भारतीय अर्थव्यवस्था
वर्ल्ड फूड इंडिया 2023
- 06 Nov 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य सुरक्षा, कृषि विपणन, बीज पूंजी सहायता, फूड स्ट्रीट, फूड बास्केट ऑफ द वर्ल्ड, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस, स्वयं सहायता समूह मेन्स के लिये:आर्थिक वृद्धि और विकास पर भारत के खाद्य प्रसंस्करण का महत्त्व और क्षमता |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
'वर्ल्ड फूड इंडिया 2023' के दूसरे संस्करण का उद्घाटन हाल ही में नई दिल्ली में किया गया, जहाँ भारत के प्रधानमंत्री ने एक लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह (SHG) सदस्यों को बीज के लिये आर्थिक सहायता भी प्रदान की।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वर्ष 2017 में वर्ल्ड फूड इंडिया का पहला संस्करण लॉन्च किया।
वर्ल्ड फूड इंडिया 2023:
- परिचय:
- वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 भारतीय खाद्य अर्थव्यवस्था का प्रवेश द्वार है, जो भारतीय और विदेशी निवेशकों के बीच साझेदारी की सुविधा प्रदान करता है।
- यह वैश्विक खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माताओं, उत्पादकों, खाद्य प्रसंस्करणों, निवेशकों, नीति निर्माताओं और संगठनों का एक अद्वितीय सम्मेलन होगा।
- शुभंकर:
- मिलइंड (एक प्रोबोट) वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 का शुभंकर है।
- प्रमुख आधार:
- श्री अन्न (बाजरा): विश्व के लिये भारत के सुपर फूड का लाभ उठाना।
- जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और कुपोषण जैसी वैश्विक चुनौतियों के सामने बाजरा खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ा सकता है।
- संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष (IYM 2023) घोषित किया है।
- घातीय खाद्य प्रसंस्करण: भारत को वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना।
- इस दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये भारत अपने उन समर्थकों को बढ़ावा देने का इरादा रखता है जो उसके खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को समर्थन और गति प्रदान कर सकें।
- प्रमुख समर्थकों में से एक है कृषि खाद्य मूल्य शृंखलाओं का वित्तपोषण करना और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को पर्याप्त एवं किफायती ऋण प्रदान करना।
- श्री अन्न (बाजरा): विश्व के लिये भारत के सुपर फूड का लाभ उठाना।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:
- सूर्योदय क्षेत्र:
- वर्ल्ड फूड इंडिया के परिणामों के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मान्यता मिली, जिसे प्रायः 'सनराइज़ सेक्टर' कहा जाता है।
- पिछले नौ वर्षों में सरकार की उद्योग-अनुकूल और किसान-केंद्रित नीतियों की बदौलत इस क्षेत्र ने 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है।
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन:
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत हुई प्रगति ने नए आयाम खोले हैं।
- एग्री-इंफ्रा फंड के तहत चल रही विभिन्न परियोजनाएँ, फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ इस क्षेत्र के लिये व्यापक संभावनाएँ रखती हैं।
- मत्स्यपालन और पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण बुनियादी ढाँचे में हज़ारों करोड़ रुपए के निवेश को प्रोत्साहित किया जाता है।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत हुई प्रगति ने नए आयाम खोले हैं।
- अन्य सरकारी पहल:
- कृषि-निर्यात नीति का निर्माण
- राष्ट्रव्यापी रसद और बुनियादी ढाँचे का विकास
- ज़िला-स्तरीय केंद्रों की स्थापना
- मेगा फूड पार्क का विस्तार
- प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना
- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना का PM औपचारिकरण
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.1 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का एक उद्देश्य देश के चिन्हित ज़िलों में क्षेत्र विस्तार एवं उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से विशेष फसलों के उत्पादन को स्थायी तरीके से बढ़ाना है। वे कौन सी फसलें हैं? (2010) (a) केवल चावल और गेहूँ उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा देश पिछले पाँच वर्षों के दौरान विश्व में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है? (2019) (a) चीन उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015) |