भारतीय इतिहास
द्वितीय विश्व युद्ध और भारत
- 29 Nov 2024
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प्रिलिम्स के लिये:प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, वर्साय की संधि, ऑपरेशन बारबारोसा, तुष्टिकरण की नीति, हिरोशिमा और नागासाकी, मार्शल योजना मेन्स के लिये:द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका, द्वितीय विश्व युद्ध के कारण और परिणाम, द्वितीय विश्व युद्ध के वैश्विक प्रभाव |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 80 से अधिक वर्षों के बाद बांग्लादेश में 23 जापानी सैनिकों के अवशेष मिलने से द्वितीय विश्व युद्ध तथा उसमें भारत सहित कई देशों की भागीदारी के बारे में चर्चाएँ पुनः शुरू हो गई हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- समय अवधि: द्वितीय विश्व युद्ध वर्ष 1939 से 1945 तक चला और यह मानव इतिहास का सबसे व्यापक और विनाशकारी संघर्ष था।
- प्राथमिक लड़ाकू: दो मुख्य विरोधी गठबंधन धुरी शक्तियाँ (जर्मनी, इटली, जापान) और मित्र शक्तियाँ (जिनमें अमेरिका, फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन शामिल थे) थे।
- युद्ध का तात्कालिक कारण 1 सितंबर, 1939 को जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण था, जिसके कारण ब्रिटेन और फ्राँस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
- युद्ध के कारण:
- वर्साय की संधि (1919): वर्ष 1919 में जर्मनी और मित्र राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षरित वर्साय की संधि ने के साथ प्रथम विश्व युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया।
- जर्मनी को इस संधि के तहत निरस्त्रीकरण, अपने विदेशी क्षेत्रों को छोड़ने, क्षतिपूर्ति का भुगतान करने और भूमि खोने के लिये मज़बूर किया गया। एडॉल्फ हिटलर और नाज़ी जर्मनी इन कठोर शर्तों के कारण विकसित हुई आर्थिक अस्थिरता और असंतोष के परिणामस्वरूप सत्ता में आए।
- राष्ट्र संघ की विफलता: विश्व शांति बनाए रखने के लिये वर्ष 1919 में स्थापित राष्ट्र संघ का उद्देश्य सार्वभौमिक सदस्यता और विवादों का समाधान बल के बजाय वार्तालाप के माध्यम से करना था।
- एक अच्छा विचार होने के बावजूद, राष्ट्र संघ अंततः विफल हो गया क्योंकि सभी देश इसमें शामिल नहीं हुए। चीन में मंचूरिया पर जापान के आक्रमण और इथियोपिया पर इटली के आक्रमण को रोकने में इसकी असमर्थता ने धुरी शक्तियों को और अधिक आक्रामक कार्रवाई करने के लिये प्रोत्साहित किया।
- आर्थिक मंदी 1929: वर्ष 1920 के दशक के अंत और वर्ष 1930 के दशक की शुरुआत में वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण इटली, जापान और जर्मनी जैसे देशों में अधिनायकवादी शासन (एक राजनीतिक दल जिसके पास पूर्ण शक्ति होती है) का उदय हुआ।
- वर्ष 1930 के दशक में जर्मनी, इटली और जापान ने आक्रामक तरीके से अपने क्षेत्रों का विस्तार किया, जिसके परिणामस्वरूप सैन्य टकराव हुआ।
- फासीवाद का उदय: प्रथम विश्व युद्ध के बाद, विजेताओं का लक्ष्य "विश्व को लोकतंत्र के लिये सुरक्षित बनाना" था, जिसके परिणामस्वरूप जर्मनी और अन्य राज्यों में लोकतांत्रिक संविधान स्थापित हुए।
- हालाँकि, वर्ष 1920 के दशक में राष्ट्रवाद और सैन्यवादी अधिनायकवाद (फासीवाद) का उदय हुआ। इसने लोकतंत्र की तुलना में लोगों की ज़रूरतों को ज़्यादा प्रभावी ढंग से पूरा करने का वादा किया तथा स्वयं को साम्यवाद के विरुद्ध बचाव के रूप में पेश किया।
- बेनिटो मुसोलिनी ने वर्ष 1922 में इटली में यूरोप में पहली फासीवाद अधिनायकत्व स्थापित किया।
- नाज़ीवाद का उदय: जर्मन नेशनल सोशलिस्ट (नाज़ी) पार्टी के नेता एडॉल्फ हिटलर ने फासीवाद के एक नस्लवादी रूप का प्रचार किया, जिसमें वर्साय संधि को खत्म करने और "श्रेष्ठ" जर्मन जाति के लिये अधिक लेबेन्स्राम ("रहने की जगह") सुरक्षित करने का वादा किया गया था।
- वर्ष 1933 में वे जर्मन चांसलर बने और खुद को तानाशाह के रूप में स्थापित किया। वर्ष 1941 में, नाज़ी शासन ने स्लाव, यहूदियों और अन्य हीन समझे जाने वाले लोगों के विरुद्ध विनाशकारी युद्ध की शुरूआत की।
- तुष्टीकरण की नीति: ब्रिटेन और फ्राँस द्वारा अपनाई गई तुष्टीकरण की नीति का उद्देश्य शांति बनाए रखने संबंधी मांगों को मानकर जापान, इटली और जर्मनी जैसी आक्रामक शक्तियों के साथ युद्ध से बचना था।
- इस दृष्टिकोण से जर्मनी को बिना सैन्य हस्तक्षेप के क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने की अनुमति मिलने से संघर्ष को बढ़ावा मिला।
