भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में AI की भूमिका | 16 Sep 2024
यह एडिटोरियल “Health care using AI is bold, but much caution first” पर आधारित है, जो 13/09/2024 को द हिंदू में प्रकाशित हुआ था। इस लेख में भारत की स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों का समाधान करने के क्रम में AI की क्षमता पर प्रकाश डाला गया है साथ ही नैतिक विचारों, मानवीय सहानुभूति और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में मूलभूत सुधारों के साथ तकनीकी प्रगति को संतुलित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) एल्गोरिदम, आभासी वास्तविकता (VR) और संवर्धित वास्तविकता (AR), इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, जैव चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवा में AI के अनुप्रयोग के लिये नैतिक दिशानिर्देश, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, आरोग्य सेतु ऐप । मेन्स के लिये:स्वास्थ्य सेवा में AI का महत्त्व, भारत में स्वास्थ्य सेवा में AI से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ।। |
भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी और लोगों की गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक असमान पहुँच सहित कुछ प्रमुख चुनौतियों से ग्रस्त है। हाल के वर्षों में स्वास्थ्य सेवा में इन कमियों को दूर करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का लाभ उठाने में रुचि बढ़ रही है। AI तकनीकें दक्षता बढ़ाने, चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँच में सुधार करने और संभावित रूप से ऐसे देश में स्वास्थ्य सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव लाने में निर्णायक हैं जहाँ संसाधन अक्सर कम होते हैं।
हालाँकि स्वास्थ्य सेवा में AI का एकीकरण (विशेष रूप से भारत जैसे देश में) व्यवहार्यता, स्थिरता और नैतिक निहितार्थों के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। AI, डेटा को संसाधित करने और दोहराए जाने वाले कार्यों को स्वचालित करने में उत्कृष्ट है लेकिन इसमें स्वास्थ्य सेवा के लिये आवश्यक महत्त्वपूर्ण मानवीय गुणों का अभाव है, जैसे समानुभूति, सांस्कृतिक समझ और रोगी की स्थितियों को समझने की क्षमता। भारत की स्वास्थ्य सेवा में AI की क्षमता का पता लगाने के साथ इसके संभावित लाभों को सावधानीपूर्वक समझना चाहिये और यह सुनिश्चित करने के लिये व्यापक नियम विकसित करने चाहिये कि AI उपकरण "कोई नुकसान न करें" जिससे मूल चिकित्सा नैतिकता का पालन हो सके।
स्वास्थ्य सेवा में AI का क्या महत्त्व है?
- निदान में क्रांतिकारी परिवर्तन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता अभूतपूर्व सटीकता और गति के साथ चिकित्सा निदान में परिवर्तन ला रही है।
- रेडियोलॉजी में AI एल्गोरिदम से सूक्ष्म असामान्यताओं का पता लग सकता है जिसे मानव आँख से नहीं देखा जा सकता है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2020 में नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि AI सिस्टम के परिणामस्वरूप बायोप्सी-स्तन कैंसर की पुष्टि से संबंधित फाल्स-पॉजिटिव और फाल्स-निगेटिव पहचान की त्रुटियों की दरों में 1.2% और 2.7% की कमी आई है।
- जैसे-जैसे AI का विकास जारी है इसके द्वारा नेत्र विज्ञान से लेकर पैथोलॉजी तक विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में निदान सटीकता देने की संभावना है।
- व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ: AI व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ बनाने के लिये बड़ी मात्रा में रोगी डेटा का विश्लेषण करके सटीक चिकित्सा के युग की शुरुआत कर रहा है ।
- किसी व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना, जीवनशैली कारकों और चिकित्सा इतिहास पर विचार करके AI से उच्च प्रभावकारिता और कम दुष्प्रभावों के साथ लक्षित उपचारों को बढ़ावा मिल सकता है।
