भारतीय अर्थव्यवस्था
ई-कॉमर्स: प्रभाव एवं संभावनाएँ
- 29 Jun 2022
- 19 min read
यह एडिटोरियल 28/06/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “A Skewed Playing Field” लेख पर आधारित है। इसमें बाज़ार में दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों के उदय और लघु एवं मध्यम ऑनलाइन व्यवसायों पर उनके नुकसानदेह प्रभावों के संबंध में चर्चा की गई है।
संदर्भ
जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी दुनिया को प्रतिस्पर्द्धी रूप से बराबर करती जा रही है (‘World is flattening’ - Thomas L. Friedman), हमारे दैनिक जीवन के कार्यकलापों (यात्रा, मनोरंजन, शिक्षा पाने, खरीदारी, संचार और यहाँ तक कि आहार प्राप्त करने जैसे प्रसंगों में) का तरीका भी एक आमूलचूल परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है।
- इसने देश में विभिन्न हितधारकों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया है, जिनमें स्पष्ट रूप से विजित और पराजित दोनों शामिल हैं।
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की एक विस्तृत शृंखला की उपलब्धता के साथ जीवन अधिक सुविधाजनक और आसान हो गया है। लेकिन वृहत परिदृश्य को देखें तो पता चलता है कि भारी छूट और कैशबैक जैसी रणनीति के साथ ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनियों ने लघु एवं मध्यम ऑनलाइन व्यवसायों को व्यापक नुकसान पहुँचाया है।
- इस संदर्भ में ई-कॉमर्स और इसकी कार्यप्रणाली पर विचार करना महत्त्वपूर्ण होगा।
ई-कॉमर्स से क्या अभिप्राय है?
- ‘ई-कॉमर्स’ (Electronic Commerce/e-commerce) शब्द एक ऐसे व्यवसाय मॉडल को संदर्भित करता है जो कंपनियों और व्यक्तियों को इंटरनेट पर वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद-बिक्री की अनुमति देता है।
- ई-कॉमर्स लेनदेन के माध्यम से किताबें, संगीत, हवाई जहाज का टिकट और स्टॉक निवेश एवं ऑनलाइन बैंकिंग जैसी वित्तीय सेवाओं सहित लगभग हर कल्पनीय उत्पाद और सेवा उपलब्ध है। इसकी ऐसी व्यापकता के कारण इसे अत्यंत विघटनकारी प्रौद्योगिकी (Disruptive Technology) माना जाता है।
ई-कॉमर्स द्वारा प्रदत्त लाभ
- क्रेता और विक्रेता के बीच निकटता:
- ई-कॉमर्स विक्रेताओं को ग्राहकों के निकट पहुँचने में सक्षम बनाता है जिससे उत्पादकता और पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होती है।
- ग्राहक विभिन्न विक्रेताओं के बीच चयन का विकल्प रखता है और आवश्यकता के अनुसार सबसे अधिक प्रासंगिक उत्पाद खरीद सकता है।
- ग्राहकों के पास अब 24/7 वर्चुअल स्टोर तक पहुँच उपलब्ध है।
- ई-कॉमर्स विक्रेताओं को ग्राहकों के निकट पहुँचने में सक्षम बनाता है जिससे उत्पादकता और पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होती है।
- क्रेताओं और विक्रेताओं की व्यापक रेंज:
- यह न्यूनतम निवेश के साथ वैश्विक बाज़ार में व्यापक पहुँच प्रदान करता है।
- यह विक्रेताओं को वैश्विक ग्राहकों को बिक्री कर सकने और ग्राहकों को वैश्विक स्तर पर विकल्प चुन सकने में सक्षम बनाता है। भौगोलिक सीमाओं और चुनौतियों का उन्मूलन हो गया है या वे व्यापक रूप से कम हो गई हैं।
- उत्पाद वितरण लागत में कमी:
- अंतिम ग्राहकों के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्रक्रिया उत्पाद वितरण शृंखला को व्यापक रूप से संक्षिप्त कर देती है।
- यह उत्पादक या सेवा प्रदाता और अंतिम ग्राहक के बीच एक सीधा और पारदर्शी चैनल का निर्माण करती है।
- इस तरह लक्षित ग्राहक की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं की पूर्ति के लिये उत्पादों और सेवाओं का निर्माण किया जाता है।
- अंतिम ग्राहकों के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्रक्रिया उत्पाद वितरण शृंखला को व्यापक रूप से संक्षिप्त कर देती है।
- अन्य लाभ:
