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भारतीय अर्थव्यवस्था

पारगमन-उन्मुख शहरी विकास

  • 09 Aug 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पारगमन उन्मुख विकास (TOD), विकास केंद्र, पेरी-शहरी क्षेत्र, भूमि उपयोग, बाज़ार संभावित मूल्य, सार्वजनिक पारगमन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, आपदा लचीलापन, राष्ट्रीय पारगमन उन्मुख विकास (TOD) नीति, 2017, शहरी बुनियादी ढाँचा विकास निधि (UIDF)

मेन्स के लिये:

शहरी क्षेत्रों के सतत् कामकाज में पारगमन उन्मुख विकास की भूमिका।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

केंद्र सरकार ने 30 लाख से अधिक आबादी वाले 14 बड़े शहरों के लिये पारगमन उन्मुख विकास (Transit-Oriented Development- TOD) योजना का प्रस्ताव रखा।

पारगमन उन्मुख विकास (TOD) क्या है?

  • परिचय: 
    • TOD एक योजना रणनीति है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन स्टेशनों के आसपास नौकरियों, आवास और सेवाओं को केंद्रित करना है।
      • यह ऐसे विकास को प्रोत्साहित करता है जहाँ पैदल या बाइक से जाना आसान हो, तथा नौकरियाँ, घर और सेवाएँ परिवहन विकल्पों के निकट स्थित हों।
    • TOD इस विचार पर काम करता है कि आर्थिक विकास, शहरी परिवहन और भूमि उपयोग को एक साथ नियोजित करने पर वे अधिक कुशल होते हैं।
    • इस दृष्टिकोण का उपयोग स्टॉकहोम, कोपेनहेगन, हॉन्गकॉन्ग, टोक्यो और सिंगापुर जैसे शहरों में सफलतापूर्वक किया गया है।
  • विश्व बैंक 3V फ्रेमवर्क TOD योजनाओं का मार्गदर्शन करता है:
    • नोड मूल्य: यह यात्री यातायात, अन्य परिवहन साधनों के साथ कनेक्शन और नेटवर्क के भीतर केंद्रीयता के आधार पर सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क में किसी स्टेशन के महत्व का वर्णन करता है।
    • स्थानीय मान: यह स्टेशन के आसपास के क्षेत्र की गुणवत्ता और आकर्षण को दर्शाता है।
      • प्रमुख कारकों में विविध भूमि उपयोग, स्कूल और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुँच, पैदल या साइकिल दूरी के भीतर सुविधाओं की उपलब्धता, पैदल यात्री-अनुकूल डिज़ाइन तथा स्टेशन के आसपास शहरी ब्लॉकों का आकार शामिल हैं।
    • बाज़ार संभावित मूल्य: यह स्टेशनों के आसपास के क्षेत्रों के संभावित बाज़ार मूल्य को संदर्भित करता है।
      • इसका आकलन आस-पास की वर्तमान और भविष्य की नौकरियों की संख्या, 30 मिनट के भीतर परिवहन द्वारा उपलब्ध नौकरियों की संख्या, आवास घनत्व, विकास के लिये उपलब्ध भूमि, संभावित क्षेत्र परिवर्तन तथा समग्र बाज़ार गतिविधि जैसे कारकों पर विचार करके किया जाता है।

