सरकार द्वारा वेबसाइट ब्लॉक करना | 11 Jan 2024
प्रिलिस्म के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology - IT) अधिनियम, 2000 की धारा 69A, सूचना का अधिकार (Right to Information - RTI), आतंकवाद, घृणास्पद भाषण (Hate Speech), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression)। मेन्स के लिये:सरकार द्वारा वेबसाइट ब्लॉक करना, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनके डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
सूचना का अधिकार (Right to Information - RTI)आवेदन के जवाब से पता चलता है कि वेबसाइट ब्लॉक करने के आदेश 2013 से अक्टूबर 2023 तक 100 गुना से अधिक बढ़ गए हैं।
भारत में वेबसाइट ब्लॉकिंग ऑर्डर के रुझान क्या हैं?
- केंद्र सरकार ने 2013 में 62 और 2023 में अक्टूबर तक 6,954 वेबसाइट ब्लॉक करने के आदेश जारी किये।
- ये आदेश सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology - IT) अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत जारी किये गए हैं।
- वेबसाइट ब्लॉकिंग ऑर्डर में वृद्धि इंटरनेट के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ-साथ हुई है, खासकर 2016 में मोबाइल डेटा की कीमतों में पर्याप्त कमी के बाद से।
- ब्लॉक किये गए अधिकांश वेब पेज व्यक्तिगत पोस्ट, वीडियो या प्रोफ़ाइल होने की संभावना है।
- आवश्यकता पड़ने पर या यदि वे देश के कानूनों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं या अदालत के आदेशों के अनुसार उन्हें ब्लॉक करने की आवश्यकता है, तो तत्काल वेब/एप्लिकेशन सर्वर के स्थान का पता लगाया जाता है।
वेबसाइटों या ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने के लिये सरकार के भीतर कानूनी ढाँचा क्या है?
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), 2000:
- भारत में, IT अधिनियम, 2000, समय-समय पर संशोधित, कंप्यूटर संसाधनों के उपयोग से संबंधित सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
- इसमें वे सभी 'मध्यस्थ' शामिल हैं जो कंप्यूटर संसाधनों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उपयोग में भूमिका निभाते हैं।
- IT अधिनियम 2000 के तहत इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 (Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules 2021) मध्यवर्ती संस्थाओं तथा डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्मों की सामग्री एवं आचरण को नियंत्रित करता है जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन करने वाले चैनल व कई वेबसाइटें अवरुद्ध हो गई हैं।
- IT अधिनियम की धारा 69:
- यह केंद्र तथा राज्य सरकारों को "किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, प्रसारित, प्राप्त अथवा संग्रहीत किसी भी जानकारी को रोकने, निगरानी करने अथवा डिक्रिप्ट करने" के निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- जिन आधारों पर इन शक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है वे हैं:
- भारत की संप्रभुता अथवा अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य सुरक्षा हित।
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- सार्वजनिक व्यवस्था अथवा इनसे संबंधित किसी संज्ञेय अपराध के लिये उद्दीपन को रोकना।
- किसी भी अपराध की जाँच हेतु।
सरकार वेबसाइटों को ब्लॉक क्यों करती है और उन्हें ब्लॉक करने में क्या चुनौतियाँ हैं?
- सरकारी वेबसाइट को अवरुद्ध करना मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और कानूनी नियमों से संबंधित चिंताओं से प्रेरित है।
- इसका उद्देश्य आतंकवाद, घृणास्पद भाषण अथवा विधि-विरुद्ध सामग्री जैसे खतरों का मुकाबला करना है।
- हालाँकि इस अभ्यास को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उपयोगकर्त्ता VPN जैसे टूल का उपयोग करके आसानी से ब्लॉक्ड चैनल अथवा साइट पर पहुँच सरल बना लेते हैं जिससे प्रवर्तन मुश्किल हो जाता है।
- VPN का अर्थ "वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क" है तथा यह सार्वजनिक नेटवर्क का उपयोग करते समय एक संरक्षित नेटवर्क कनेक्शन उपयोग करने में सहायता प्रदान करता है।
- वेब ब्राउज़र तथा फर्मों द्वारा उपयोग की जाने वाली एन्क्रिप्शन तकनीकों में विकास के कारण वेबसाइट ब्लॉक करना बहुत कठिन हो गया है जिससे इंटरनेट प्रदाताओं की अपने उपयोगकर्त्ताओं की गतिविधि पर निगरानी रखने में बाधा बढ़ती जा रही है।
सरकार द्वारा वेबसाइटों को ब्लॉक करने के क्या निहितार्थ हैं?
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव:
- वेबसाइट को अवरुद्ध करना, विशेषकर जब वह उचित न हो, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न कर सकता है। राष्ट्रीय हितों की रक्षा और नागरिकों के अपनी राय व्यक्त करने के अधिकारों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना महत्त्वपूर्ण है।
- सूचना पहुँच पर प्रभाव:
- वेबसाइटों को ब्लॉक करने से बहुमूल्य जानकारी और विविध दृष्टिकोणों तक पहुँच में बाधा आ सकती है। इससे जनता की विभिन्न मुद्दों के बारे में सूचित रहने और सही निर्णय लेने की क्षमता सीमित हो सकती है।
- यदि सरकार उचित परिश्रम के बिना वेबसाइटों को ब्लॉक कर देती है, तो यह अनजाने में ज्ञान के प्रसार को बाधित कर सकता है और जनता के सूचना तक पहुँचने के अधिकार में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- आर्थिक परिणाम:
- वेबसाइटों को अवरुद्ध करने से हानिकारक आर्थिक परिणाम हो सकते हैं, विशेषकर यदि यह उन प्लेटफार्मों पर होस्ट किये गए वैध व्यवसायों के संचालन को बाधित करता है।
- यदि व्यवसायों और उद्यमियों की वेबसाइटें अवरुद्ध कर दी जाती हैं, तो उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे न केवल उनके संप्राप्ति पर असर पड़ेगा, बल्कि संभावित रूप से नवाचार और आर्थिक विकास भी प्रभावित होगा।
- सार्वजनिक धारणा और विश्वास:
- वेबसाइटों को ब्लॉक करने के सरकार के निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की क्षमता में जनता की धारणा और विश्वास को आकार दे सकते हैं।
- यदि जनता वेबसाइट ब्लॉकिंग को मनमाना या अनुचित मानती है, तो इससे सरकारी संस्थानों में विश्वास की हानि हो सकती है, जो संभावित रूप से समग्र नागरिक सहभागिता को प्रभावित कर सकती है।
आगे की राह
- वेबसाइट ब्लॉकिंग की दक्षता को बेहतर करने के लिये अमेज़ॅन वेब सर्विसेज़, गूगल क्लाउड और क्लाउडफ्लेयर जैसे प्रमुख कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN) के साथ सहयोग का पता लगाया जा सकता है। CDN सामग्री वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विशिष्ट सामग्री को अवरुद्ध करने हेतु अधिक प्रभावी तंत्र प्रदान कर सकते हैं।
- जबकि सरकारें वेबसाइट ब्लॉकिंग के माध्यम से वास्तविक खतरों को संबोधित करना चाहती हैं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यवसायों और सार्वजनिक विश्वास पर संभावित प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये सावधानीपूर्वक विचार एवं पारदर्शी, जवाबदेह प्रक्रियाएँ आवश्यक हैं।