प्रारंभिक परीक्षा
WHO ने भारत में उत्पादित अवमानक कफ सिरप हेतु अलर्ट जारी किया
- 26 Jun 2023
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने भारत में बने अवमानक कफ सिरप पर चिंता जताई है, इस सिरप के उपयोग के कारण 300 बच्चों की मौत हो गई, इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल एवं एथिलीन ग्लाइकॉल का उच्च स्तर होता है, जो स्वास्थ्य हेतु खतरा उत्पन्न करता है।
- WHO ने भारत में उत्पादित सात सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है, जबकि देश के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने निर्यात से पहले निर्दिष्ट प्रयोगशालाओं में कफ सिरप का परीक्षण अनिवार्य कर दिया है।
एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल:
- एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल मीठे स्वाद वाले ज़हरीले अल्कोहल हैं।
- इन ग्लाइकॉल के साथ कफ सिरप का विशेषकर पैरासिटामोल युक्त उत्पादों में संदूषण हो सकता है।
- कफ सिरप में मौजूद पैरासिटामोल, संक्रमण वाले बच्चों हेतु उपयोगी और सुरक्षित है। यह एक दर्द निवारक है जो बुखार को कम करने में सहायता करता है।
- डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल मिलावटी पदार्थ हैं जिन्हें कभी-कभी लागत में कमी करने हेतु ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल जैसे गैर-विषैले विलायक के विकल्प के रूप में तरल दवाओं में विलायक के रूप में अवैध रूप से उपयोग किया जाता है।
- एक घातक ओरल डोज़ शरीर के वज़न के प्रति किलोग्राम लगभग 1,000-1,500 मिलीग्राम है।
- कई दिनों या हफ्तों तक कम खुराक लेने से भी विषाक्तता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- संदूषण के लक्षण तब तक प्रकट नहीं होते जब तक कि बड़ी मात्रा में सेवन न किया गया हो।
- एंटीफ्रीज़ में इसके उपयोग के अलावा एथिलीन ग्लाइकॉल का उपयोग हाइड्रोलिक तरल पदार्थ, प्रिंटिंग स्याही और पेंट सॉल्वैंट्स में एक घटक के रूप में किया जाता है तथा डायथिलीन ग्लाइकॉल का उपयोग एंटीफ्रीज़, ब्रेक तरल पदार्थ, सिगरेट एवं कुछ रंगों की व्यावसायिक निर्माण में किया जाता है।
अवमानक कफ सिरप से जुड़े जोखिम:
- हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति:
- अवमानक कफ सिरप में उच्च स्तर के डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल हो सकते हैं, जो किडनी को नुकसान पहुँचा सकते हैं तथा गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं।
- अवैज्ञानिक संयोजन:
- कुछ कफ सिरप में रासायनिक घटकों का अवैज्ञानिक संयोजन हो सकता है जो एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं और संभावित रूप से नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- चिकित्सीय प्रासंगिकता का अभाव:
- अवमानक कफ सिरप में चिकित्सीय प्रासंगिकता की कमी हो सकती है, जिसका अर्थ है कि वे खाँसी उत्पन्न करने वाली अंतर्निहित स्थिति का प्रभावी ढंग से इलाज नहीं कर सकते हैं।
- बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव:
- कोडीन युक्त कुछ कफ सिरप बच्चों को दिये जाने पर नशे की लत लगने एवं जानलेवा भी हो सकते हैं। इसके साथ सुस्ती, चक्कर आना, धुँधला दिखाई देना, मतली और बोलने में कठिनाई का भी अनुभव किया जा सकता है जो संभावित नुकसान का संकेत देता है।
भारत में संबंधित विनियमन:
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940:
- औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और नियम 1945 ने औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधनों के विनियमन के लिये केंद्रीय और राज्य नियामकों को विभिन्न जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं।
- यह आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी दवाओं के निर्माण हेतु लाइसेंस जारी करने के लिये नियामक दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- निर्माताओं के लिये सुरक्षा एवं प्रभावशीलता के प्रमाण, बेहतर विनिर्माण प्रथाओं (GMP) के अनुपालन सहित विनिर्माण इकाइयों एवं दवाओं के लाइसेंस हेतु निर्धारित आवश्यकताओं का पालन करना अनिवार्य है।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO):
- CDSCO औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत केंद्र सरकार को सौंपे गए कार्यों के निर्वहन के लिये केंद्रीय औषधि प्राधिकरण है।
- प्रमुख कार्य:
- दवाओं के आयात, नई दवाओं और नैदानिक परीक्षणों की मंज़ूरी पर नियामक नियंत्रण।
- केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकारी के रूप में कुछ लाइसेंसों का अनुमोदन।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO):
भारत में औषधियों और फार्मास्यूटिकल को विनियमित करने वाली प्रमुख संस्थाएँ | ||||
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय | रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय | वाणिज्य मंत्रालय | विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय | पर्यावरण मंत्रालय |
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) | भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) | औषधि विभाग | पेटेंट कार्यालय | जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) |
विनिर्माण के लिये पर्यावरणीय मंज़ूरी | केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO), जिसकी अध्यक्षता भारत का औषधि महानियंत्रक (DCGI) करता है + वैधानिक समितियाँ + सलाहकार समितियाँ | राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA); औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO 2013 | पेटेंट महानियंत्रक (Controller General of Patent) | वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) प्रयोगशालाएँ |