- उदाहरण के लिये आईबीएम वाटसन ऑन्कोलॉजी का उपयोग विश्व भर में 230 से अधिक अस्पतालों में किया गया है जो ऑन्कोलॉजिस्टों को व्यक्तिगत कैंसर उपचार योजनाएँ विकसित करने में सहायता करता है।
- यह अनुकूलित दृष्टिकोण न केवल रोगी के परिणामों में सुधार करता है बल्कि स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संसाधन आवंटन को भी अनुकूलित करता है।
- दवा की खोज और विकास: AI से दवा की खोज और विकास प्रक्रिया को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे संभावित रूप से जीवन रक्षक दवाओं को तेजी से और कम लागत पर बाज़ार में लाया जा सकता है।
- मशीन लर्निंग एल्गोरिदम जैविक डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं, लक्षित-दवा अंतःक्रियाओं की भविष्यवाणी कर सकते हैं और आणविक संरचनाओं को अनुकूलित कर सकते हैं जिससे प्रारंभिक चरण की दवा खोज के लिये आवश्यक समय और संसाधनों में काफी कमी आ सकती है।
- वर्ष 2020 में इंसिलिको मेडिसिन ने केवल 46 दिनों में फाइब्रोसिस के लिये एक नई दवा को डिज़ाइन करने, संश्लेषित करने और मान्य करने के लिये AI का उपयोग किया। पारंपरिक रूप से ऐसी प्रक्रिया में वर्षों लगते हैं।
- क्लिनिकल प्रणाली को तीव्र करना: AI क्लिनिकल प्रणाली को सुव्यवस्थित कर रहा है, प्रशासनिक बोझ को कम कर रहा है और स्वास्थ्य पेशेवरों को रोगी देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति दे रहा है।
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NALP) एल्गोरिदम स्वचालित रूप से डॉक्टर-रोगी वार्तालाप को लिपिबद्ध और सारांशित कर सकता है, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड को अद्यतन कर सकता है और नैदानिक नोट्स तैयार कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त AI-संचालित शेड्यूलिंग प्रणालियाँ रोगी के लिये सुलभता कर सकती हैं, प्रतीक्षा समय को कम कर सकती हैं और अस्पतालों में संसाधन आवंटन में सुधार कर सकती हैं।
- रिमोट मॉनिटरिंग और टेलीमेडिसिन: AI रिमोट मॉनिटरिंग और टेलीमेडिसिन समाधानों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा की पहुँच का विस्तार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- AI-संचालित पहनने योग्य उपकरण और IoT डिवाइस, रोगी के महत्त्वपूर्ण संकेतों की निगरानी कर सकते हैं, विसंगतियों का पता लगा सकते हैं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को संभावित समस्याओं के बारे में सचेत कर सकते हैं।
- कोविड-19 महामारी के दौरान टेलीमेडिसिन में AI का उपयोग बढ़ गया, बेबीलोन हेल्थ जैसे प्लेटफाॅर्मों ने मरीजों को प्राथमिकता देने और प्रारंभिक परामर्श प्रदान करने के लिये AI चैटबॉट का उपयोग किया।
- यह तकनीक विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण है, जहाँ विशेषज्ञों तक पहुँच सीमित है।
- डब्ल्यूएचओ की सारा एक डिजिटल स्वास्थ्य प्रमोटर का प्रोटोटाइप है जो वीडियो या टेक्स्ट के माध्यम से आठ भाषाओं में 24/7 उपलब्ध है।
- वह तनाव दूर करने एवं सही खानपान को बढ़ावा देने के साथ तंबाकू और ई-सिगरेट छोड़ने के सुझाव देने के साथ-साथ कई अन्य स्वास्थ्य विषयों पर जानकारी भी दे सकती है।
- हालाँकि वह चिकित्सीय सलाह देने के लिये उपयुक्त नहीं है।
- चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: AI व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव प्रदान करके और जटिल नैदानिक परिदृश्यों का अनुकरण करके चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण में क्रांति ला रहा है।
- AI द्वारा संचालित आभासी वास्तविकता (VR) और संवर्धित वास्तविकता (AR) प्लेटफॉर्म मेडिकल छात्रों और पेशेवरों के लिये इमर्सिव प्रशिक्षण वातावरण बना सकते हैं।
- उदाहरण के लिये फंडामेंटलवीआर जैसी कंपनियाँ AI-संचालित हैप्टिक VR सिस्टम प्रदान करती हैं जो सर्जनों को यथार्थवादी फीडबैक के साथ बेहतर प्रक्रियाओं को अपनाने की अनुमति देती हैं।
