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जैव विविधता और पर्यावरण

विकास का ब्लू-ग्रीन आर्थिक ढाॅंचा

  • 12 Jun 2021
  • 9 min read

यह एडिटोरियल दिनांक 09/06/2021 को 'द हिंदू' में प्रकाशित लेख “A greener urbanscape” पर आधारित है। इसमें ब्लू-ग्रीन आर्थिक ढाॅंचे की आवश्यकता पर चर्चा की गई है।

संदर्भ

सतत् विकास लक्ष्य के एजेंडा 2030 (Sustainable Development Goals-SDG) का थीम है - "लीव नो वन बिहाइंड (Leave No One Behind)" - यह गांधीजी के 'अंत्योदय के माध्यम से सर्वोदय' के दर्शन से मिलता-जुलता है, जिसमें हाशिए पर रह रहे लोगों के बारे में सर्वप्रथम सोचा जाता है।

यह सिद्धांत लंबे समय से भारतीय विचार और नीति का हिस्सा रहा है और राष्ट्रीय कार्यक्रमों और मिशनों के निष्पादन के लिये एक मौलिक गुण है

हालाॅंकि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ रहा है, भारत सरकार को अपने शहरों के नियोजन एवं डिज़ाइन के दृष्टिकोण में बदलाव करना चाहिये ताकि 'ब्लू संसाधनों,' जैसे- समुद्र, नदियों, झीलों, झीलों आर्द्रभूमि, के साथ-साथ 'हरे संसाधनो', जैसे- पेड़, पार्क, उद्यान, खेल के मैदान और जंगल सतत् रूप से बने रहें।

ब्लू-ग्रीन आर्थिक ढाॅंचा

  • ज्ञातव्य है कि ब्लू इकोनॉमी ग्रीन इकोनॉमी की अवधारणा से ही व्युत्पन्न हुई है। जिसमें "मानव कल्याण और सामाजिक समानता में सुधार के साथ पर्यावरणीय जोखिमों और पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन को कम करने हेतु जलवायु जोखिम के प्रति अनुकूलन करना शामिल है।

ग्रीन शहरीकरण (Green Urbanisation) एवं भारत में नीतियों का निर्माण:

  • स्वच्छ भारत मिशन: स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) भारत को खुले में शौच से मुक्त करने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्षमता के निर्माण और व्यवहार में परिवर्तन लाने पर केंद्रित है।
    • स्वच्छता आंदोलन, वास्तव में, हमारे शहरी परिदृश्य के समग्र परिवर्तन का अग्रदूत बन गया है।
    • यह अनुमान है कि SBMU (Swachh Bharat Mission Urban) के तहत विभिन्न पहलों के तहत वर्ष 2022 तक 17.42 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस (Green House Gases-GHG) के उत्सर्जन के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड कम हो सकती है।
  • स्मार्ट सिटीज़ मिशन: स्मार्ट सिटीज़ मिशन (Smart Cities Mission-SCM) शासन, स्थिरता और आपदा जोखिम के प्रति लचीलेपन में सुधार के लिये हमारे शहरों की तकनीकी प्रगति की परिकल्पना करता है।
    • इसके तहत शहरी केंद्रों में ऊर्जा दक्षता और गैर-मोटर चालित परिवहन क्षमता में सुधार करने की बात कही गई है।
    • SCM के तहत कार्यान्वित परियोजनाओं से वर्ष 2022 तक कुल 4.93 मिलियन टन GHG उत्सर्जन के बराबर कार्बन डाईऑक्साइड में कमी आने की उम्मीद है।
  • क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज़ असेसमेंट फ्रेमवर्क: इसका उद्देश्य शहरों में हरित, टिकाऊ और जलवायु के प्रति अनुकूलन करने वाले शहरी आवास के लिये अंतरराष्ट्रीय मानकों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिये सहयोग एवं तकनीक के आदान-प्रदान में मदद करना है।
  • अमृत : अमृत (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation- AMRUT) के तहत 500 लक्षित शहरों में जलापूर्ति एवं प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता एवं हरित स्थानों में वृद्धि का लक्ष्य है।
    • मिशन के परिणामस्वरूप वर्ष 2022 तक 48.52 मिलियन टन GHG उत्सर्जन के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड कम करने की संभावना है।
  • प्रधान मंत्री आवास योजना: 1.12 करोड़ घरों को मंजूरी के साथ प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) ने नई निर्माण प्रौद्योगिकियों (उदाहरण के लिये फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग) पर ध्यान केंद्रित किया है जो अभिनव, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा के प्रति लचीले हैं।
    • कुल मिलाकर मिशन के कार्यान्वयन से वर्ष 2022 तक 12 मिलियन टन GHG उत्सर्जन के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की क्षमता है।
  • मेट्रो रेल: ये एक ऊर्जा-कुशल जन रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Energy-efficient Mass Rapid Transit System) हैं। निकट भविष्य में 18 शहरों में इन्हें चालू करने की भारत सरकार की योजना है।

