्ष 2000-2024) प्रवाहित हुआ। पर्यटन क्षेत्र में पर्याप्त स्टार्टअप के बावजूद, कई लोग अनुपालन संबंधी मुद्दों और इस क्षेत्र में इज़-ऑफ-डूइंग-बिज़नेस की कमी का हवाला देते हैं।
सतत् पर्यटन में इंटरनेशनल केस स्टडीज़ क्या हैं?
- तुर्की – समुदाय-केंद्रित विरासत संरक्षण
- तुर्की ने विरासत संरक्षण को स्थानीय समुदाय की सहभागिता के साथ एकीकृत करके एक समग्र सांस्कृतिक पर्यटन मॉडल विकसित किया है।
- कप्पाडोसिया और इफिसस के आसपास की परियोजनाओं में साइट प्रबंधन में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है तथा पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन अनुभव प्रदान किया जाता है।
- संस्थागत समर्थन से पुरातात्त्विक उत्खनन को बढ़ाने और सांस्कृतिक परिदृश्यों को संरक्षित करने में मदद मिली है।
- कोस्टा रिका– इकोटूरिज़्म का अग्रणी
- इको-लॉज, समुदाय द्वारा संचालित वन पर्यटन और शून्य कार्बन यात्रा विकल्प पर्यावरण एवं ग्रामीण आजीविका दोनों का समर्थन करते हैं। पर्यटन राजस्व को संरक्षण में फिर से निवेश किया जाता है।
- भूटान– उच्च मूल्य, कम प्रभाव वाला पर्यटन
- भूटान ‘उच्च मूल्य, निम्न मात्रा’ पर्यटन रणनीति का पालन करता है जो न्यूनतम दैनिक शुल्क के माध्यम से पर्यटकों की संख्या को सीमित करता है।
- इससे पारिस्थितिक संतुलन, सांस्कृतिक संरक्षण और न्यायसंगत राजस्व वितरण सुनिश्चित होता है।
- न्यूज़ीलैंड– सतत् पर्यटन में माओरी साझेदारी
- न्यूज़ीलैंड अपनी पर्यटन नीतियों में स्वदेशी माओरी मूल्यों (जैसे काइतियाकितांगा या प्रकृति की संरक्षकता) को एकीकृत करता है।
- आगंतुकों को स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण का सम्मान करने के बारे में शिक्षित किया जाता है, जबकि जनजातीय समुदाय पारिस्थितिक पर्यटन उपक्रमों का सह-स्वामित्व और सह-प्रबंधन करते हैं।
- स्लोवेनिया– हरित पर्यटन मॉडल
- स्लोवेनिया ने स्वयं को एक ‘हरित गंतव्य’ के रूप में स्थापित किया है, जो धीमी यात्रा, अपशिष्ट मुक्त प्रथाओं और पर्यटन व्यवसायों के लिये पर्यावरण प्रमाणन को बढ़ावा देता है।
भारत में पर्यटन क्षेत्र की संधारणीयता बढ़ाने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है?
- वहन क्षमता मानदंडों के साथ गंतव्य प्रबंधन योजनाएँ विकसित करना: भारत को साइट-आधारित पर्यटन से गंतव्य-आधारित योजना की ओर बढ़ना चाहिये, जिसमें पर्यावरणीय सीमाओं, स्थानीय संसाधन सीमाओं और मौसमी कारकों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- वहन क्षमता अध्ययन, ज़ोनिंग और भीड़ विनियमन तंत्र (जैसे: समयबद्ध प्रवेश या टिकट कैपिंग) को एकीकृत करने से अति-पर्यटन को रोका जा सकता है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी पारिस्थितिकी व्यवधान के बिना बुनियादी अवसंरचना के उन्नयन में सहायता कर सकती है।
- यह दृष्टिकोण हिल स्टेशनों, वन्यजीव पार्कों और आध्यात्मिक स्थलों के लिये आवश्यक है।
- स्वदेश दर्शन 2.0 को सतत् पर्यटन के लिये राष्ट्रीय रणनीति (NSST) के साथ एकीकृत करना: स्वदेश दर्शन 2.0 थीम-आधारित पर्यटन सर्किट को बढ़ावा देता है, जबकि NSST हरित प्रमाणन, कम प्रभाव वाले बुनियादी अवसंरचना और सामुदायिक लाभों के लिये रोडमैप प्रस्तुत करता है।
- दोनों को एकीकृत करने से जलवायु लचीलापन, स्थानीय आजीविका और प्रकृति आधारित समाधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए पर्यावरण के प्रति संवेदनशील गंतव्य विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।
- सर्किट-स्तरीय योजना और राष्ट्रीय-स्तरीय संधारणीयता संकेतकों के संयुक्त कार्यान्वयन से दीर्घकालिक पारिस्थितिक संरक्षण को बढ़ावा मिल सकता है।
- यह भारत के सतत् विकास लक्ष्य और G20 स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप भी होगा।
- समुदाय-आधारित और ग्रामीण अनुभवात्मक पर्यटन को बढ़ावा: प्रशिक्षण, सूक्ष्म उद्यम समर्थन और भागीदारी शासन के माध्यम से हितधारकों और लाभार्थियों के रूप में स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना समावेशी पर्यटन सुनिश्चित कर सकता है।
- गृह प्रवास, कृषि-पर्यटन और शिल्प-आधारित अनुभव शहरी केंद्रों पर पर्यटकों के दबाव को कम करते हैं तथा आगंतुकों के लिये विकल्पों में विविधता लाते हैं।
