विश्व आदिवासी दिवस | 10 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

अनुसूचित जनजाति, छठी अनुसूची, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, सरकारी पहल 

मेन्स के लिये :

भारत के जनजातीय लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति पर राष्ट्रीय रिपोर्ट, सरकार की पहल 

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस वैश्विक स्तर पर आदिवासी आबादी के अधिकारों की रक्षा एवं जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। 

विश्व आदिवासी दिवस: 

  • परिचय: 
    • यह दिन वर्ष 1982 में जिनेवा में स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक को मान्यता देता है। 
    • यह संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुसार वर्ष 1994 से हर वर्ष मनाया जाता है। 
    • आज भी कई स्वदेशी लोग अत्यधिक गरीबी, वंचन और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन का अनुभव करते हैं। 
  • विषय: 
    • वर्ष 2022 के लिये इस दिवस की थीम "पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका" (The Role of Indigenous Women in the Preservation and Transmission of Traditional Knowledge) है। 

रिपोर्ट: 

  • परिचय: 
    • 13 सदस्यीय समिति का गठन संयुक्त रूप से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वार किया गया था। 
    • समिति को पर्याप्त आँकड़े एकत्र करने और देश के आदिवासी लोगों की स्थिति की सही तस्वीर पेश करने में पाँच वर्ष का समय लगा है। 
  •  जाँच - परिणाम: 
  • भौगोलिक स्थिति: 
    • भारत में 809 खण्डों/ब्लाक में जनजातीय आबादी निवास करती है। 
    • ऐसे क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में नामित किया गया है। 
    • इस रिपोर्ट में अप्रत्याशित निष्कर्ष यह था कि भारत की 50% आदिवासी आबादी (लगभग 5.5 करोड़) अनुसूचित क्षेत्रों से बाहर, बिखरे हुए और हाशिये पर रहने वाले अल्पसंख्यक के रूप में है। 
  • स्वास्थ्य: 
    • पिछले 25 वर्षों के दौरान जनजातीय लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति में निश्चित रूप से सुधार हुआ है। 
  • मृत्यु दर: 
    • पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर वर्ष 1988 में 135 (प्रति 1000 मृत्यु) (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण NFHS-1) से घटकर वर्ष 2014 (NFHS-4) में 57 (प्रति 1000 मृत्यु) हो गई है। 
    • अन्य की तुलना में अनुसूचित जनजातियों में पाँच वर्ष से कम आयु के लोगों की मृत्यु दर का प्रतिशत बढ़ गया है। 
  • कुपोषण: 
    • आदिवासी बच्चों में बाल कुपोषण 50% अधिक है (अन्य में 28% की तुलना में 42%)। 
  • मलेरिया और क्षय रोग: 
    • आदिवासी लोगों में मलेरिया और क्षय रोग 3-11 गुना अधिक आम हैं। 
    • हालाँकि आदिवासी लोग राष्ट्रीय आबादी का केवल 8.6% हैं,  भारत में उनमें 50% की मौत मलेरिया से होती है। 
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल: 
    • जनजातीय लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों जैसे सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। 
      • जनजातीय क्षेत्रों में ऐसी सुविधाओं की संख्या में 27% से 40% की कमी है और चिकित्सा क्षेत्र में डॉक्टरों में 33% से 84% की कमी है। 
      • जनजातीय लोगों के लिये सरकारी स्वास्थ्य देखभाल हेतु धन के साथ-साथ मानव संसाधनों का भी अभाव है। 
  • जनजातीय उप-योजना (TSP) लेखांकन: 
    • यह राज्य में जनजातीय आबादी के प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त वित्तीय परिव्यय आवंटित करने और खर्च करने की आधिकारिक नीति है। 
    • वर्ष 2015-16 के अनुमान के अनुसार आदिवासी स्वास्थ्य पर सालाना 15,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च किये जाने चाहिये। 
      • हालाँकि सभी राज्यों द्वारा इसका पूरी तरह से उल्लंघन किया गया है। 
        • नीति पर कोई लेखा-जोखा या जवाबदेही मौजूद नहीं है। 
        • कितना खर्च हुआ या नहीं हुआ यह कोई नहीं जानता। 

समिति की प्रमुख सिफारिशें: 

  • सबसे पहले समिति ने एक राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य कार्ययोजना शुरू करने का सुझाव दिया, जिसका लक्ष्य अगले 10 वर्षों में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल को संबंधित राज्य के औसत के बराबर लाना है। 
  • दूसरा, समिति ने 10 प्राथमिकता वाली स्वास्थ्य समस्याओं, स्वास्थ्य देखभाल अंतराल, मानव संसाधन अंतराल और शासन समस्याओं के समाधान के लिये लगभग 80 उपायों का सुझाव दिया। 
  • तीसरा, समिति ने अतिरिक्त धन के आवंटन का सुझाव दिया ताकि आदिवासी लोगों पर प्रति व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य व्यय राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के घोषित लक्ष्य (यानी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का 2.5%) के बराबर हो जाए। 

