प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 10 जून, 2019
- 10 Jun 2019
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विश्व महासागर दिवस
8 जून को पूरी दुनिया में विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) के रूप में मनाया गया। यह दिवस महासागरों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिये मनाया जाता है।
- वर्ष 2019 के लिये इस दिवस की थीम ‘Gender and oceans’ है।
- विश्व महासागर दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव वर्ष 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित 'पृथ्वी ग्रह' नामक फोरम में लाया गया था।
- इसी दिन विश्व महासागर दिवस को हमेशा मनाए जाने की घोषणा भी की गई थी। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे संबंधित प्रस्ताव को वर्ष 2008 में पारित किया था औऱ इस दिन को आधिकारिक मान्यता प्रदान की थी।
- पहली बार विश्व महासागर दिवस 8 जून, 2009 को मनाया गया था।
- इसका उद्देश्य केवल महासागरों के प्रति जागरुकता फैलाना ही नहीं बल्कि दुनिया को महासागरों के महत्त्व और भविष्य में इनके सामने खड़ी चुनौतियों से भी अवगत कराना है।
- इस दिन कई महासागरीय पहलुओं जैसे- सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जैव-विविधता तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डाला जाता है।
पीयर-टू-पीयर लेंडिंग
पीयर-टू-पीयर (Peer-to-peer- P2P) लेंडिंग क्राउड फंडिंग का एक तरीका है जिसका इस्तेमाल ऋण लेने के लिये किया जाता है। इसके तहत एक व्यक्ति दूसरे से ऋण लेता है। इस तरह पीयर-टू-पीयर लेंडिंग वित्तीय संस्थानों की मध्यस्थता के बगैर लोगों की ऋण ज़रूरतों को पूरा करता है।
- पीयर-टू-पीयर लेंडिंग की मदद से उन लोगों के लिये ऋण की उपलब्धता आसानी से सुनिश्चित हो जाती है जो बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों की शर्तों को पूरा न कर पाने की वज़ह से ऋण का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
पीयर-टू-पीयर लेंडिंग फर्म?
- ‘एग्रीगेटर फर्मों’ (Aggregator Firms) के विपरीत पीयर-टू-पीयर लेंडिंग फर्में ऋण लेने वालों (Borrower) को ऋण देने से पूर्व ऋणदाता से धन प्राप्त करती हैं।
- पीयर-टू-पीयर लेंडिंग फर्में उन क्षेत्रों में वित्त के वैकल्पिक रूपों को बढ़ावा देती हैं, जहाँ औपचारिक तौर पर वित्तीय व्यवस्था करना संभव नहीं होता है।
- कम परिचालन लागत तथा परंपरागत ऋणदाता चैनलों के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के कारण इनमें लेंडिंग दरों को कम करने की भी क्षमता होती है।
भारत में पीयर-टू-पीयर लेंडिंग कंपनियाँ
- भारत में पीयर-टू-पीयर लेंडिंग बाज़ार आश्चर्यजनक रूप से उभर रहा है। यह उन भरोसेमंद और विश्वसनीय व्यक्तियों (जिन्हें धन की आवश्यकता होती है) को ऋणदाताओं (जो अपने निवेश पर उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिये ऑनलाइन धन निवेश करना चाहते हैं) से जोड़ता है।
- भारत में रुपया एक्सचेंज एक पीयर-टू-पीयर लेंडिंग कंपनी है जो आभासी बाज़ार के माध्यम से व्यक्तिगत ऋण आसानी से उपलब्ध कराती है।
अप्रैल 2016 को जारी किये गए परामर्श पत्र में पीयर-टू-पीयर लेंडिंग ऋणदाताओं के लिये आर.बी.आई द्वारा सुझाए गए विनियामक ढाँचे के महत्त्वपूर्ण बिंदु-
- पीयर-टू-पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म को एक कंपनी की तरह स्थापित किया जाना चाहिये।
- इनके पास 2 करोड़ रुपए की न्यूनतम पूंजी होनी चाहिये।
- धन-शोधन के खतरे से बचने के लिये फंड को ऋणदाता के बैंक खाते से सीधे ऋण लेने वाले के खाते में स्थानांतरित किया जाना चाहिये।
- इन्हें ‘कारोबार सातत्य योजना’ (Business Continuity Plan) की आवश्यकता होगी।
- ग्राहकों के डाटा की विश्वसनीयता को बनाए रखना पी-2-पी फर्मों का दायित्व होगा।
- इन्हें उचित शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करनी होगी।
- इनके ऋण वसूली के अनुभवों को मौजूदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से संबद्ध किया जा सकता है।
सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच
सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (St. Petersburg International Economic Forum-SPIEF) का आयोजन 6-8 जून, 2019 को किया गया।
- इस फोरम में भाग लेकर भारत ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि परंपरागत रक्षा, ऊर्जा और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रों की जगह स्टार्ट-अप, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विनिर्माण डिजिटलीकरण, भारत-रूस आर्थिक सहयोग और विकास के कारक बनने चाहिये।
- सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (SPIEF) अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत हेतु एक अद्वितीय मंच है। इस मंच की शुरुआत वर्ष 1997 में की गई थी और वर्ष 2006 से यह रूस के राष्ट्रपति के नेतृत्त्व में आयोजित किया जा रहा है।
- यह व्यापारिक समुदाय के प्रतिनिधियों के आपसी संपर्क के लिये तथा उभरती हुई आर्थिक शक्तियों, रूस व पूरे विश्व के समक्ष खड़े महत्त्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिये एक अग्रणी वैश्विक मंच है।
कर-मुक्त बॉण्ड
जैसा कि नाम से पता चलता है कर-मुक्त बॉण्ड ऐसे बॉण्ड होते हैं जिनसे अर्जित ब्याज को कर से मुक्त रखा जाता है।
- कुछ सार्वजनिक उपक्रम जो कर-मुक्त बॉण्ड जारी कर धन जुटाते हैं, वे इस प्रकार हैं-
- IRFC, PFC, NHAI, HUDCO, REC, NTPC और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी
- ऐसे बॉण्ड की अवधि आमतौर पर 10, 15 या 20 वर्ष की होती है। ये बॉण्ड निवेशकों को एग्जिट रूट की पेशकश करने के लिये स्टॉक एक्सचेंजों में भी सूचीबद्ध किये जाते हैं।
- ये बॉण्ड प्रकृति में कर-मुक्त, सुरक्षित, प्रतिदेय और अपरिवर्तनीय हैं।
बॉण्ड एक निश्चित आय का साधन है जो किसी निवेशक द्वारा किसी उधार लेने वाले निकाय (आमतौर पर कॉर्पोरेट या सरकारी) को दिये गए ऋण को प्रदर्शित करता है।
- इस तरह के बॉण्ड को स्टॉक एक्सचेंजों में भी सूचीबद्ध किया जाता है और केवल डीमैट खातों के माध्यम से इनका कारोबार किया जाता है।
- प्रकटीकरण और निवेशक सुरक्षा दिशा-निर्देशों के तहत सेबी द्वारा परिभाषित योग्य संस्थागत निवेशक इन बॉण्डों में निवेश कर सकते हैं।
- ट्रस्ट, सहकारी और क्षेत्रीय बैंक तथा कॉर्पोरेट कंपनियों जैसी संस्थाएँ भी कर-मुक्त बॉण्ड में नियमित रूप से निवेश करती हैं।