विश्वकर्मा योजना और लखपति दीदी योजना | 18 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:स्वयं सहायता समूह, विश्वकर्मा योजना, ड्रोन, लखपति दीदी योजना, स्वाधार गृह, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना मेन्स के लिये:कारीगरों और महिला सशक्तीकरण से संबंधित सरकारी पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पूरे भारत में कारीगरों और महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से दो महत्त्वपूर्ण पहलों की घोषणा की।
- ये पहलें हैं: विश्वकर्मा योजना और लखपति दीदी योजना तथा इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों हेतु ड्रोन का प्रावधान।
विश्वकर्मा योजना:
- परिचय:
- विश्वकर्मा योजना विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के पारंपरिक शिल्प कौशल में कुशल व्यक्तियों के उत्थान के लिये शुरू की गई एक अग्रणी योजना है।
- इस योजना का नाम दिव्य वास्तुकार और शिल्पकार विश्वकर्मा के नाम पर रखा गया है, यह विभिन्न व्यवसायों में लगे कारीगर परिवारों को कौशल प्रदान करने की गुरु-शिष्य परंपरा को संरक्षण और विकास पर केंद्रित है।
- प्रमुख विशेषता:
- मान्यता और समर्थन: इस योजना में नामांकित कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और एक पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा।
- ये कामगार और शिल्पकार 5% की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपए (पहली किश्त) और 2 लाख रुपए (दूसरी किश्त) तक की संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता के लिये भी पात्र होंगे।
- कौशल विकास और सशक्तीकरण: विश्वकर्मा योजना को वर्ष 2023-2024 से 2027-2028 तक पाँच वित्तीय वर्षों के लिये 13,000 करोड़ रुपए से 15,000 करोड़ रुपए तक का बजट आवंटित किया गया है।
- यह योजना कौशल प्रशिक्षण के लिये 500 रुपए और आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिये 1,500 रुपए का वज़ीफा प्रदान करती है।
- सीमा और कवरेज: इस योजना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 18 पारंपरिक व्यापार शामिल हैं। इन व्यवसायों में बढ़ई, नाव बनाने वाले, लोहार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, दर्जी और आदि शामिल हैं।
- पंजीकरण और कार्यान्वयन: विश्वकर्मा योजना के लिये पंजीकरण का कार्य गाँवों में सामान्य सेवा केंद्रों पर पूरा किया जा सकता है।
- इस योजना के लिये जहाँ केंद्र सरकार धन उपलब्ध कराएगी, वहीं राज्य सरकारों से भी सहयोग मांगा जाएगा।
- मूल्य शृंखलाओं के साथ एकीकरण: इस योजना का एक उल्लेखनीय उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कारीगरों को घरेलू तथा वैश्विक दोनों मूल्य शृंखलाओं में निर्बाध रूप से एकीकृत किया जाए, ताकि उनकी बाज़ार पहुँच और अवसरों में वृद्धि हो।
- मान्यता और समर्थन: इस योजना में नामांकित कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और एक पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा।
लखपति दीदी योजना:
- परिचय: सरकार का लक्ष्य गाँवों में दो करोड़ "लखपति दीदी (Lakhpati Didi)" (Prosperous Sisters/समृद्ध बहनें) बनाना है। यह योजना गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तीकरण के व्यापक मिशन के अनुरूप है।
- इस योजना के तहत महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए से अधिक कमा सकें।
- विशेषताएँ:
- कृषि गतिविधियों के लिये महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे।
- इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों में महिलाओं को सशक्त बनाते हुए कृषि परिदृश्य को बदलने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।
- लगभग 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन के संचालन और मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- इस प्रशिक्षण से महिलाओं को अत्याधुनिक कौशल के साथ-साथ आय सृजन के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
- ड्रोन में परिशुद्ध कृषि, फसल निगरानी और कीट नियंत्रण के माध्यम से कृषि में क्रांति लाने की क्षमता है।
- इस योजना के तहत महिलाओं को LED बल्ब बनाने, प्लंबिंग (Plumbing) समेत अन्य कौशलों में प्रशिक्षित किया जाएगा।
- कृषि गतिविधियों के लिये महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे।
नोट: स्वयं सहायता समूह (Self-Help Group- SHG) उन लोगों का अनौपचारिक संघ है जहाँ लोग अपने जीवन की परिस्थितियों को बेहतर बनाने के बारे में चर्चा करने के लिये इकट्ठा होते हैं।
- इसे समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले तथा सामूहिक रूप से सामान्य उद्देश्य पूरा करने की इच्छा रखने वाले लोगों के स्वशासित समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
महिला सशक्तीकरण और गरीबी उन्मूलन से संबंधित अन्य पहलें:
- स्वाधार गृह
- सुकन्या समृद्धि योजना
- प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
- राष्ट्रीय महिला कोष
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. क्या महिला स्वयं सहायता समूहों के माइक्रोफाइनेंसिंग के माध्यम से लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ा जा सकता है? उदाहरण सहित समझाइये। (2021) प्रश्न. "समसामयिक समय में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का उद्भव विकासात्मक गतिविधियों से राज्य की धीमी लेकिन स्थिर वापसी की ओर इंगित करता है"। विकासात्मक गतिविधियों में SHG की भूमिका एवं SHG को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए उपायों की जाँच कीजिये? (2017) |