- यह उर्ध्वगामी दृष्टिकोण स्वामित्व को बढ़ाता है, लीकेज को कम करता है और सांस्कृतिक संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।
- आतिथ्य इकाइयों के लिये मुख्यधारा के हरित भवन मानदंड और पारिस्थितिकी प्रमाणन: सभी नए पर्यटन बुनियादी अवसंरचना के लिये पारिस्थितिकी प्रमाणन मानकों (जैसे: SAATHI) को अनिवार्य बनाने से ऊर्जा, जल की खपत कम हो सकती है एवं अपशिष्ट में कमी आ सकती है।
- कर में छूट, त्वरित मंजूरी, या GRIHA मानदंडों के तहत मान्यता जैसे सरकारी प्रोत्साहन इसके अंगीकरण के लिये प्रेरित कर सकते हैं।
- होटल, रिसॉर्ट और यहाँ तक कि सरकारी पर्यटन सुविधाओं को भी स्थिरता सूचकांक के लिये बेंचमार्क किया जाना चाहिये।
- कॉन्शस लक्ज़री, डिजिटल डिटॉक्स रिट्रीट और शून्य-अपशिष्ट पर्यटन को बढ़ावा देने से एक समुत्थानशील एवं भविष्य के लिये तैयार आतिथ्य क्षेत्र का निर्माण होगा।
- जिम्मेदार विज़िटर जुड़ाव के लिये डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना: AI-आधारित विज़िटर फ्लो मैनेजमेंट, वर्चुअल टूरिज़्म, कॉन्टैक्टलेस चेक-इन और स्मार्ट साइनेज को अपनाने से संसाधनों का उपयोग कम हो सकता है तथा वास्तविक काल की निगरानी संभव हो सकती है। वर्चुअल वॉक-थ्रू और ऐप-आधारित गाइडेड टूर भी पीक-ऑवर ट्रैफिक को कम कर सकते हैं।
- 'देखो अपना देश' पहल को एक व्यापक डिजिटल पर्यटन पारिस्थितिकी तंत्र में विस्तारित करने से कम कार्बन विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं।
- निर्णय लेने और आपातकालीन तैयारियों के लिये रियल टाइम डेटा एनालिसिस का उपयोग किया जाना चाहिये।
- संधारणीय तटीय और द्वीप पर्यटन मॉडल बनाना: भारत की लंबी तटरेखा और द्वीप पारिस्थितिकी तंत्र को प्रवाल भित्तियों के संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त क्षेत्रों और विनियमित क्रूज़ टूरिज़्म पर ध्यान देने के साथ सुभेद्य क्षेत्र प्रबंधन की आवश्यकता है।
- पर्यटन योजना के साथ ब्लू इकोनॉमी फ्रेमवर्क के अंतर्गत नीतियों को एकीकृत करने से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण सुनिश्चित होगा।
- तटीय राज्यों को इको-टूरिज़्म आचार संहिता, सामुदायिक सतर्कता प्रणाली और हरित परिवहन विकल्प (जैसे ई-बोट) अपनाना चाहिये।
- अंडमान और लक्षद्वीप जैसे द्वीपीय स्थलों को शून्य-अपशिष्ट पर्यटन नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- पर्यटन कौशल विकास मिशन में संधारणीयता प्रशिक्षण को संस्थागत बनाना: पर्यटन संधारणीयता को आतिथ्य, पर्यटन संचालन और स्थानीय गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये।
- पर्यटन मंत्रालय को जिम्मेदार पर्यटन, जैव-विविधता नैतिकता और हरित प्रथाओं पर मॉड्यूल बनाने के लिये IHM और निजी प्लेटफार्मों जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी करनी चाहिये।
- इसे गंतव्य-आधारित कौशल विकास कार्यक्रम के साथ जोड़ने से यह क्षेत्रीय रूप से अनुकूलित और रोज़गार-प्रासंगिक बन जाएगा।
निष्कर्ष:
भारत के पर्यटन क्षेत्र में आर्थिक चालक, सांस्कृतिक राजदूत और स्थिरता प्रवर्तक के रूप में अपार संभावनाएँ हैं। तुर्की जैसे वैश्विक मॉडलों से सीख लेते हुए, भारत को सामुदायिक भागीदारी, संस्थागत कार्यढाँचे और संधारणीय नियोजन को एकीकृत करना चाहिये। अभिनव नीतियों और डिजिटल सॉल्यूशन को अपनाकर, भारत अपनी समृद्ध विरासत को संरक्षित करते हुए अपने पर्यटन उद्योग की पूरी क्षमता का सतत् उपयोग कर सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में सांस्कृतिक और प्राकृतिक पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं, फिर भी यह वैश्विक पर्यटन प्रतिस्पर्द्धा में पीछे है। सांस्कृतिक और प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्रक के प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और सतत् पर्यटन विकास के लिये उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सप्रश्न 1. पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है ? (2019) प्रश्न 2. पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और काश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिक वाहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकान कीजिये। (2015) |