आगे की राह

  • ब्लू-ग्रीन शहरी ढाॅंचे को संस्थागत बनाना: देश की नील-हरित संसाधनों (Blue -Green Resources) ko सुव्यवस्थित और सतत बनाए रखने के लिये सरकारों को समान वैधानिक शब्दावली और परिभाषा बनाने चाहिये तथा ऐसी सभी शहरी योजनाओं और रिकॉर्डों का व्यापक रूप से एकीकरण करना चाहिये जो वहाॅं की पर्यावरणीय विशेषताओं को उजागर करते हैं।
  • ब्लू-ग्रीन इकोनॉमिक एजेंडा: ब्लू-ग्रीन इकोनॉमिक एजेंडा बनाने के लिये भारत को अपने 'हरित प्रयासों' (Green Efforts) को 'ब्लू इकोनॉमी' के साथ जोड़ना चाहिये।
    • एक विशिष्ट ब्लू-ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के कई आर्थिक लाभ हो सकते हैं, जैसे- स्वास्थ्य सुधार, प्रदूषण में कमी, बेहतर सुविधाएॅं एवं गुणवत्तापूर्ण जीवन तथा सामाजिक सामंजस्य। 
  • SDG की प्राप्ति में तेज़ी: ब्लू-ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर में SDG में उल्लिखित कई लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता है, जैसे- जल (SDG 6 और SDG 14), भूमि (SDG 15) और जलवायु परिवर्तन (SDG 13) से संबंधित SDG हैं।
    • ब्लू-ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर हरित रोज़गार की संभावनाओं (SDG 1), खाद्य सुरक्षा (SDG 2), मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर लोड (SDG 3) की भरपाई और शहरों में वायु और आवास गुणवत्ता में सुधार (SDG 11) पर प्रगति को तेज़ कर सकता है।
    • इसमें निवेश पर रिटर्न से संबंधित SDG और रोज़गार की संभावनाओं को बढ़ाने वाले स्टार्टअप (SDG 8), सुनिश्चित लचीलापन (SDG 9), और प्राकृतिक स्थानों तक अधिक से अधिक न्यायसंगत पहुॅंच (SDG 10) के माध्यम से सामाजिक समावेशन के निहितार्थ भी होंगे।
  • परिणाम-आधारित नीतियाॅं:  ब्लू-ग्रीन अवधारणा (Blue-green Concept) पर आधारित परियोजनाओं और प्रक्रियाओं के परिणामों पर ध्यान केंद्रित करके भारत के शहरी नियोजन दृष्टिकोण को बदल सकती है।
  • सतत् भूमि प्रबंधन: केवल हरियाली बढ़ने एवं भूमि क्षरण को रोक कर जलवायु परिवर्तन को कम नहीं किया जा सकता है। इसे स्थायी भूमि प्रबंधन रणनीतियों के साथ जोड़ना होगा।
    • सतत् भूमि प्रबंधन भूमि के उपयोग की बदलती मानवीय जरूरतों (कृषि, वानिकी, संरक्षण) को पूरा करने के लिये है, जबकि लंबी अवधि में भूमि के सामाजिक आर्थिक और पारिस्थितिक उपयोग को सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष

ब्लू-ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर की अवधारणा अपेक्षाकृत नई है, लेकिन कई वैश्विक शहरों ने इस पर कार्य करना शुरू कर दिया है, जो जलवायु प्रभावों और घटनाओं को प्रभावित कर रहा है। भारत में हरित बुनियादी ढाॅंचे (Green Infrastructure) की अवधारणा को कुछ हद तक स्वीकृति मिली है, अतः सरकार को इसके अंतर्गत ब्लू बुनियादी ढाॅंचे (Blue Infrastructure) को शामिल करने पर भी विचार करना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: ब्लू-ग्रीन आर्थिक विकास ढाॅंचे की व्याख्या करें और इसे भारत के विकास मॉडल में शामिल करने की आवश्यकता क्यों है?

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