- ई-कॉमर्स क्षेत्र में वृद्धि से रोज़गार को बढ़ावा मिल सकता है, निर्यात से राजस्व में वृद्धि हो सकती है, राजकोष के कर संग्रह में वृद्धि हो सकती है और दीर्घावधि में ग्राहकों को और बेहतर उत्पाद एवं सेवाएँ प्रदान की जा सकती हैं।
- ई-कॉमर्स उद्योग भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण के साधन प्रदान कर प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है और इसका अन्य उद्योगों पर भी अनुकूल सोपानी प्रभाव (Cascading Effect) पड़ रहा है।
ई-कॉमर्स दिग्गजों से संबंधित चिंताएँ
- ‘प्रीडेटरी प्राइसिंग’:
- प्रीडेटरी प्राइसिंग (Predatory Pricing) एक मूल्य निर्धारण रणनीति है, जिसमें बड़े पैमाने पर ‘अंडरकटिंग’ की विधि का उपयोग किया जाता है, जहाँ किसी उद्योग में कोई प्रमुख फर्म जानबूझकर किसी उत्पाद या सेवा की कीमतों को अल्पावधि में घाटे के स्तर तक कम कर देती है।
- ये कंपनियाँ ग्राहक बनाने के लिये प्रीडेटरी प्राइसिंग का सहारा लेती हैं, भले ही इसमें उन्हें कुछ समय तक लगातार वित्तीय नुकसान उठाना पड़े।
- इसे एक बहिर्वेशनकारी अभ्यास के रूप में देखा जा सकता है जो बाज़ार से अन्य खिलाड़ियों को बाहर धकेल देता है। अंतिम नुकसान उपभोक्ताओं का होता है जिनके पास बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा की कमी के कारण सौदेबाजी की कम शक्ति होती है और वे एकाधिकारवादी आचरण की मनमानी के अधीन होते हैं।
- प्रीडेटरी प्राइसिंग (Predatory Pricing) एक मूल्य निर्धारण रणनीति है, जिसमें बड़े पैमाने पर ‘अंडरकटिंग’ की विधि का उपयोग किया जाता है, जहाँ किसी उद्योग में कोई प्रमुख फर्म जानबूझकर किसी उत्पाद या सेवा की कीमतों को अल्पावधि में घाटे के स्तर तक कम कर देती है।
- संबद्ध भागीदार पक्षपात (Affiliated Partner Biasedness):
- जबकि तटस्थता किसी बाज़ार का मूल आधार है, फ्लिपकार्ट या अमेज़ॅन जैसी इकाइयों के विभिन्न प्रकार के विक्रेताओं हेतु बाज़ार उपलब्ध कराने के दावों पर सवाल उठाया जा सकता है।
- प्लेटफॉर्म के साथ संबद्ध कुछ चुनिंदा विक्रेता अधिक दृश्यता और व्यापार की बेहतर शर्तों (जैसे कम कमीशन और प्लेटफॉर्म-वित्तपोषित छूट) का लाभ उठाते हैं।
- माना जाता है कि ज़ोमैटो अन्य खाद्य एग्रीगेटर्स की तरह ‘क्लाउड किचन’ का संचालन करता है।
- उनमें से कई निजी लेबल वाले उत्पादों को उन श्रेणियों में उपलब्ध कराते हैं जहाँ अन्य विक्रेता सफल रहे हैं।
- कार्टेलाइज़ेशन:
- कार्टेलाइज़ेशन (Cartelisation) का अर्थ है उत्पादकों, विक्रेताओं, वितरकों, व्यापारियों या सेवा प्रदाताओं का एक संघ बनाना, जो आपसी समझौते से उत्पादन, वितरण, बिक्री या मूल्य, वस्तुओं के व्यापार या सेवाओं के प्रावधान को सीमित और नियंत्रित करते हैं या करने का प्रयास करते हैं।
- ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर्स पर प्रायः कार्टेलाइज़ेशन का आरोप लगाया जाता है।
- ‘OYO’ और ‘MakeMyTrip’ के आपसी मिलीभगत के मामले में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग की जाँच के परिणामस्वरूप MakeMyTrip को Treebo और FabHotels की संपत्तियों को फिर से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था।
- कार्टेलाइज़ेशन (Cartelisation) का अर्थ है उत्पादकों, विक्रेताओं, वितरकों, व्यापारियों या सेवा प्रदाताओं का एक संघ बनाना, जो आपसी समझौते से उत्पादन, वितरण, बिक्री या मूल्य, वस्तुओं के व्यापार या सेवाओं के प्रावधान को सीमित और नियंत्रित करते हैं या करने का प्रयास करते हैं।
- डेटा सुरक्षा:
- इन प्लेटफॉर्म का उपयोग करते समय नागरिक स्वेच्छा से या अनैच्छिक रूप से अपना डेटा साझा करते हैं।
- एग्रीगेटर्स खरीदारी की आदतों, उपभोक्ता प्राथमिकताओं आदि के संबंध में और अन्य व्यक्तिगत डेटा एकत्र करते हैं।
- प्लेटफॉर्म पर आरोप लगाया जाता है कि वे इस डेटा का उपयोग अपने स्वयं के उत्पादों और सेवाओं के निर्माण तथा उसमें सुधार के लिये और अपने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध अन्य विक्रेताओं का व्यवसाय छीनने के लिये करते हैं।
