बाल संरक्षण हेतु WHO की खाद्य विपणन अनुशंसाएँ | 08 Jul 2023
प्रिलिम्स के लिये:विश्व स्वास्थ्य संगठन, बाल अधिकारों पर अभिसमय, HFSS खाद्य पदार्थ मेन्स के लिये:बच्चों पर खाद्य विपणन का प्रभाव, बच्चों से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बच्चों को अस्वास्थ्यकर आहार विकल्पों को बढ़ावा देने वाले खाद्य विपणन के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिये सभी देशों को नीतियाँ बनाने में सहायता करने के लिये नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- ये दिशा-निर्देश सभी उम्र के बच्चों के लिये संतृप्त फैटी एसिड, उच्च ट्रांस-फैटी एसिड, शर्करा और नमक (HFSS) आदि से युक्त खाद्य पदार्थों और गैर-अल्कोहल पेय पदार्थों के विपणन को प्रतिबंधित करने हेतु अनिवार्य नीतियों के कार्यान्वयन की सिफारिश करते हैं।
- ये दिशा-निर्देश वर्ष 2010 में जारी WHO के 'बच्चों के लिये खाद्य पदार्थों और गैर-अल्कोहल पेय पदार्थों के विपणन पर सिफारिशें' पर बनाए गए हैं।
बच्चों को खाद्य विपणन से बचाने हेतु नीतिगत सिफारिशें:
- अनुशंसाएँ:
- व्यापक अनिवार्य नीतियाँ:
- बच्चों की सुरक्षा के लिये HFSS खाद्य पदार्थों और गैर-अल्कोहल पेय पदार्थों के विपणन को प्रतिबंधित करना
- सभी देशों की नीतियों को टीवी, रेडियो, प्रिंट, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, मोबाइल डिवाइस, गेम, स्कूल, सार्वजनिक स्थान और पॉइंट-ऑफ-सेल सहित विभिन्न विपणन चैनलों एवं अन्य माध्यमों को कवर करने वाले HFSS खाद्य पदार्थों के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना चाहिये।
- आयु सीमा:
- बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुरूप सुरक्षा के लिये आयु सीमा 18 वर्ष तक होनी चाहिये।
- देश के संदर्भ में पोषक तत्त्व प्रोफाइल:
- देश के संदर्भ में अनुकूलित वैज्ञानिक मानदंडों के आधार पर HFSS खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को परिभाषित करने के लिये एक पोषक तत्त्व प्रोफाइल मॉडल का उपयोग किया जाना चाहिये।
- दिशा-निर्देश नीतियाँ बनाते समय देश के संदर्भ पर विचार करने के महत्त्व पर ज़ोर देते हैं, जिसमें पोषण स्थिति, सांस्कृतिक संदर्भ, स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थ, आहार संबंधी रीति-रिवाज़, उपलब्ध संसाधन एवं क्षमताएँ, मौजूदा शासन संरचनाएँ और तंत्र शामिल हैं।
- प्रेरक तकनीकें:
- बच्चों को आकर्षित करने वाली प्रेरक तकनीकों, जैसे- कार्टून, मशहूर हस्तियाँ, खिलौने, खेल, छूट या मुफ्त उपहार पर प्रतिबंध।
- नीतियों की निगरानी, प्रवर्तन और मूल्यांकन के लिये प्रभावी तंत्र आवश्यक है।
- हितधारकों की भागीदारी:
- नीति विकास एवं कार्यान्वयन में प्रासंगिक हितधारकों की भागीदारी, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और हितों के टकराव से बचना।
- व्यापक अनिवार्य नीतियाँ:
- महत्त्व:
- साक्ष्य-सूचित मार्गदर्शन:
- नीति अनुशंसाएँ बच्चों को हानिकारक खाद्य विपणन से बचाने के लिये साक्ष्य-सूचित मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
- मज़बूत नियमों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मौजूदा नीतियाँ कमियों और चुनौतियों का समाधान करती हैं।
- तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता:
- अनुशंसाएँ बचपन में मोटापे और गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ के कारण कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रतिक्रिया देती हैं।
- बचपन में मोटापे की दर बढ़ने का अनुमान है, जो एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है।
- दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव:
- बचपन में मोटापा, वयस्कता में मृत्यु दर में वृद्धि से जुड़ा है।
- प्रभावी नीतियों को लागू करने से दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों को कम करने में सहायता मिल सकती है।
- बच्चों के अधिकारों की रक्षा:
- अनुशंसाएँ बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता देती हैं, उनके स्वास्थ्य और पर्याप्त भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करती हैं।
- हानिकारक विपणन प्रथाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियों से बच्चों को लाभ होता है।
- साक्ष्य-सूचित मार्गदर्शन:
बच्चों पर खाद्य विपणन के हानिकारक प्रभाव:
- खाद्य विपणन बच्चों के भोजन के प्रति दृष्टिकोण, प्राथमिकताओं और उपभोग को प्रभावित करने के लिये प्रेरक तकनीकों का उपयोग करता है।
- HFSS खाद्य पदार्थ (संतृप्त फैटी एसिड, ट्रांस-फैटी एसिड, मुक्त शर्करा और नमक) खाद्य विपणन का केंद्र बिंदु है जो मोटापे, मधुमेह, हृदय रोगों और दंत क्षय के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं।
- खाद्य विपणन स्वस्थ विकल्पों की तुलना में अस्वास्थ्यकर विकल्पों को बढ़ावा देकर बच्चों के भोजन को प्रभावित करता है। यह उपभोग किये जाने वाले HFSS खाद्य पदार्थों की आवृत्ति और मात्रा को भी बढ़ाता है।
- खाद्य विपणन फलों और सब्जियों जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों की खपत को विस्थापित करता है और स्वस्थ भोजन पर माता-पिता के प्रभाव को कमज़ोर करता है।
- खाद्य विपणन बच्चों को HFSS खाद्य पदार्थों की पोषण गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभों के बारे में गुमराह कर सकता है। यह बच्चों के भोजन विकल्पों को प्रभावित करने के लिये भावनात्मक अपील, साथियों के दबाव या सेलिब्रिटी समर्थन का फायदा उठाता है।
बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRC):
- यह वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक संधि है।
- यह 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को बच्चे के रूप में मान्यता देता है।
- यह प्रत्येक नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित करता है, चाहे उनकी जाति, धर्म या क्षमता कुछ भी हो।
- इसमें शिक्षा का अधिकार, आराम और अवकाश का अधिकार, बलात्कार और यौन शोषण के विरुद्ध सहित मानसिक या शारीरिक दुर्व्यवहार से सुरक्षा का अधिकार, जीवन और विकास का अधिकार जैसे अधिकार समाहित हैं।
- यह विश्व की सर्वाधिक व्यापक रूप से स्वीकृत मानवाधिकार संधि है।
- भारत ने वर्ष 1992 में UNCRC का अनुमोदन किया और घरेलू कानूनों, नीतियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से इसके सिद्धांतों तथा प्रावधानों को लागू करने के लिये प्रतिबद्ध है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त अधिकारों में से कौन-सा/से बच्चों से संबंधित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D व्याख्या:
अतः विकल्प D सही उत्तर है। मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके कार्यान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016) |