  • TOD के लाभ:
    • आर्थिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना: TOD अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले शहरों को योजनाबद्ध तरीके से धारणीय शहरी विकास केंद्रों के रूप में विकसित करता है और छोटे क्षेत्रों में नौकरियों का समूह बनाता है, जिससे शहर की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि जैसे लाभ होते हैं।
      • शोध से पता चलता है कि नौकरी घनत्व को दोगुना करने से आर्थिक उत्पादकता 5 से 10% तक बढ़ सकती है।
    • जीवंत और रहने योग्य समुदाय: TOD नौकरियों, आवास और सुविधाओं को पारगमन स्टेशनों के करीब लाता है, शानदार सार्वजनिक स्थानों और कम यात्रा दूरी के साथ जीवंत समुदायों का निर्माण करता है, जिससे शहर अधिक रहने योग्य बनते हैं।
    • कॉम्पैक्ट शहरी विकास और सार्वजनिक परिवहन का पारस्परिक सुदृढ़ीकरण: कॉम्पैक्ट शहरी विकास और अच्छा सार्वजनिक परिवहन एक साथ काम करते हैं। उच्च घनत्व वाले क्षेत्र अधिक यात्रियों को लाते हैं, जिससे परिवहन प्रणाली लाभदायक बनती है, जबकि स्टेशनों के पास नौकरियों और आवासों का संकेन्द्रण इन परिवहन प्रणालियों का समर्थन करता है।
    • अचल संपत्ति के मूल्य में वृद्धि: जन परिवहन के निकट होने के कारण TOD क्षेत्र अधिक आकर्षक बन जाते हैं, जिससे अचल संपत्ति के मूल्य में वृद्धि होती है।
      • शहर इस अतिरिक्त मूल्य का उपयोग परिवहन उन्नयन, किफ़ायती आवास और सतत् विकास के लिये कर सकते हैं।
      • हॉन्गकॉन्ग में इस दृष्टिकोण से वर्ष 1980 और 2005 के बीच 140 बिलियन हांगकांग डॉलर जुटाए गए तथा 6,00,000 सार्वजनिक आवास इकाइयों के लिये भूमि उपलब्ध कराई गई।
    • समावेशिता को बढ़ावा देना: यद्यपि TOD संपत्ति की कीमतों में वृद्धि कर सकता है, लेकिन नए विकास में किफ़ायती आवास को शामिल करके इसे कम किया जा सकता है।
      • समावेशी TOD दृष्टिकोण सभी आय स्तर के लोगों के लिये नौकरियों और सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • कार्बन फुटप्रिंट में कमी: TOD से कार का उपयोग कम होता है, यात्रा का समय कम होता है, उत्पादकता बढ़ती है, तथा कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
      • उदाहरण के लिये स्टॉकहोम में पारगमन मार्गों का विकास होने से प्रति व्यक्ति आर्थिक मूल्य में 41% की वृद्धि हुई तथा वर्ष 1993 से 2010 तक प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 35% की कमी आई।
    • आपदा लचीलेपन को समर्थन प्रदान करना: जब प्राकृतिक आपदाओं के प्रति कम संवेदनशील क्षेत्रों में इसे क्रियान्वित किया जाता है, तो TOD सुरक्षित क्षेत्रों में उच्च घनत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करके आपदा लचीलेपन को बढ़ा सकता है, जिससे जोखिमों का जोखिम कम हो जाता है।

  • TOD की मांग को बढ़ाने वाले कारक:
    • तेज़ी से बढ़ती यातायात भीड़: राष्ट्रव्यापी यातायात भीड़ तेज़ी से बढ़ रही है और अत्यधिक होती जा रही है, जिससे अधिक कुशल शहरी नियोजन की आवश्यकता उत्पन्न हो रही है।
    • उपनगरीय क्षेत्रों के प्रति असंतोष: उपनगरीय क्षेत्रों के विस्तार और पट्टी विकास के प्रति असंतोष बढ़ रहा है, जिसके कारण लोग विकल्प तलाश रहे हैं।
    • गुणवत्तापूर्ण शहरी जीवनशैली की इच्छा: अधिक लोग उच्च गुणवत्ता वाली शहरी जीवनशैली की चाहत रखते हैं, जो बेहतर सुविधाएँ और अनुभव प्रदान करती हो।
    • पैदल चलने योग्य वातावरण को प्राथमिकता: अधिक पैदल चलने योग्य जीवनशैली की इच्छा बढ़ रही है, जो भारी यातायात से मुक्त हो, तथा दैनिक सुविधा और सुरक्षा को बढ़ाए।
    • पारिवारिक संरचना में परिवर्तन: एकल-व्यक्ति परिवारों और खाली-घोंसले वालों (जिनके वयस्क बच्चे घर छोड़ चुके हैं) की संख्या में वृद्धि से शहरी जीवन विकल्पों की मांग प्रभावित हो रही है।
    • स्मार्ट विकास के लिये समर्थन: स्मार्ट विकास सिद्धांतों हेतु राष्ट्रीय समर्थन बढ़ रहा है, जो सतत् और कुशल भूमि उपयोग पर जोर देते हैं।
  • TOD के घटक:
    • पैदल चलने योग्य डिज़ाइन: इसमें पैदल चलने पर मुख्य ध्यान देते हुए पैदल यात्री अनुकूल डिज़ाइन को प्राथमिकता दी गई है।
    • क्षेत्रीय नोड: इसमें एक क्षेत्रीय नोड में उपयोगों का मिश्रण शामिल होता है, जैसे कार्यालय स्थान, आवासीय क्षेत्र, खुदरा और नागरिक सुविधाएँ, सभी एक दूसरे के निकट होते हैं।
    • कलेक्टर ट्रांजिट सिस्टम: इसमें स्ट्रीटकार, लाइट रेल और बस जैसी सहायक ट्रांजिट प्रणालियाँ शामिल हैं।
      • दैनिक परिवहन विकल्प के रूप में साइकिल और स्कूटर के आसान उपयोग के लिये डिज़ाइन किया गया।
    • प्रबंधित पार्किंग: पार्किंग की व्यवस्था कम कर दी गई है तथा शहर के केंद्र और रेलवे स्टेशन के चारों ओर 10 मिनट की पैदल दूरी के भीतर इसका प्रबंधन किया गया है।
    • विशिष्ट खुदरा: स्टेशनों पर यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिये कैफे, किराना स्टोर और ड्राई क्लीनर जैसी विशिष्ट खुदरा सेवाएँ उपलब्ध हैं।

