अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-मालदीव संबंध: चीन की चिंता
- 18 Oct 2023
- 18 min read
यह एडिटोरियल 14/10/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “India and Maldives ties: Despite China, bound by history and geography” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में में चीन की उपस्थिति किस प्रकार भारत-मालदीव संबंधों को प्रभावित करता है।
प्रिलिम्स के लिये:मालदीव, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, हिंद महासागर, चीन, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट मेन्स के लिये:भारत के लिये मालदीव का रणनीतिक महत्त्व, भारत-मालदीव संबंधों पर चीन पर प्रभाव |
भारत और मालदीव के संबंध इनके इतिहास और भूगोल में गहराई से निहित हैं। भारत के निकटतम पड़ोसी के रूप में मालदीव वर्षों से आवश्यक समर्थन और सहायता के लिये भारत पर निर्भर रहा है। हालाँकि इस भू-भाग में चीन की बढ़ती उपस्थिति के साथ इस संबंध की गतिशीलता जटिल होती जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिये कि बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच भी भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंध सुदृढ़ बने रहें, इस गतिशीलता को समझना महत्त्वपूर्ण है।
भारत-मालदीव संबंध का ऐतिहासिक विकास
- सदियों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध:
- भारत और मालदीव के ऐतिहासिक संबंध सदियों पुराने हैं। 12वीं शताब्दी में मालदीव में प्रमुख धर्म के रूप में बौद्ध धर्म का स्थान इस्लाम ने ले लिया, जो एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक था।
- वर्ष 1887 से 1965 तक ब्रिटेन के संरक्षित राज्य के रूप में भी मालदीव आवश्यक वस्तुओं और बाह्य विश्व के साथ संचार के लिये भारत पर निर्भर बना रहा था।
- भौगोलिक नियति:
- मालदीव में 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत 1,200 से अधिक द्वीप शामिल हैं, जहाँ इसका लगभग 99.6% क्षेत्र समुद्र में निमग्न है।
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक मालदीव का लगभग 80% भाग ‘ग्लोबल बॉयलिंग’ (Global Boiling) की परिघटना के कारण जल में विलुप्त हो सकता है। भारत से इसकी निकटता को देखते हुए, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध मालदीव के संघर्ष के संदर्भ में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी।
- सुरक्षा साझेदारी:
- भारत-मालदीव के बीच रक्षा सहयोग "एकुवेरिन’ (Ekuverin), ‘दोस्ती’ (Dosti), ‘एकथा’ (Ekatha) और ‘ऑपरेशन शील्ड’ (Operation Shield) जैसे विभिन्न संयुक्त अभ्यासों तक विस्तृत है।
- भारत मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल (Maldivian National Defence Force- MNDF) के लिये सबसे बड़ी संख्या में प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करता है, जो उनकी रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं के लगभग 70% की पूर्ति करता है।
- ऑपरेशन कैक्टस 1988: ऑपरेशन कैक्टस के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने तख्तापलट की कोशिश को नाकाम करने में मालदीव सरकार की मदद की थी।
- समुद्री खतरों का मुक़ाबला: भारत समुद्री खतरों के विरुद्ध मालदीव की पहली रक्षा पंक्ति के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें आतंकवाद विरोधी प्रयास, खुले समुद्र में समुद्री डकैती का मुक़ाबला करना, मादक पदार्थों की तस्करी का मुक़ाबला करना और नशीले पदार्थों से संबंधित समस्याओं को संबोधित करना शामिल है।
- पुनर्वास केंद्र:
- अड्डू पुनर्ग्रहण और तट संरक्षण परियोजना (Addu reclamation and shore protection project) के लिये दोनों देशों के बीच एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- अड्डू में भारतीय सहायता से एक औषधि विषहरण और पुनर्वास केंद्र (drug detoxification and rehabilitation centre) की भी स्थापना की गई है।
- यह केंद्र मालदीव में स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, मत्स्य पालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभावशील सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।
- आर्थिक सहयोग:
- पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। यह देश अब कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल और अन्य के लिये नौकरी का गंतव्य बन गया है।
- अगस्त 2022 में एक भारतीय कंपनी ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना ‘ ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP)’ के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
- भारत वर्ष 2021 में मालदीव का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बनकर उभरा।