- इस सूचना विषमता का उपयोग एग्रीगेटर्स द्वारा उन संगठनों को नष्ट करने के लिये किया जाता है जिनके समर्थन का उन्होंने वादा किया था।
- पारदर्शी विवाद निवारण तंत्र का अभाव:
- इन प्लेटफॉर्मों पर विक्रेताओं के लिये एक निष्पक्ष और पारदर्शी विवाद निवारण तंत्र का अभाव है।
- विलंबित भुगतान, अनुचित चार्ज और गुप्त शुल्क सामान्य घटनाक्रम हैं।
- इन प्लेटफार्मों की शक्ति छोटे मेहनती व्यवसायों की कीमत पर बढ़ती जाती है।
- छोटे रेस्तरां शिकायत करते हैं कि खाद्य-सेवा एग्रीगेटर्स की ग्राहक अनुरोध की पूर्ति में असमर्थता को रेस्तरां की अक्षमता बता दिया जाता है।
- इन प्लेटफार्मों पर सूचीबद्ध होटलों को ‘ओवर-कमिटिंग’ से उत्पन्न ग्राहक शिकायतों का दोषी ठहराया जाता है।
- कुछ मामलों में रेस्तरां और होटलों को मनमाने ढंग से बंद या सेवा उपलब्ध नहीं के रूप में दिखाया जाता है।
ई-कॉमर्स के संबंध में सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
- ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नियम 2021:
- अनिवार्य पंजीकरण:
- ई-कॉमर्स इकाइयों के लिये उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ अनिवार्य पंजीकरण कराना आवश्यक है।
- ई-कॉमर्स इकाई का अभिप्राय ऐसे व्यक्तियों से है जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के लिये डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक सुविधा या प्लेटफॉर्म के मालिक हैं, उसका संचालन या प्रबंधन करते हैं।
- फ्लैश बिक्री सीमित करना:
- पारंपरिक ई-कॉमर्स फ्लैश बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। केवल विशिष्ट ‘फ्लैश’ बिक्री या ‘बैक-टू-बैक’ बिक्री की अनुमति नहीं है जो ग्राहक की पसंद को सीमित करती है, कीमतों में वृद्धि करती है और एक समान प्रतिस्पर्द्धा पर रोक लगाती है।
- अनुपालन अधिकारी:
- ई-कॉमर्स साइटों को मुख्य अनुपालन अधिकारी (CCO) और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चौबीसों घंटे समन्वय हेतु एक व्यक्ति की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिये भी निर्देशित किया गया है।
- संबंधित पक्षों को प्रतिबंधित करना:
- पक्षपातपूर्ण व्यवहार की बढ़ती चिंताओं के समाधान हेतु नए नियमों में यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि किसी भी संबंधित पक्ष को 'अनुचित लाभ' के लिये किसी भी उपभोक्ता सूचना (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से) के उपयोग की अनुमति नहीं है।
- मूल देश हेतु शर्त:
- इन इकाइयों को वस्तुओं के उद्गम देश के आधार पर इन्हें चिह्नित करना होगा और ग्राहकों के लिये पूर्व-खरीदारी चरण में एक पारदर्शी तंत्र प्रदान करना होगा।
- घरेलू विक्रेताओं को ‘उचित अवसर’ प्रदान करने हेतु आयातित सामानों के विकल्प भी पेश करने होंगे।
- साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की रिपोर्ट करना:
- साइबर सुरक्षा या किसी कानून के उल्लंघन के मामले में अधिकृत सरकारी एजेंसी के अनुरोध पर ई-कॉमर्स इकाइयों को 72 घंटों के भीतर जानकारी प्रदान करनी होगी।
- अनिवार्य पंजीकरण:
- उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020
- शिकायत निवारण तंत्र:
- मार्केटप्लेस तथा विक्रेताओं के लिये एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति करना आवश्यक है।
- अनुचित व्यापार अभ्यासों, हेर-फेर और पक्षपातपूर्ण व्यवहार पर रोक लगाना:
- कोई भी ई-कॉमर्स इकाई अनुचित लाभ प्राप्त करने या एक ही वर्ग के उपभोक्ताओं के बीच भेदभाव करने के उद्देश्य से कीमतों में फेरबदल नहीं करेगी और न ही उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाला कोई मनमाना वर्गीकरण करेगी।
- नकली समीक्षा या भ्रामक दावे नहीं:
- कोई भी विक्रेता या ई-कॉमर्स इकाई स्वयं को एक उपभोक्ता के रूप में प्रस्तुत नहीं करेगी और वस्तुओं या सेवाओं के बारे में नकली समीक्षा नहीं करेगी, इसके अलावा किसी वस्तु अथवा सेवा की गुणवत्ता या विशेषताओं को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया जाएगा।