भारत सरकार द्वारा आदिवासी कल्याण हेतु उठाए कदम: 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs) 

भारत के संदर्भ में 'हाइबी, हो और कुई' शब्द निम्नलिखित से संबंधित हैं: (2021)

(a) उत्तर-पश्चिम भारत के नृत्य रूप 
(b) वाद्य यंत्र 
(c) पूर्व-ऐतिहासिक गुफा चित्र 
(d) जनजातीय भाषाएँ 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • ओडिशा का राज्य में रहने वाले आदिवासियों की विशाल आबादी के कारण भारत में अद्वितीय स्थान है। ओडिशा में 62 आदिवासी समुदाय रहते हैं जो ओडिशा की कुल आबादी का 22.8% है। 
  • ओडिशा की जनजातीय भाषा 3 मुख्य भाषा परिवारों में विभाजित है। वे ऑस्ट्रो-एशियाटिक (मुंडा), द्रविड़ और इंडो-आर्यन हैं। प्रत्येक जनजाति की अपनी भाषा और भाषा परिवार होता है। भाषाओं में शामिल हैं: 
  • ऑस्ट्रो-एशियाटिक: भूमिज, बिरहोर, रेम (बोंडा), गाता (दीदई), गुटब (गडाबा), सोरा (साओरा), गोरुम (परेगा), खड़िया, जुआँग, संताली, हो, मुंडारी आदि। 
  • द्रविड़: गोंडी, कुई-कोंढ, कुवी-कोंढ, किसान, कोया, ओलारी, (गडाबा) परजा, पेंग, कुदुख (उराँव) आदि। 
  • इंडो आर्यन: बथुडी, भुइयाँ, कुरमाली, सौंटी, सदरी, कंधन, अघरिया, देसिया, झरिया, हल्बी, भात्री, मटिया, भुँजिया आदि। 
  • इन भाषाओं में से केवल 7 में ही लिपियाँ हैं। वे संताली (ओलचिकी), सौरा (सोरंग संपेंग), हो (वारंगचिति), कुई (कुई लिपि), उराँव (कुखुद तोड़), मुंडारी (बानी हिसिर), भूमिज (भूमिज अनल) हैं। संताली भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। 

अतः विकल्प (d) सही है। 


भारत में विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों (PVTGs) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. PVTGs 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में रहते हैं। 
  2. स्थिर या घटती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारित करने हेतु एक मानदंड है। 
  3. देश में अब तक आधिकारिक तौर पर 95 PVTG अधिसूचित हैं। 
  4. इरुलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ PVTG की सूची में शामिल हैं। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? 

(a) केवल 1, 2 और 3 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1, 2 और 4 
(d) केवल 1, 3 और 4 

उत्तर: (c) 

व्याख्या: 

  • ढेबर आयोग ने 1973 में आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) की एक अलग श्रेणी बनाई जो आदिवासी समूहों में कम विकसित थे। आयोग के अनुसार, अधिक विकसित और मुखर आदिवासी समूह आदिवासी विकास निधि का बड़ा हिस्सा लेते हैं जिसके कारण PVTGs को अपने विकास हेतु निर्देशित अधिक धन की आवश्यकता होती है। इस संदर्भ में भारत सरकार ने 1975 में सबसे कमज़ोर आदिवासी समूहों को एक अलग श्रेणी के रूप में पहचानने की पहल की जिसे आदिम संवेदनशील जनजातीय समूह कहा जाता है। 
  • गृह मंत्रालय द्वारा 75 आदिवासी समूहों को विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। PVTGs 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं। अत: कथन 1 सही है एवं कथन 3 सही नहीं है। 
  • PVTGs के निर्धारण हेतु जिन मानदंडों का पालन किया जाता है वे हैं- प्रौद्योगिकी का कृषि-पूर्व स्तर, स्थिर या घटती जनसंख्या, अत्यंत कम साक्षरता और अर्थव्यवस्था का निर्वाह स्तर। अत: कथन 2 सही है। 
  • PVTGs की सूची में इरुलर (तमिलनाडु) और कोंडा रेड्डी (आंध्र प्रदेश) जनजातियांँ शामिल हैं। अतः कथन 4 सही है। 

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। 


प्रश्न. आज़ादी के बाद से अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा दो प्रमुख कानूनी पहल क्या हैं? ( मुख्य परीक्षा, 2017) 

स्रोत: द हिंदू