अपशिष्ट प्रबंधन पहल | 18 Dec 2023
प्रिलिम्स के लिये:विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व, प्लास्टिक पैकेजिंग, ई-अपशिष्ट, बैटरी अपशिष्ट, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट, स्वच्छ भारत मिशन, जैव-उपचार, अपशिष्ट प्रबंधन नियम मेन्स के लिये:अपशिष्ट प्रबंधन पहल और नियम, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
राज्यसभा में हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में अपशिष्ट प्रबंधन से निपटने के लिये उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों पर प्रकाश डाला।
अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित प्रमुख पहल क्या हैं?
- विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) तंत्र:
- EPR अपशिष्ट प्रबंधन में एक नीतिगत दृष्टिकोण है जो उत्पादकों को उनके संग्रह, पुनर्चक्रण और निपटान सहित उनके उत्पादों के पूरे जीवनचक्र के लिये ज़िम्मेदार बनाता है।
- इसका उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन के वित्तीय और भौतिक बोझ को सरकारों तथा करदाताओं से उत्पादकों पर स्थानांतरित करके उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।
- वर्ष 2022 में प्लास्टिक पैकेजिंग, ई-अपशिष्ट, बैटरी अपशिष्ट और प्रयुक्त तेल के लिये बाज़ार तंत्र का उपयोग करते हुए EPR पहल लागू की गई थी। इस रणनीतिक कदम से अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
- EPR अपशिष्ट प्रबंधन में एक नीतिगत दृष्टिकोण है जो उत्पादकों को उनके संग्रह, पुनर्चक्रण और निपटान सहित उनके उत्पादों के पूरे जीवनचक्र के लिये ज़िम्मेदार बनाता है।
- अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता:
- शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले लगभग 1.5 लाख मीट्रिक टन (MT/D) कचरे में से लगभग 76% संसाधित किया जाता है।
- वर्ष 2014 के बाद से ठोस अपशिष्ट, खतरनाक अपशिष्ट, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट और निर्माण तथा विध्वंस अपशिष्ट सहित विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट के प्रसंस्करण की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- पिछले आठ वर्षों में, विशेष रूप से स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत, ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता में लगभग 1.05 लाख मीट्रिक MT/D की वृद्धि देखी गई है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु स्वच्छ भारत मिशन:
- योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सहित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
- केंद्र सरकार ने "कचरा मुक्त शहर" बनाने के समग्र दृष्टिकोण के साथ वर्ष 2021 में स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 (SBM-U 2.0) लॉन्च किया, जिसमें यह लक्ष्य हासिल करना शामिल होगा कि सभी शहरी स्थानीय निकाय कम से कम 3-स्टार प्रमाणित हो जाएँगे (जैसा कि कचरा मुक्त शहरों के लिये प्रति स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल) जिसमें घर-घर जाकर संग्रहण, स्रोत पृथक्करण और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक प्रसंस्करण शामिल है।
- यह मिशन स्रोत पृथक्करण, एकल-उपयोग प्लास्टिक का निपटारा करने, निर्माण-और-विध्वंस गतिविधियों से अपशिष्ट का प्रबंधन एवं परंपरागत अपशिष्ट डंप साइटों के जैव-उपचार पर केंद्रित है।
- स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण चरण II के तहत, पेयजल और स्वच्छता विभाग ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को परिचालन दिशानिर्देश जारी किये हैं जिनमें ग्रामीण स्तर पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियाँ शामिल हैं।
- योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सहित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
- अपशिष्ट प्रबंधन नियम और दिशानिर्देश:
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत मंत्रालय ने पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और दिशानिर्देशों को लागू किया है। इसमे शामिल है:
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016।
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016।
- निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016।
- हानिकारक व अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमापारीय संचलन) नियम, 2016।
- ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022।
- बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022।
- पर्यावरण के अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन पर भी दिशानिर्देश जारी किये गए हैं।
- हानिकारक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट तथा प्लास्टिक के उत्पाद शुल्क भुगतान सिद्धांत के आधार पर पर्यावरणीय क्षति/पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क लगाने के लिये दिशानिर्देश जारी किये गए हैं।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत मंत्रालय ने पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और दिशानिर्देशों को लागू किया है। इसमे शामिल है:
नोट:
- 'प्रदूषक भुगतान' सिद्धांत आम तौर पर स्वीकृत प्रथा है जिसके तहत जो लोग प्रदूषण फैलाते हैं उन्हें मानव स्वास्थ्य अथवा पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिये इसके प्रबंधन की लागत वहन करनी चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019) (a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे। उत्तर: (c) |