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जैव विविधता और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2022

  • 02 Jul 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2022, महासागर पारिस्थितिकी तंत्र, विश्व महासागर दिवस, महासागर का दशक, जलवायु परिवर्तन।

मेन्स के लिये:

संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, महासागरों का महत्त्व, महासागर की रक्षा के लिये पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) महासागर सम्मेलन 2022 को दुनिया के महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और निर्वाह के उद्देश्य से वैश्विक सहयोग सुनिश्चित करने हेतु आयोजित किया गया था।

  • इस सम्मेलन की सह-मेज़बानी केन्या और पुर्तगाल की सरकारों द्वारा की गई थी।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्त्व किया। भारत ने साझेदारी और पर्यावरण के अनुकूलन के माध्यम से लक्ष्य 14 के कार्यान्वयन के लिये विज्ञान एवं नवाचार आधारित समाधान प्रदान करने का वादा किया।
  • संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2022 सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 14, 'जल के नीचे जीवन' से जुड़ा हुआ है तथा समुद्र के लचीलेपन के निर्माण हेतु वैज्ञानिक ज्ञान और समुद्री प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर ज़ोर देता है।

CO2

सम्मेलन का प्रमुख एजेंडा:

  • गहरे समुद्र में खनन पर रोक:
    • बूम इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी निर्माण के लिये आवश्यक दुर्लभ धातुओं के गहरे समुद्र में खनन पर रोक।
    • मशीनों द्वारा समुद्र तल की खुदाई और मापन गहरे-समुद्री आवासों को बदल या नष्ट कर सकता है।
  • कार्बन पृथक्करण:
    • मैंग्रोव जैसे प्राकृतिक सिंक को बढ़ाकर या भू-इंजीनियरिंग योजनाओं के माध्यम से CO2 को सोखने के लिये समुद्र की क्षमता को बढ़ावा देने हेतु कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration) पर बल।
  • ब्लू डील:
    • आर्थिक विकास के लिये समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग को सक्षम करने हेतु "ब्लू डील" (Blue Deal) को बढ़ावा दिया गया।
    • इसमें एक सतत् और लचीली समुद्री अर्थव्यवस्था बनाने हेतु वैश्विक व्यापार, निवेश और नवाचार शामिल हैं।
    • सभी स्रोतों से समुद्री फसल को टिकाऊ बनाने और सामाजिक उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये समुद्री खाद्यों पर ध्यान देना।
  • समुद्रीय अनियमितता:
    • कोई व्यापक कानूनी ढांँचा उच्च समुद्रों को कवर नहीं करता है। महासागर पृथ्वी की सतह के लगभग 70% भाग को कवर करते हैं और अरबों लोगों के लिये भोजन एवं आजीविका प्रदान करते हैं।
    • कुछ कार्यकर्त्ता उन्हें ग्रह पर सबसे बड़े अनियमित क्षेत्र के रूप में संदर्भित करते हैं।
  • महासागर हेतु खतरा:

सतत् महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने हेतु पहलें:

  • सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान दशक:
    • संयुक्त राष्ट्र ने समुद्र के संतुलन में गिरावट के चक्र को उलटने और एक सामान्य ढांँचे में दुनिया भर में महासागर हितधारकों को शामिल करने के प्रयासों का समर्थन करने  के लिये 2021-2030 के रूप में सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान दशक की घोषणा की है।
  • विश्व महासागर दिवस:
    • 8 जून को पूरी दुनिया में विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) के रूप में मनाया गया। यह दिवस महासागरों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिये मनाया जाता है।
  • समुद्री संरक्षित क्षेत्र:  
    • सामान्य शब्दों में समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA), समुद्री क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
  • ग्लोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट:
  • भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता:
    • जनवरी 2019 में भारत और नॉर्वे की सरकारों द्वारा महासागरीय क्षेत्रों में मिलकर कार्य करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किये गए।
  • भारत का डीप ओशन मिशन:
    • यह भारत सरकार की ‘ब्लू इकॉनमी’ पहल का समर्थन करने हेतु एक मिशन मोड परियोजना है।
  • भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन पहल (IPOI):
    • यह देशों के लिये एक खुली, गैर-संधि आधारित पहल है जो इस क्षेत्र में आम चुनौतियों के लिये सहकारी और सहयोगी समाधान हेतु मिलकर काम करती है।

Healthy-Ocean

आगे की राह

  • कोविड-19 के बाद की अर्थव्यवस्था को महासागर आधारित मूल्य शृंखलाओं में स्थिरता और लचीलेपन को प्राथमिकता देनी चाहिये। कोविड -19 महामारी ने समुद्री मत्स्य पालन, समुद्री और तटीय पर्यटन तथा समुद्री परिवहन जैसे क्षेत्रों को असमान रूप से प्रभावित किया।
  • विकासशील देशों में व्यापार के लिये लागत कम करने, निवेश के लिये एक ब्लू बैंक स्थापित करने और ब्लू फाइनेंस के नियमों में सुधार के लिये डिजिटलीकरण प्रयासों का विस्तार करना।
  • इन सभी सुझावों को ब्लू न्यू डील के लिये आह्वान के रूप में देखा जा सकता है, जबकि ग्रीन न्यू डील पहले से ही दुनिया भर में राजनीतिक समर्थन और आकर्षण प्राप्त कर रही है।

स्रोत: द हिंदू

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