- AI-संचालित अनुकूली शिक्षण प्रणालियाँ चिकित्सा पाठ्यक्रम को व्यक्तिगत छात्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार कर सकती हैं, जिससे सीखने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और अधिक सक्षम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर तैयार होंगे।
भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में AI से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ: भारत के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे को प्रमुख बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जो AI प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने में चुनौती दे रहे हैं।
- कई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में (विशेष रूप से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में) AI प्रणालियों को समर्थन देने के लिये आवश्यक बुनियादी तकनीकी अवसंरचना का अभाव है।
- एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में 7,821 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में से केवल 3,496 (45%) में बिजली बैक-अप की सुविधा है।
- यह बुनियादी ढाँचागत अंतर परिष्कृत AI प्रणालियों को लागू करना और बनाए रखना मुश्किल बनाता है
- डेटा चुनौतियाँ: प्रभावी AI मॉडल के प्रशिक्षण के लिये आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल डेटा की उपलब्धता और गुणवत्ता में भारत को बाधा का सामना करना पड़ रहा है।
- सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार के प्रदाताओं वाली खंडित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के परिणामस्वरूप असंगत डेटा संग्रहण प्रथाएँ उत्पन्न होती हैं।
- भारत के कई स्वास्थ्य केंद्रों में इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) रखा जाता है लेकिन विश्लेषण के लिये इस डेटा को एकीकृत करने के लिये कोई प्रावधान नहीं हैं, न ही इस बारे में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि स्वास्थ्य रिकॉर्ड को कितने समय तक रखा जाना चाहिये।
- डेटा की गुणवत्ता, मानकीकरण और अंतर-संचालन से संबंधित समस्याओं के कारण यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
- डिजिटल डिवाइड: भारत में डिजिटल डिवाइड स्वास्थ्य सेवा में AI के न्यायसंगत कार्यान्वयन के लिये एक प्रमुख बाधा है।
- शहरी केंद्रों को AI-संचालित स्वास्थ्य देखभाल से लाभ हो सकता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर आवश्यक डिजिटल बुनियादी ढाँचे का अभाव होता है।
- इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) और कंटार (Kantar) के एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार वर्ष 2023 तक 45% भारतीय आबादी की इंटरनेट तक पहुँच नहीं होगी।
- डिजिटल पहुँच में इस असमानता का मतलब है कि AI से स्वास्थ्य सेवा में मुख्य रूप से शहरी आबादी को लाभ मिल सकता है जिससे संभवतः मौजूदा स्वास्थ्य सेवा अंतर बढ़ सकता है।
- नियामक बाधाएँ: स्वास्थ्य सेवा में AI को विशेष रूप से संबोधित करने वाले व्यापक विनियमों का अभाव, भारत में एक प्रमुख चुनौती है।
- यद्यपि डिजिटल स्वास्थ्य डेटा को विनियमित करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में डिजिटल सूचना सुरक्षा स्वास्थ्य सेवा अधिनियम (DISHA) प्रस्तावित किया गया था लेकिन इसे अभी तक अधिनियमित नहीं किया गया है।
- यह विनियामक शून्यता AI डेवलपर्स और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये अनिश्चितता पैदा करती है जिससे संभावित रूप से नवाचार की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
- AI एल्गोरिदम सत्यापन, AI त्रुटियों के मामले में उत्तरदायित्व और रोगी डेटा संरक्षण जैसे मुद्दों पर स्पष्ट दिशानिर्देशों की कमी से रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये जोखिम पैदा होता है।
- नैतिक और सांस्कृतिक विचार: भारत में स्वास्थ्य सेवा में AI को लागू करने से देश की व्यापक विविधता के कारण जटिल नैतिक और सांस्कृतिक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह, सूचित सहमति और गोपनीयता जैसे मुद्दे एवं स्वास्थ्य साक्षरता के विभिन्न स्तरों वाले बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी समाज में अतिरिक्त आयाम जुड़ जाते हैं।
- भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में प्रयुक्त AI एल्गोरिदम (जो मुख्य रूप से पश्चिमी देशों के डेटासेट पर प्रशिक्षित हैं) भारतीयों के लिये प्रयोज्यता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करते हैं।
- स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और डेटा साझाकरण से संबंधित सांस्कृतिक संवेदनशीलताएँ भी इसमें चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं।
- लागत और संसाधन आवंटन: स्वास्थ्य सेवा में AI प्रणालियों के विकास, कार्यान्वयन और रखरखाव से जुड़ी उच्च लागत, भारत के संसाधन-विपन्न स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये एक प्रमुख चुनौती है।
- यद्यपि AI से दीर्घकालिक लागत बचत की संभावना है लेकिन इसमें प्रारंभिक निवेश काफी अधिक हो सकता है।
- स्वास्थ्य सेवा में AI को अपनाने की औसत लागत 20,000 से 1,000,000 अमेरिकी डॉलर के बीच है, जो कई स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये बहुत अधिक राशि है।
- यह लागत विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2020-21 में भारत का स्वास्थ्य सेवा व्यय उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 1.8% था।
- भाषा और स्थानीयकरण मुद्दा: भारत की भाषाई विविधता स्वास्थ्य सेवा में AI कार्यान्वयन के लिये प्रमुख चुनौती प्रस्तुत करती है।
- 22 आधिकारिक भाषाओं और सैकड़ों बोलियों के साथ देश भर में मरीजों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने और उनकी बात समझने वाली AI प्रणाली बनाना एक जटिल कार्य है।
- यह भाषा अवरोध गलत निदान, गलत संचार के साथ AI उपकरणों की प्रभावशीलता को कम कर सकता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में AI के उपयोग के लिये ICMR दिशानिर्देश
- मार्च 2023 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने "बायोमेडिकल रिसर्च और हेल्थकेयर में AI के अनुप्रयोग के लिये नैतिक दिशानिर्देश" जारी किये, जिसमें स्वास्थ्य सेवा में AI के उपयोग के लिये 10 प्रमुख रोगी-केंद्रित नैतिक सिद्धांतों को रेखांकित किया गया।
10 मार्गदर्शक सिद्धांत:
- जवाबदेही और दायित्व: नियमित ऑडिट से जनता के लिये उपलब्ध सर्वोत्तम AI कार्यप्रणाली सुनिश्चित होती है।
- स्वायत्तता: इसमें मानवीय निगरानी आवश्यक है जिसमें रोगी की सहमति आवश्यक है तथा उन्हें जोखिमों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिये।
- डेटा गोपनीयता: AI से हर स्तर पर गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा होनी चाहिये।
- सहयोग: अंतःविषयक, अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा।
- सुरक्षा और जोखिम न्यूनीकरण: दुरुपयोग को रोकना, डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना और नैतिक समिति के आकलन की आवश्यकता को बल देना।
- पहुँच, समानता और समावेशिता: इसका उद्देश्य AI अवसंरचना तक पहुँच सुनिश्चित करके डिजिटल विभाजन को पाटना है।
- डेटा अनुकूलन: खराब डेटा गुणवत्ता या प्रतिनिधित्व के कारण होने वाले पूर्वाग्रहों और त्रुटियों को हल करना।
- गैर-भेदभाव और निष्पक्षता: सार्वभौमिक, पूर्वाग्रह-मुक्त AI प्रौद्योगिकी सुनिश्चित करना।
- विश्वसनीयता: उपयोगकर्ता का विश्वास हासिल करने के लिये AI का वैध, विश्वसनीय और नैतिक होना।
- पारदर्शिता: चिकित्सकों को AI की वैधता और विश्वसनीयता का परीक्षण करने के लिये व्यवस्थित तरीकों की आवश्यकता।
रूपरेखाएँ: स्वास्थ्य सेवा में AI का समर्थन करने वाली भारत की रूपरेखाओं में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के अंतर्गत डिजिटल स्वास्थ्य प्राधिकरण, DISHA, 2018 और चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 शामिल हैं।
भारत स्वास्थ्य सेवा में AI को प्रभावी ढंग से किस प्रकार लागू कर सकता है?