- वर्ष 2019 में RBI और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (Maldives Monetary Authority) के बीच एक द्विपक्षीय USD करेंसी स्वैप समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत-मालदीव संबंधों को तब आघात लगा जब मालदीव ने वर्ष 2017 में चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संपन्न किया।
- अवसंरचना परियोजनाएँ:
- भारतीय ऋण की मदद से कार्यान्वित हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा विकास परियोजना (Hanimaadhoo International Airport Development project) प्रति वर्ष 1.3 मिलियन यात्रियों को सेवा प्रदान करने के लिये एक नए टर्मिनल का निर्माण करेगी।
- वर्ष 2022 में भारत के विदेश मंत्री द्वारा मालदीव में ‘नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट (NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
- NCPLE मालदीव में भारत द्वारा क्रियान्वित सबसे बड़ी अनुदान परियोजना है।
- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट:
- प्रोजेक्ट के तहत माले और आसपास के विलिंग्ली, गुलहिफाल्हू और थिलाफुशी द्वीपों के बीच 6.74 किमी लंबे पुल और सेतु लिंक का निर्माण किया जा रहा है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा।
- इस परियोजना को भारत द्वारा प्रदत्त 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान और 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन (LOC) द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
- यह न केवल भारत द्वारा मालदीव में कार्यान्वित सबसे बड़ी परियोजना है, बल्कि यह स्वयं मालदीव की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना भी है।
- राहत सहायता:
- ऑपरेशन नीर 2014: ऑपरेशन नीर के तहत भारत ने पेयजल संकट से निपटने के लिये मालदीव को पेयजल की आपूर्ति की।
- ऑपरेशन संजीवनी: भारत ने ऑपरेशन संजीवनी के तहत मालदीव को कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष में सहायता के रूप में 6.2 टन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की।
मालदीव में चीन की भूमिका से संबंधित प्रमुख चिंताएँ
- चीन का बढ़ता प्रभाव:
- मालदीव में चीन की उपस्थिति चिंता का कारण है, क्योंकि चीन मुख्य रूप से अपने हितों की पूर्ति करता है। चीन की आर्थिक भागीदारी (जो प्रायः ऋण वित्तपोषण से प्रेरित होती है) ने ऋण जाल (debt traps) की आशंका और क्षेत्र में चीन के प्रभाव के बारे में चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
- चीन ने मालदीव में भारी निवेश किया है और मालदीव बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में भागीदार बन गया है । चीन ने अपने "स्ट्रिंग ऑफ द पर्ल्स" (String of the Pearls) पहल के एक हिस्से के रूप में मालदीव में बंदरगाहों, हवाई अड्डों, पुलों और अन्य महत्त्वपूर्ण अवसंरचनाओं के विकास सहित विभिन्न परियोजनाओं का वित्तपोषण और निर्माण किया है।
- मालदीव में चीन की उपस्थिति चिंता का कारण है, क्योंकि चीन मुख्य रूप से अपने हितों की पूर्ति करता है। चीन की आर्थिक भागीदारी (जो प्रायः ऋण वित्तपोषण से प्रेरित होती है) ने ऋण जाल (debt traps) की आशंका और क्षेत्र में चीन के प्रभाव के बारे में चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
- चीन की आधिपत्यवादी महत्त्वाकांक्षाएँ:
- हिंद महासागर क्षेत्र में आधिपत्य स्थापित करने की चीन की महत्त्वाकांक्षाएँ मालदीव में एक जीवंत लोकतंत्र के विकास के लिये संभावित खतरा पैदा करती हैं।
- मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के चीन समर्थक रुख ने भारत में अपने निकटतम पड़ोस में चीन के बढ़ते प्रभाव और संभावित रणनीतिक निहितार्थों के बारे में आशंकाएँ उत्पन्न की हैं।
- हिंद महासागर क्षेत्र में आधिपत्य स्थापित करने की चीन की महत्त्वाकांक्षाएँ मालदीव में एक जीवंत लोकतंत्र के विकास के लिये संभावित खतरा पैदा करती हैं।
- भारत की सुरक्षा चिंताएँ:
- भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र, विशेषकर श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव जैसे देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की है। इन क्षेत्रों में चीन द्वारा नियंत्रित बंदरगाहों और सैन्य सुविधाओं के विकास को भारत के रणनीतिक हितों एवं क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये एक चुनौती के रूप में देखा गया है।
- भारत के प्रतिक्रियात्मक उपाय:
- भारत ने मालदीव और हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अपने राजनयिक एवं रणनीतिक संलग्नता को सघन करने के रूप में प्रतिक्रिया दी है। इसने क्षेत्र में अपना प्रभाव सुदृढ़ करने के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की है, अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश किया है और रक्षा सहयोग का विस्तार किया है।
- भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति का उद्देश्य चीन की बढ़ती उपस्थिति को संतुलित करना है।
