‘7.75% बचत बॉण्ड, 2018’ योजना की समाप्ति | 30 May 2020
प्रीलिम्स के लिये:‘7.75% बचत बॉण्ड, 2018’ मेन्स के लिये:आर्थिक क्षेत्र पर COVID-19 का प्रभाव, COVID-19 से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने 28 मई, 2020 से ‘7.75% बचत (कर योग्य) बॉण्ड, 2018’ [7.75 per cent Savings (Taxable) Bonds, 2018] को जारी किये जाने पर रोक लगा दी है।
प्रमुख बिंदु:
- गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में बैंकों द्वारा जमा राशि पर पर ब्याज की दरों में कटौती और सरकार के द्वारा कुछ अन्य छोटी बचत दरों में कटौती की गई है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा 27 मई को की गई घोषणा के अनुसार 28 मई, 2020 के दिन के व्यापार के बाद ‘7.75% बचत (कर योग्य) बॉण्ड, 2018’ की खरीद पर रोक लगा दी गई है।
- सरकार का यह निर्णय निवेशकों को बचत के एक और बेहतर विकल्प से वंचित कर देगा जिसमें उन्हें अन्य विकल्पों की तुलना में कर देने के बाद भी अपेक्षाकृत अधिक रिटर्न/लाभ मिलता था।
क्या है ‘7.75% बचत (कर योग्य) बॉण्ड, 2018’?
- ‘7.75% बचत (कर योग्य) बॉण्ड’ पहली बार 10 जनवरी, 2018 को निवासी नागरिकों/हिंदू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family-HUF) के लिये जारी किया गया था।
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इसके एक बॉण्ड का मूल्य 1,000 रुपए रखा गया था परंतु इसके तहत निवेश की कोई सीमा नहीं निर्धारित की गई थी।
- इस बॉण्ड पर जारी होने की तिथि से सात वर्ष का लॉक-इन पीरियड या निश्चित अवरुद्धता अवधि निर्धारित की गई थी हालाँकि 60 वर्ष या उससे अधिक की आयु के निवेशकों को निर्धारित अवधि से पहले ही अपने पैसे निकालने की छूट दी गई थी।
- इस बॉण्ड में निवेश द्वारा प्राप्त ब्याज पर ‘आयकर अधिनियम, 1961’ (Income Tax Act, 1961) के तहत कर लागू होता है।
सरकार के निर्णय का प्रभाव:
- सरकार के निर्णय के पश्चात् 28 मई, 2020 के बाद इस बॉण्ड में नए निवेश की अनुमति नहीं होगी परंतु 28 मई तक किये गए निवेश पर पूर्व की तरह 7.75% ब्याज का लाभ मिलता रहेगा।
- विशेषज्ञों के अनुसार, इस बॉण्ड में किये गए अधिकांशतः निवेश ‘उच्च निवल मालियत वाले व्यक्ति’ (Hight networth individuals- HNI) द्वारा थे परंतु पिछले कुछ महीनों में बाज़ार में बढ़ी हुई अनिश्चितता के कारण इनकी मांग में वृद्धि हुई थी।
- वर्तमान स्थितियों को देखते हुए लोगों ने अपनी पूंजी पर अधिक ब्याज के स्थान पर निवेश में पूंजी की सुरक्षा को अधिक प्राथमिकता दी है।
- इसके अतिरिक्त पेंशनधारक या ऐसे लोग जिन्हें आयकर अधिनियम के तहत कर देने से छूट प्राप्त है, उनके लिये यह बॉण्ड सुरक्षित निवेश का सबसे बेहतर विकल्प था।
- इस वर्ष सेंसेक्स में 10,000 अंकों की गिरावट और म्यूच्यूअल फंड के मुनाफे में गिरावट के बाद निवेशकों (विशेषकर पेंशन धारकों) पर दबाव बढ़ा है।
- गौरतलब है कि हाल ही में फ्रैंकलिन टेम्पलटन (Franklin Templeton) नामक निवेश प्रबंधन कंपनी ने अपनी 6 क्रेडिट रिस्क योजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया है।
अन्य विकल्पों की तुलना में RBI बॉण्ड के लाभ:
- यह बॉण्ड ‘आयकर अधिनियम’ के तहत कर (Tax) की सीमा में आते हैं, अतः कर चुकाने के बाद निवेशकों को निम्नलिखित दरों पर ब्याज प्राप्त होगा-
- 5 करोड़ रुपए से अधिक की आय वाले लोगों को इस योजना के तहत 4.4% का ब्याज प्राप्त होगा।
- 30% के आयकर की श्रेणी में आने वाले लोगों को कर चुकाने के बाद इस योजना के तहत 5.4% का रिटर्न प्राप्त होगा।
- 10% आयकर श्रेणी में आने वाले लोगों को कर चुकाने के बाद इस योजना के तहत 6.975% का रिटर्न प्राप्त होगा।
- यदि इस बॉण्ड की तुलना वर्तमान में बाज़ार में उपलब्ध निवेश के अन्य विकल्पों से करें तो निवेशकों के लिये यह योजना अधिक लाभदायक एवं सुरक्षित थी।
- अप्रैल, 2020 में सरकार द्वारा कई अन्य बचत योजनाओं के ब्याज में कटौती की घोषणा की गई थी।
- सार्वजनिक भविष्य निधि (Public Provident Fund- PPF) की ब्याज दरों को 7.9% से घटाकर 7.1% कर दिया गया था।
- सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) पर मिलने वाले ब्याज को 8.4% से घटाकर 7.6% कर दिया गया।
- इसकी तुलना में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा 3-5 वर्ष की सावधि जमा राशि पर 5.3% और 5-10 के निवेश पर 5.4% का रिटर्न दिया जाता है, ऐसे में 30% आयकर की श्रेणी वाले लोगों को इन योजनाओं पर क्रमशः 3.71% और 3.78% ही रिटर्न मिलेगा।
ब्याज दरों में कटौती का कारण:
- COVID-19 महामारी के कारण विश्व के अधिकांश देशों में औद्योगिक गतिविधियों और यातायात बाधित होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में भरी गिरावट देखी गई है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, विश्व के अन्य देशों की ही तरह भारतीय जीडीपी में गिरावट के अनुमान के बाद RBI ने पहले 27 मार्च, 2020 को रेपो रेट में 75 बेसिस पॉइंट की कटौती के साथ 4.4% किया और 22 मई, 2020 को पुनः 40 बेसिस पॉइंट की कटौती के साथ इसे 4% कर दिया गया।
- इसके अतिरिक्त रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35% कर दिया गया है।
- ध्यातव्य है कि रेपो रेट में कटौती का अर्थ है कि बैंकों को RBI से लिये गए ऋण पर कम ब्याज देना होगा जबकि ‘रिवर्स रेपो रेट’ में कटौती से बैंकों द्वारा RBI में जमा धन पर पहले की अपेक्षा कम ब्याज मिलेगा।
- RBI द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती के कारण बैंक कम ब्याज दर पर अधिक पूंजी उधार ले सकेंगे, जिससे उद्योगों और आम जनता को कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
- जबकि रिवर्स रेपो रेट में की गई कटौती से बैंक अपनी पूंजी RBI में रखने की अपेक्षा बाज़ार में देने में ज़्यादा इच्छुक होंगे, जिससे वर्तमान परिस्थिति में बाज़ार में तरलता की कमी को दूर करने में सहायता प्राप्त होगी।