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन डेटाबेस को मज़बूत करना: भारत उन्नत AI प्रौद्योगिकियों को शामिल करके अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन भंडार (NHRR) को बढ़ा सकता है।
- NHRR के माध्यम से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को AI-रेडी डेटा प्रोटोकॉल के साथ एकीकृत करके, भारत एक मज़बूत AI हेल्थकेयर मॉडल का निर्माण कर सकता है।
- एस्टोनिया की ई-स्वास्थ्य प्रणाली की सफलता, जो जनसंख्या के 95% स्वास्थ्य डेटा को कवर करती है, इस दृष्टिकोण की व्यवहार्यता को प्रदर्शित करती है।
- भारत-विशिष्ट AI मॉडल विकसित करना: AI मॉडल भारतीय आबादी के लिये उपयुक्त नहीं होने की चुनौती का समाधान करने के लिये सरकार भारत-विशिष्ट AI मॉडल विकसित करने के लिये शैक्षणिक संस्थानों और तकनीकी कंपनियों के साथ सहयोग कर सकती है।
- इन मॉडलों को विविध भारतीय डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिये जिसमें आनुवंशिक विविधता, क्षेत्रीय रोग प्रतिरूप और स्वास्थ्य के सामाजिक-आर्थिक निर्धारकों जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिये।
- उदाहरण के लिये आईआईटी-दिल्ली के शोधकर्त्ताओं ने मलेरिया, टीबी, सर्वाइकल कैंसर के लिये AI-आधारित डिटेक्टर विकसित किये हैं।
- सरकार "भारतीय स्वास्थ्य सेवा के लिये AI" चैलेंज की स्थापना कर सकती है, जो कि सामाजिक कल्याण के क्रम में सफल गूगल AI कार्यक्रम के समान है जिसमें भारत की अद्वितीय स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों के अनुरूप समाधान विकसित करने के लिये शोधकर्त्ताओं और स्टार्टअप को आमंत्रित किया जा सकता है।
- स्तरीकृत AI कार्यान्वयन रणनीति बनाना: डिजिटल विभाजन को कम करने के लिये भारत स्तरीकृत AI कार्यान्वयन रणनीति अपना सकता है।
- बेहतर बुनियादी ढाँचे वाले शहरी क्षेत्रों में निदान और उपचार योजना के लिये उन्नत AI सिस्टम को तृतीयक देखभाल अस्पतालों में लागू किया जा सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में आरंभ में सरल, अधिक मज़बूत AI उपकरणों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये जो सीमित कनेक्टिविटी के साथ कार्य कर सकें जैसे कि बुनियादी स्वास्थ्य जाँच के लिये AI-संचालित मोबाइल ऐप या ऑफलाइन क्षमताओं वाले टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म।
- उदाहरण के लिये 'नीति आयोग AI फॉर ऑल' पहल का विस्तार कर इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लिये स्वास्थ्य-विशिष्ट कार्यक्रम शामिल किये जा सकते हैं ।
- आरोग्य सेतु ऐप की सफलता, भारत में मोबाइल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने की क्षमता को प्रदर्शित करती है।
- स्वास्थ्य देखभाल AI हेतु एक नियामक सैंडबॉक्स स्थापित करना: नियामक बाधाओं को दूर करने के लिये भारत स्वास्थ्य देखभाल AI हेतु एक 'नियामक सैंडबॉक्स' बना सकता है जिससे नियामक पर्यवेक्षण के तहत वास्तविक परिस्थितियों में AI समाधानों के नियंत्रित परीक्षण की अनुमति मिल सके।
- यह दृष्टिकोण नवाचार को बढ़ावा देते हुए उचित विनियमन विकसित करने में मदद करेगा।
- सैंडबॉक्स को भारतीय रिज़र्व बैंक के फिनटेक सैंडबॉक्स के अनुरूप तैयार किया जा सकता है, जिसने कई नवीन वित्तीय समाधानों को सफलतापूर्वक विकसित किया है।
- स्वास्थ्य सेवा AI हेतु सैंडबॉक्स द्वारा प्रारंभ में प्रशासनिक प्रक्रियाओं या कम जोखिम वाले नैदानिक उपकरणों जैसे गैर-महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) इस सैंडबॉक्स की देखरेख कर सकता है तथा इसकी व्यापक तैनाती से पहले AI समाधानों का परीक्षण करने के लिये प्रौद्योगिकी कंपनियों और अस्पतालों के साथ सहयोग कर सकता है।
- चिकित्सा पाठ्यक्रम में AI शिक्षा को एकीकृत करना: कौशल अंतराल को दूर करने के लिये भारत को चिकित्सा और नर्सिंग शिक्षा पाठ्यक्रम में AI तथा डेटा विज्ञान मॉड्यूल को एकीकृत करना चाहिये।