मालदीव के साथ अपने संबंधों के मामले में भारत का दृष्टिकोण
- भारत ने मालदीव के साथ सुदृढ़ संबंध विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता लगातार प्रदर्शित की है। व्यापक सहयोग, सुरक्षा, अवसंरचना विकास और दैनिक आवश्यक समर्थन पर भारत का ध्यान मालदीव के साथ साझेदारी के प्रति इसके समर्पण को दर्शाता है।
- हालाँकि ‘इंडिया आउट’ अभियान और चीन समर्थक नीति जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी भारत मालदीव के साथ अपने संबंध बनाए रखने के प्रति दृढ़ है।
- भारत क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने के लिये अपनी ‘सागर’ (SAGAR) नीति में मालदीव को एक महत्त्वपूर्ण अंग के रूप में देखता है।
- भारत के लिये मालदीव आतंकवाद, खुले समुद्र में समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी, नशीले पदार्थों और अन्य समुद्री अपराध के विरुद्ध रक्षा की पहली पंक्ति है ।
- दूसरी ओर, मालदीव में चीन का प्रवेश केवल अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिये है।
भारत-मालदीव संबंधों में आगे की राह
- भारत के लिये अवसर:
- मालदीव में इन बदलावों के बीच भारत को विवेकपूर्ण तरीके से आगे बढ़ना होगा। मालदीव की आगामी सरकार अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगी और इस परिदृश्य में भारत को विकासोन्मुख दृष्टिकोण पर बल देना चाहिये।
- मालदीव उच्च युवा बेरोज़गारी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है और इसलिये ऐसी परियोजनाएँ बेहद महत्त्वपूर्ण हैं जो युवा रोज़गार क्षमता को बढ़ावा देने पर लक्षित हों।
- भारत की उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना (High Impact Community Development Project- HICDP) को युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- अवसंरचना विकास:
- मालदीव में भारत की महत्त्वपूर्ण अवसंरचना परियोजना ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ अनुदान एवं पर्याप्त क्रेडिट लाइन द्वारा समर्थित है और यह चीन की ‘सिनामाले ब्रिज कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ से बेहतर है। भारत को अपने प्रभाव को सुदृढ़ करने के लिये इस परियोजना को शीघ्र पूरा करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- भारत और चीन के साथ संतुलित संबंध:
- नई सरकार के गठन के साथ मालदीव से उम्मीद है कि वह भारत और चीन के बीच संतुलित संबंधों के लिये प्रयासरत होगा। मालदीव के विकासात्मक लाभ को अधिकतम करने के लिये यह दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है।
- मालदीव के लिये व्यावहारिक शासन संबंधी विचार, जहाँ भारत के साथ संबंधों को कमज़ोर करने के संभावित परिणामों का एहसास हो, भविष्य की राह का मार्गदर्शन कर सकते हैं। दोनों देशों के लिये ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखना और मालदीव के लोगों के वृहत हितों को प्राथमिकता देना महत्त्वपूर्ण है।
- हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के प्रयास:
- दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
- हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र को भारत के समुद्री प्रभाव क्षेत्र में अन्य क्षेत्रीय शक्तियों (विशेष रूप से चीन) की बढ़त की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
निष्कर्ष
दीर्घकालिक भारत-मालदीव संबंध, जिसने भूगोल, संस्कृति और साझा मूल्यों से आकार ग्रहण किया है, बाह्य चुनौतियों का सामना करने में प्रत्यास्थी साझेदारी के लिये एक मॉडल पेश करता है। मालदीव की सुरक्षा, विकास और समृद्धि भारत के साथ निरंतर समर्थन एवं सहयोग से जटिल रूप से जुड़ी हुई है। उज्ज्वल भविष्य की संभावना ऐतिहासिक बंधनों के महत्त्व को चिह्नित करने और उनकी रक्षा करने की आवश्यकता में निहित है। जैसा कि कहा गया है कि ‘‘जो लोग इतिहास से सीखने में विफल होते हैं, वे इसे दोहराने के लिये अभिशप्त होते हैं।’’
अभ्यास प्रश्न: भारत-मालदीव संबंध ऐतिहासिक और भौगोलिक आधार रखते हैं, लेकिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति चिंता उत्पन्न कर रही है। भारत के लिये मालदीव के रणनीतिक महत्त्व का विश्लेषण कीजिये और भारत-मालदीव संबंधों पर चीन के प्रभाव के बारे में चर्चा कीजिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. 'मोतियों की माला' से आप क्या समझते हैं? यह भारत को कैसे प्रभावित करती है? इसका मुकाबला करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों की संक्षेप में रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये। (2013) प्रश्न. पिछले दो वर्षों के दौरान मालदीव में राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा कीजिये। क्या उन्हें भारत के लिये चिंता का कारण होना चाहिये? (2013) |