- वर्साय की संधि (1919): वर्ष 1919 में जर्मनी और मित्र राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षरित वर्साय की संधि ने के साथ प्रथम विश्व युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया।
- युद्ध के प्रमुख चरण:
- युद्ध की शुरुआत और प्रारंभिक धुरी राष्ट्रों की जीत: फोनी युद्ध (1939-1940) के दौरान हिटलर ने पोलैंड पर विजय प्राप्त की, जिसके परिणामस्वरूप भूमिगत गतिविधि न्यूनतम हुई, क्योंकि देश एक-दूसरे की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे थे।
- जर्मनी की ब्लिट्जक्रेग (तीव्रता, कूटनीति और संकेंद्रित मारक क्षमता का संयोजन) रणनीति के माध्यम से प्रारंभिक धुरी राष्ट्रों की सफलताओं के कारण फ्राँस सहित पश्चिमी यूरोप के अधिकांश हिस्सों पर तीव्रता से कब्ज़ा हुआ।
- ऑपरेशन बारबारोसा (1941): जर्मनी द्वारा सोवियत संघ पर आक्रमण (ऑपरेशन बारबारोसा), एक महत्त्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
- प्रारंभिक सफलताओं के बावजूद, सोवियत संघ जर्मन गतिविधियों को रोकने में सफल (विशेष रूप से स्टेलिनग्राद के युद्ध (1942-1943) के दौरान) रहा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रवेश: वर्ष 1941 में पर्ल हार्बर पर जापान के हमले के बाद अमेरिका ने युद्ध में प्रवेश किया, जिससे शक्ति संतुलन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया।
- निर्णायक बिंदु: मिडवे के युद्ध (1942) (जिसमें अमेरिका ने जापान को हराया) के साथ एल अलामीन (1942), स्टेलिनग्राद और 1944 में नॉरमैंडी (डी-डे) पर मित्र देशों के आक्रमण जैसे प्रमुख युद्धों से धुरी देशों की प्रगति धीमी हो गई और वह अंततः हार की ओर अग्रसर हुए।
- युद्ध की शुरुआत और प्रारंभिक धुरी राष्ट्रों की जीत: फोनी युद्ध (1939-1940) के दौरान हिटलर ने पोलैंड पर विजय प्राप्त की, जिसके परिणामस्वरूप भूमिगत गतिविधि न्यूनतम हुई, क्योंकि देश एक-दूसरे की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे थे।
- युद्ध का अंत:
- जर्मनी की पराजय: बर्लिन के पतन एवं हिटलर की आत्महत्या के बाद मई 1945 में जर्मनी द्वारा बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ ही यूरोप में युद्ध समाप्त हो गया।
- जापान की हार: अगस्त 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा (6 अगस्त) और नागासाकी (9 अगस्त) पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। जापान के आत्मसमर्पण के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम?
- नतीजे:
- मानवीय क्षति: इस युद्ध के कारण अनुमानतः 70-85 मिलियन लोगों (जिनमें सैन्य और नागरिक दोनों शामिल थे) की मृत्यु हुई जिसमें होलोकॉस्ट (जिसमें नाज़ी जर्मनी द्वारा छह मिलियन यहूदियों को मार दिया गया था) भी शामिल है।
- शीत युद्ध का उदय: धुरी राष्ट्रों की हार के परिणामस्वरूप नाज़ी जर्मनी और शाही जापान का पतन हुआ तथा जर्मनी का विभाजन हो गया।
- सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप में अपना प्रभाव बढ़ाया, जबकि अमेरिका एक महाशक्ति के रूप में उभरा जिससे शीत युद्ध की शुरुआत हुई।
- संयुक्त राष्ट्र: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने तथा भविष्य के संघर्षों को रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र की स्थापना वर्ष 1945 में की गई थी।
- आर्थिक सुधार: अमेरिका ने युद्धग्रस्त पश्चिमी यूरोप के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये मार्शल योजना (1948) को लागू किया।
- परमाणु हथियारों की दौड़: हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम विस्फोटों से परमाणु युग की शुरुआत हुई, जिससे शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हो गई।
- वि-औपनिवेशीकरण: युद्ध के बाद कई यूरोपीय औपनिवेशिक साम्राज्य कमज़ोर हो गए, जिससे अफ्रीका, एशिया एवं मध्य पूर्व में उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों को बढ़ावा मिला।
- द्वितीय विश्व युद्ध की विरासत:
- शीत युद्ध का उदय: अमेरिका और सोवियत संघ के बीच वैचारिक एवं राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण शीत युद्ध शुरू हुआ, जो कई दशकों तक चला।
- वैश्विक पुनर्गठन: युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नया स्वरूप मिलने से नए गठबंधनों का निर्माण हुआ तथा आने वाले दशकों में विश्व के राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक परिदृश्य पर इसका प्रभाव पड़ा।
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका क्या थी?
- ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा: द्वितीय विश्व युद्ध के समय, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ ब्रिटिश शासन के अधीन एक उपनिवेश था।
- युद्ध की एकतरफा घोषणा: वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सरकार ने भारतीय राजनीतिक नेताओं से परामर्श किये बिना ही युद्ध में भारत की भागीदारी की घोषणा कर दी, जिससे असंतोष फैल गया।
- सैनिकों का विशाल योगदान: भारत ने ब्रिटिश कमान के तहत युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में लड़ने के लिये 2.5 मिलियन से अधिक सैनिक भेजे, जिससे यह विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी सेना बन गई।
- मित्र राष्ट्रों के लिये समर्थन: भारतीय सैनिकों ने यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया सहित सभी प्रमुख मोर्चों पर लड़ाई लड़ी। उन्होंने इटली को आज़ाद कराने और युद्ध प्रयासों के लिये ज़रूरी आपूर्ति प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इटली में मोंटे कैसिनो की लड़ाई में उनकी भागीदारी महत्त्वपूर्ण थी।
- धुरी शक्तियों के साथ भारत: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सुभाष चंद्र बोस ने जापान के समर्थन से भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का नेतृत्व किया।
- INA ने जापानी सेनाओं के साथ मिलकर दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटिशों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी, जिसमें म्याँमार और थाईलैंड जैसे क्षेत्र भी शामिल थे, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना था।
भारतीयों ने द्वितीय विश्व युद्ध को किस प्रकार देखा?
- ब्रिटिश शासन का विरोध: भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस (INC) की प्रांतीय सरकारों ने भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो के द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को शामिल करने के एकतरफा निर्णय के विरोध में 1939 में इस्तीफा दे दिया।
- उन्होंने मांग की कि युद्ध के बाद भारत का राजनीतिक भविष्य उसके अपने लोगों द्वारा तय किया जाना चाहिये।
- स्वतंत्रता के लिये समर्थन: कई भारतीयों ने, विशेषकर महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने, युद्ध को ब्रिटेन से स्वतंत्रता की मांग करने के अवसर के रूप में देखा।
- उनका मानना था कि युद्ध के दौरान ब्रिटेन की कमज़ोर स्थिति का लाभ उठाकर स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है।
- सशर्त समर्थन: मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा सहित कुछ गुटों ने ब्रिटिश युद्ध प्रयास का समर्थन किया, यह आशा करते हुए कि भारत के योगदान के परिणामस्वरूप नरमी आएगी और अंततः स्वतंत्रता मिलेगी।
द्वितीय विश्व युद्ध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
- राष्ट्रवाद में वृद्धि: युद्ध और ब्रिटिश प्रतिक्रिया ने राष्ट्रवाद की एक नई लहर को बढ़ावा दिया, विशेष रूप से सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के निर्माण के बाद, जिसने दक्षिण पूर्व एशिया में जापानियों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी।
- आर्थिक तनाव: युद्ध का भारत की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा, जिससे मुद्रास्फीति, उच्च कर, भ्रष्टाचार और अकाल जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुईं।
- 1943 का बंगाल अकाल, जो कि सबसे भयावह अकालों में से एक था, लाखों लोगों की मृत्यु का कारण बना।
- युद्ध के बाद स्वतंत्रता आंदोलन: युद्ध के प्रभाव ने ब्रिटेन के लिये अपने साम्राज्य को बनाए रखना मुश्किल बना दिया। युद्ध के अंत तक, भारतीय स्वतंत्रता की मांग को नकारा नहीं जा सकता था।
- इसके अतिरिक्त, युद्ध से लौटे कई भारतीयों को यह महसूस हुआ कि यूरोपीय लोगों की तुलना में उनके पास कम नागरिक स्वतंत्रताएँ थीं, जिससे स्वतंत्रता की मांग और अधिक बढ़ गई तथा 1947 में भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध के छिड़ने के कारणों और उसके वैश्विक प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। इन घटनाओं ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को किस प्रकार आकार दिया? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्सप्रश्न. "दोनों विश्व युद्धों के बीच लोकतंत्रीय राज्य प्रणाली के लिये एक गंभीर चुनौती उत्पन्न हुई।" इस कथन का मूल्यांकन कीजिये। (2021) प्रश्न. किस सीमा तक जर्मनी को दो विश्व युद्धों का कारण बनने का ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2015) |