- इसमें स्वास्थ्य सेवा में AI पर अनिवार्य पाठ्यक्रम, AI उपकरणों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण और स्वास्थ्य-तकनीक कंपनियों के साथ इंटर्नशिप शामिल हो सकती है।
- इसके अतिरिक्त सरकार अभ्यासरत पेशेवरों के लिये स्वास्थ्य सेवा में प्रमाणित AI पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिये ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों के साथ साझेदारी कर सकती है।
- स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के हेल्थकेयर में AI ऑनलाइन पाठ्यक्रम जैसी पहल की सफलता, इस दृष्टिकोण की क्षमता को प्रदर्शित करती है।
- स्वास्थ्य सेवा में AI हेतु नैतिक दिशानिर्देश स्थापित करना: नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिये भारत को अपने अद्वितीय सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ पर विचार करते हुए स्वास्थ्य सेवा में AI के लिये व्यापक नैतिक दिशानिर्देश विकसित करने चाहिये।
- इन दिशानिर्देशों में डेटा गोपनीयता, एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह और नैदानिक निर्णय लेने में AI की भूमिका जैसे मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिये।
- सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक AI नैतिकता समिति का गठन कर सकती है जिसमें चिकित्सा पेशेवर, नैतिकतावादी, AI विशेषज्ञ और रोगी अधिवक्ता शामिल होंगे।
- यह समिति विश्वसनीय AI के लिये यूरोपीय आयोग के नैतिक दिशा-निर्देशों से प्रेरणा ले सकती है तथा उन्हें भारतीय संदर्भ में अनुकूलित कर सकती है।
- AI-रेडी स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे का निर्माण: भारत को स्वास्थ्य सुविधाओं में AI-रेडी बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- इसमें स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में स्थिर विद्युत् आपूर्ति, मज़बूत इंटरनेट कनेक्टिविटी और आवश्यक हार्डवेयर सुनिश्चित करना शामिल है।
- सरकार डिजिटल बुनियादी ढाँचे के उन्नयन को शामिल करने के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी मौजूदा योजनाओं का लाभ उठा सकती है।
- उदाहरण के लिये छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सफल कार्यान्वयन, जिससे 24/7 बिजली सुनिश्चित हुई। इसके साथ ही डिजिटल बुनियादी ढाँचे को शामिल करके इसका विस्तार किया जा सकता है।
- जन जागरूकता अभियान शुरू करना: मरीजों के विश्वास और स्वीकृति संबंधी चुनौती से निपटने के लिये भारत को स्वास्थ्य सेवा में AI के बारे में व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिये।
- इन अभियानों द्वारा सरल एवं सुगम शब्दों में AI के लाभों और सीमाओं को समझाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- सोशल मीडिया, टेलीविज़न और सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों सहित विभिन्न मीडिया चैनलों का उपयोग करना चाहिये।
- उदाहरण के लिये पल्स पोलियो अभियान की सफलता में सेलिब्रिटी समर्थन और जमीनी स्तर पर लामबंदी का उपयोग किया गया, AI जागरूकता के लिये एक मॉडल हो सकता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते एकीकरण के साथ निदान, उपचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में AI को अपनाने से संबंधित संभावित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न 1. निषेधात्मक श्रम के कौन-से क्षेत्र हैं, जिनका रोबोटों के द्वारा धारणीय रूप से प्रबंधन किया जा सकता है? ऐसी पहलों पर चर्चा कीजिये, जो प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में मौलिक और लाभप्रद नवाचार के लिये अनुसंधान को आगे बढ़ा सकें। (2015) प्रश्न 2. “चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के उद्भव ने ई-गवर्नेंस को सरकार के अभिन्न अंग के रूप में स्थापित किया है”। चर्चा कीजिये। (2020) |