- नकली उत्पाद बेचने वाले विक्रेताओं का रिकॉर्ड:
- ई-कॉमर्स संस्थाओं को उन सभी विक्रेताओं का रिकॉर्ड रखना होगा, जो बार-बार उन वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश करते हैं जिन्हें कॉपीराइट अधिनियम (वर्ष 1957), ट्रेडमार्क अधिनियम (वर्ष 1999) या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
- शिकायत निवारण तंत्र:
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC):
- ONDC एक स्वतंत्र रूप से सुलभ सरकार-समर्थित प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य ई-कॉमर्स को एक प्लेटफॉर्म-केंद्रित मॉडल से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद एवं बिक्री के लिये एक खुले नेटवर्क में स्थानांतरित करके इसका लोकतंत्रीकरण करना है।
- इस प्रकार एक ऐसा मंच तैयार करने की परिकल्पना की गई है जिसका उपयोग सभी ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा किया जा सके।
- ONDC एक स्वतंत्र रूप से सुलभ सरकार-समर्थित प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य ई-कॉमर्स को एक प्लेटफॉर्म-केंद्रित मॉडल से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद एवं बिक्री के लिये एक खुले नेटवर्क में स्थानांतरित करके इसका लोकतंत्रीकरण करना है।
हम ई-कॉमर्स कार्यप्रणाली में कैसे सुधार कर सकते हैं?
- उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 पर एक संसदीय पैनल ने अनुशंसा की है कि सरकार को उपभोक्ताओं के अधिकारों के बेहतर संरक्षण और अनुचित अभ्यासों पर रोक के लिये नियमों में संशोधन करना चाहिये। इसकी प्रमुख अनुशंसाएँ हैं:
- स्पष्ट परिभाषा:
- ई-कॉमर्स के संदर्भ में अनुचित व्यापार अभ्यासों को और ई-कॉमर्स इकाइयों द्वारा किये जाने वाले ऐसे धोखाधड़ीपूर्ण अभ्यासों से निपटने हेतु व्यावहारिक विधिक उपचारों को और अधिक स्पष्टता के साथ परिभाषित किया जाना चाहिये।
- ‘ड्रिप प्राइज़िंग’ (जहाँ अतिरिक्त शुल्क के कारण उत्पाद का अंतिम मूल्य अधिक हो जाता है) को भी स्पष्टता से परिभाषित किया जाना चाहिये और उल्लंघन के लिये दंड का प्रावधान करते हुए उपभोक्ताओं की इससे सुरक्षा के लिये उपाय किये जाने चाहिये।
- व्यक्तिगत डेटा का वर्गीकरण:
- उपयोगकर्त्ताओं की गोपनीयता की रक्षा और उनके डेटा की सुरक्षा के लिये समिति ने सिफारिश की है कि उपयोगकर्त्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को संवेदनशीलता के स्तर के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है और प्रत्येक स्तर के लिये उपयुक्त सुरक्षा निर्धारित की जा सकती है
- कस्टमर केयर
- ई-कॉमर्स इकाइयों को एक समर्पित कस्टमर केयर नंबर प्रदान करना चाहिये और एक ऐसे तंत्र की स्थापना करनी चाहिये जो निगरानी कर सके कि ग्राहक की किसी समस्या के समाधान में कस्टमर केयर कार्यकारी ने कितना समय लिया।
- भ्रामक तकनीक को हतोत्साहित करना
- एल्गोरिदम में परिवर्तन, नकली उत्पाद समीक्षा और रेटिंग सहित सभी भ्रामक रणनीतियों को हतोत्साहित करने के लिये कुछ सुधारात्मक उपाय होने चाहिये ताकि किसी भी तरह से उपभोक्ता हित को नुकसान न पहुँचे।
- स्पष्ट परिभाषा:
- यूरोपीय संघ के ‘डिजिटल मार्केट एक्ट’ से भी बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है जो बाज़ार के इन ‘गेटकीपर्स’ के अनुचित अभ्यासों को संबोधित करने का लक्ष्य रखता है।
- बाज़ार प्रभुत्व और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा नियमों के अनुवर्ती आह्वान को सूक्ष्म-बाज़ार स्तर पर और उत्पाद खंडों के लिये लागू किया जाना चाहिये।
- नियमों में अनुचित व्यवहार के लिये दंडात्मक कार्रवाई की अनुमति होनी चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: ऑनलाइन मार्केटप्लेस बड़े खिलाड़ियों के पक्ष में झुका हुआ है और लघु व्यवसायों एवं उपभोक्ताओं को नुकसान पहुँचाता है। टिप्पणी कीजिये।