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भारतीय राजव्यवस्था

शीतकालीन सत्र 2021

  • 24 Dec 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संसद की बैठक की समाप्ति, स्थगन, अनिश्चित काल के लिये स्थगन, सत्रावसान और विघटन।

मेन्स के लिये:

संसद के शीतकालीन सत्र में पारित महत्त्वपूर्ण विधेयक।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र को अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया है (पुन: बैठक के लिये दिन निर्धारित किये बिना संसद की बैठक को समाप्त करना)। इस सत्र में कुछ महत्त्वपूर्ण विधानों को पारित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • संसद की बैठक की समाप्ति: दोनों सदनों में संसद की बैठक को निम्नलिखित प्रावधानों के द्वारा समाप्त किया जा सकता है:
    • स्थगन (Adjournment)
    • अनिश्चितकाल के लिये स्थगन (Adjournment sine die), 
    • सत्रावसान (Prorogation)
    • विघटन (राज्यसभा के लिये लागू नहीं)
  • स्थगन (Adjournment): स्थगन एक निश्चित समय के लिये बैठक में कामकाज को निलंबित कर देता है। स्थगन कुछ घंटे, दिन या सप्ताह के लिये हो सकता है।
    • जब बैठक अगली बैठक के लिये नियत किसी निश्चित समय/तिथि के बिना समाप्त हो जाती है तो इसे अनिश्चितकाल के लिये स्थगन कहा जाता है।
    • स्थगन और अनिश्चितकाल के लिये स्थगन की शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी के पास होती है।
  • अनिश्चितकाल के लिये स्थगन: अनिश्चितकाल के लिये स्थगन का अर्थ है अनिश्चितकाल के लिये संसद की बैठक को समाप्त करना, यानी सदन को फिर से शुरू करने हेतु कोई एक दिन निर्धारित किये बिना स्थगित कर दिया जाता है, तो इसे स्थगन कहा जाता है।
    • अनिश्चितकाल के लिये स्थगन की शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी के पास होती है।
    • हालाँकि किसी सदन का पीठासीन अधिकारी उस तारीख या समय से पहले या सदन के अनिश्चितकाल के लिये स्थगित होने के बाद किसी भी समय सदन की बैठक बुला सकता है।
  • सत्रावसान (Prorogation):
    • सत्रावसान शब्द का अर्थ संविधान के अनुच्छेद 85(2)(ए) के तहत राष्ट्रपति द्वारा दिये गए आदेश द्वारा सदन के एक सत्र की समाप्ति से है।
    • सत्रावसान सदन की बैठक और सत्र दोनों को समाप्त करना है और आमतौर पर यह पीठासीन अधिकारी द्वारा सदन को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने के कुछ दिनों के भीतर किया जाता है। 
    • राष्ट्रपति सत्र के सत्रावसान के लिये एक अधिसूचना जारी करता है।
    • हालाँकि राष्ट्रपति सत्र के दौरान सदन का सत्रावसान भी कर सकता है।
    • यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि बिल पेश करने के अलावा सभी लंबित नोटिस व्यपगत हो जाते हैं।
    • एक सदन के सत्रावसान और नए सत्र में उसके पुन: समवेत होने के बीच की अवधि को एक अवकाश कहा जाता है।
  • विघटन (Dissolution): जब भी कोई विघटन होता है, तो इससे मौजूदा सदन का कार्यकाल समाप्त हो जाता है और आम चुनाव के बाद एक नए सदन का गठन होता है।
    • हालाँकि केवल लोकसभा का विघटन हो सकता है राज्यसभा स्थायी सदन होने के कारण विघटित नहीं हो सकती है।

संसद के सदनों द्वारा पारित कुछ महत्त्वपूर्ण विधेयक:

  • कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021: किसानों के विरोध को देखते हुए निम्नलिखित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिये विधेयक पेश करके पारित किया गया:
    • मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता
    • किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020
    • आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020
  • बाँध सुरक्षा विधेयक, 2021: यह बाँध की विफलता से संबंधित आपदाओं की रोकथाम के लिये निर्दिष्ट बाँध की निगरानी, ​​निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का प्रावधान करता है।
    • यह उनके सुरक्षित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिये संस्थागत तंत्र प्रदान करने का भी प्रयास करता है।
  • सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियम) विधेयक, 2021: यह सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिकों और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण, दुरुपयोग की रोकथाम, सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं के सुरक्षित व नैतिक अभ्यास का प्रावधान करता है।
    • इसने राष्ट्रीय बोर्ड, राज्य बोर्डों और राष्ट्रीय रजिस्ट्री की स्थापना की भी परिकल्पना की।
  • सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2021: यह देश में सरोगेसी सेवाओं के नियमन का प्रावधान करता है।
    • यह सरोगेट माताओं के संभावित शोषण को रोकता है तथा सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है
  • राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान संशोधन विधेयक, 2021: यह स्पष्टता प्रदान करता है कि राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान अधिनियम के तहत स्थापित संस्थान राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान होंगे।
    • इसने एक केंद्रीय निकाय की भी स्थापना की, जिसे औषधीय शिक्षा और अनुसंधान एवं मानकों के रखरखाव आदि के समन्वित विकास सुनिश्चित करने के लिये परिषद कहा जाएगा।
  • उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021: यह स्पष्टता लाने का प्रयास करता है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एक निश्चित आयु प्राप्त करने पर पेंशन या पारिवारिक पेंशन की अतिरिक्त मात्रा पाने के हकदार कब होते हैं।
  • नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (संशोधन) विधेयक, 2021: बिल अधिनियम की धारा 27ए में प्रारूपण त्रुटि को ठीक करने के लिये इस वर्ष (2021) की शुरुआत में प्रख्यापित एक अध्यादेश की जगह लेगा।
  • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2021: यह केंद्रीय जाँच ब्यूरो के निदेशक के कार्यकाल को जनहित में एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाने का प्रावधान करता है, जब तक कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पाँच साल पूरे नहीं हो जाते।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021: यह प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल को जनहित में एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाने का प्रावधान करता है, जब तक कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पाँच वर्ष पूरे नहीं हो जाते।
  • चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021: यह विभिन्न स्थानों पर एक ही व्यक्ति के कई नामांकन के खतरे को रोकने के लिये मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने का प्रावधान करता है।

स्रोत: पीआईबी

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