विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन 2022 | 17 Feb 2022
प्रिलिम्स के लिये:विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन, सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारतीय पहल, बॉन चैलेंज, IUCN मेन्स के लिये:समावेशी विकास, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, संरक्षण, विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन, सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारतीय पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने ‘ऊर्जा और संसाधन संस्थान’ (TERI) द्वारा आयोजित ‘विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन’ को संबोधित किया।
विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन:
- परिचय:
- विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन ‘ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान’ (TERI) का प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है।
- यह वैश्विक मुद्दों पर एकमात्र शिखर सम्मेलन है, जो विकासशील देशों के बीच आयोजित होता है।
- उद्देश्य:
- इसकी अवधारणा सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन की दिशा में लक्षित कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिये एकल मंच के रूप में की गई है।
- इसका उद्देश्य सतत् विकास, ऊर्जा और पर्यावरण क्षेत्र से संबंधित वैश्विक नेताओं और विद्वानों को एक साझा मंच उपलब्ध कराना है।
‘ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान’ (TERI):
- TERI एक गैर-लाभकारी अनुसंधान संस्थान है।
- यह भारत और ग्लोबल साउथ के लिये ऊर्जा, पर्यावरण एवं सतत् विकास के क्षेत्र में अनुसंधान आयोजित करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1974 में टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में हुई थी और वर्ष 2003 में इसका नाम बदलकर ‘ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान’ कर दिया गया।
शिखर सम्मेलन में भारत का पक्ष:
- न्यायसंगत ऊर्जा पहुँच:
- भारत ने यह सुनिश्चित करके अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है कि गरीबों तक समान ऊर्जा पहुँच उसकी पर्यावरण नीति की आधारशिला बनी रहे।
- इनमें उज्ज्वला योजना के तहत 90 मिलियन परिवारों की स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुँच जैसी पहल शामिल है।
- साथ ही किसानों को पीएम-कुसुम योजना के तहत सौर पैनल स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है, जहाँ किसान अधिशेष बिजली का उपयोग कर सकते हैं और इसे ग्रिड को बेंच भी सकते हैं, जो स्थिरता और समानता को बढ़ावा देगा।
- उत्सर्जन में कमी:
- LED बल्ब वितरण योजना (उजाला) पर चर्चा की गई, जो बीते सात वर्षों से चल रही है, जिसने कथित तौर पर 220 बिलियन यूनिट बिजली की बचत की है और प्रतिवर्ष 180 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका था।
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 'हरित हाइड्रोजन' का दोहन करना है और यह TERI जैसे शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों पर निर्भर है कि वे मापनीय समाधानों को अपनाए।
- रामसर स्थल:
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा भारत के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्रदान की गई तथा भारत में अब 49 रामसर स्थल (आर्द्रभूमि) हैं जो 1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं।
- भारत एक विशाल जैव-विविधता वाला देश है। विश्व के 2.4% भूमि क्षेत्र के साथ भारत में विश्व की लगभग 8% प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा भारत के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्रदान की गई तथा भारत में अब 49 रामसर स्थल (आर्द्रभूमि) हैं जो 1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं।
- भूमि क्षरण:
- भूमि क्षरण को रोककर उसकी पुनः बहाली वर्ष 2015 से मुख्य फोकस क्षेत्रों में से एक रहा है और 11.5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक को बहाल किया गया है।
- भारत बॉन चैलेंज के तहत भूमि क्षरण तटस्थता की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को प्राप्त करने की राह पर है।
- भारत यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) के तहत की गई अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में दृढ़ विश्वास रखता है। भारत ने ग्लासगो में CoP-26 के दौरान भी अपनी महत्त्वाकांक्षाओं में वृद्धि की है।
- उदाहरण के लिये भारत ने घोषणा की कि वह वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
- समन्वित कार्रवाई:
- सस्टेनेबिलिटी हेतु ग्लोबल कॉमन्स के लिये समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। भारत के प्रयासों ने इस अंतर-निर्भरता को मान्यता दी है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से भारत का उद्देश्य ''वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड'' है।
- विश्व को हर समय हर जगह विश्वव्यापी ग्रिड से स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिये।
- इसने देशों से समानता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए विश्व स्तर पर सहमत नियमों के आधार पर कार्य करने तथा विभेदित उत्तरदायित्व एवं संबंधित क्षमताओं के साथ राष्ट्रीय परिस्थितियों के आधार पर जलवायु परिवर्तन पर कार्य करने का भी आग्रह किया है।
- जब तक कि वैश्विक कार्बन बजट के अपने उचित हिस्से के तहत सभी देशों द्वारा इक्विटी को लागू नहीं किया जाता है तब तक पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता।
- सस्टेनेबिलिटी हेतु ग्लोबल कॉमन्स के लिये समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। भारत के प्रयासों ने इस अंतर-निर्भरता को मान्यता दी है।
- आपदाग्रस्त द्वीपों के लिये बुनियादी ढाँचा:
- आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर गठबंधन (C.D.R.I.) का उद्देश्य लगातार प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्रों में मज़बूत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना है।
- CoP-26 की तर्ज पर भारत ने ''इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर रेज़िलिएंट आइलैंड स्टेट्स'' नामक एक पहल भी शुरू की।
- द्वीप आधारित राज्य सबसे कमज़ोर हैं और इसलिये उन्हें तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है।
- लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरनमेंट इनिशिएटिव) लॉन्च:
- LIFE हमारे ग्रह को बेहतर बनाने के लिये जीवन-शैली के विकल्प तैयार करने के संबंध में है। LIFE दुनिया भर में समान विचारधारा वाले लोगों का एक गठबंधन होगा जो स्थायी जीवन-शैली को बढ़ावा देगा।
- उन्हें 3पी (प्रो प्लैनेट पीपल) कहा जाएगा। यह वैश्विक आंदोलन ‘लाइफ’ के क्रियान्वन हेतु एक गठबंधन है।
सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन:
- सतत् विकास:
- सतत् विकास वह विकास है जो भविष्य की पीढ़ियों की ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान ज़रूरतों को पूरा करता है।
- सतत् विकास की यह सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा ब्रुंटलैंड आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट 'ऑवर कॉमन फ्यूचर' (1987) में दी गई थी।
- सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) एक वैश्विक प्रयास है जिसका एक प्रमुख उद्देश्य है - सभी के लिये बेहतर भविष्य प्राप्त करना।
- जलवायु परिवर्तन:
- यह औसत मौसम पैटर्न में एक दीर्घकालिक परिवर्तन है जो पृथ्वी के स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु को परिभाषित करने के लिये इस्तेमाल किया गया है।
- जलवायु डेटा रिकॉर्ड जलवायु परिवर्तन के प्रमुख संकेतकों का प्रमाण प्रदान करते हैं, जैसे कि वैश्विक भूमि और समुद्र के तापमान में वृद्धि, बढ़ता समुद्र का स्तर, पृथ्वी के ध्रुवों व पर्वतीय हिमनदों में बर्फ का नुकसान, चरम मौसमी आवृत्ति तथा गंभीर परिवर्तन जैसे- तूफान, हीटवेब्स, वनाग्नि, सूखा, बाढ़ एवं वर्षा, वनस्पति आवरण परिवर्तन।