TOD से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • महानगर स्तर पर क्षेत्रीय समन्वय का अभाव: भारत के महानगरीय क्षेत्रों में प्रायः अलग-अलग एजेंडे वाले कई नगरपालिका और राज्य प्राधिकरण होते हैं, जिसके कारण TOD नियोजन खंडित हो जाता है।
  • समावेशी नहीं: भूमि उपयोग और परिवहन के लिये अलग-अलग नियोजन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप असंगत लक्ष्य एवं अकुशल TOD विकास हो सकता है।
    • इसके अलावा इसमें कृषि और संबद्ध सेवाओं जैसे अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में नहीं रखा गया है।
  • उच्च जनसंख्या घनत्व: अपर्याप्त विनियमन के परिणामस्वरूप या तो कुछ क्षेत्रों में विकास का अत्यधिक संकेंद्रण हो सकता है या अन्य क्षेत्रों में कम प्रयोग हो सकता है।
    • इससे उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में बुनियादी अवसंरचना पर दबाव पड़ सकता है, जबकि शहर के अन्य हिस्से अविकसित और अपर्याप्त संपर्क वाले रह जाएंगे।  
  • उपेक्षित शहरी डिज़ाइन: कई भारतीय शहरों में अच्छी तरह से डिज़ाइन किये गए फुटपाथ, क्रॉसवॉक और पैदल यात्री क्षेत्र की कमी है, जिससे सुरक्षित व आराम से ट्रांज़िट स्टेशनों तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है। इससे पैदल चलने वालों को खतरनाक और भीड़भाड़ वाले रास्तों से यात्रा करने के लिये मज़बूर होना पड़ेगा।
  • भारतीय शहरों के लिये अनुपयुक्त: हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर जैसे द्वीपीय शहरों में TOD भूमि प्रयोग दक्षता को अधिकतम करता है, जिससे अधिक लोगों को पारगमन क्षेत्र के निकट रहने और कार्य करने की अनुमति मिलती है, जिससे व्यापक विकास की आवश्यकता कम हो जाती है। यह नई दिल्ली या बेंगलुरु जैसे भारतीय शहरों के लिये उपयुक्त नहीं हो सकता है।
  • लोगों के व्यवहार पर कोई प्रभाव नहीं: ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने के लिये निजी वाहनों के उपयोग को कम करने में व्यवहार परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण कारक है। अकुशल सार्वजनिक परिवहन तंत्रों में भारी निवेश के बावजूद TOD लोगों को निजी वाहन का उपयोग कम करने के लिये प्रेरित नहीं कर सकता है।
  • आपदा के प्रति अधिक संवेदनशीलता: एक छोटे से क्षेत्र में लोगों की भीड़भाड़ से आपदा के दौरान हताहतों और घायलों की संभावना बढ़ जाती है। सड़कों, उपयोगिताओं और आपातकालीन सेवाओं जैसे अत्यधिक बोझ वाली बुनियादी अवसंरचना के कारण आपदा के दौरान यह जल्दी ही अभिभूत हो सकता है।
  • शहरी प्रसार: तेज़ी से शहरीकरण के कारण शहरों का विस्तार हो रहा है, जिससे कॉम्पैक्ट वॉकेबल पड़ोस बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। उदाहरण के लिये अहमदाबाद जैसे शहरों में काफी प्रसार है, जिससे TOD सिद्धांतों के क्रियान्वयन में जटिलता आ रही है। 
  • सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ: यह सुनिश्चित करना कि TOD से सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों को लाभ मिले, यह महत्त्वपूर्ण है, लेकिन चुनौतीपूर्ण भी। इस बात का जोखिम है कि नए विकास मुख्य रूप से निम्न-आय वाले निवासियों को छोड़कर समृद्ध आबादी के आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं।
  • अन्य मुद्दे: विनियामक, सामुदायिक और वित्तीय चुनौतियाँ बेंगलुरु, चेन्नई व कोलकाता जैसे भारतीय शहरों में TOD में बाधा डालती हैं। ज़ोनिंग कानून, सामुदायिक प्रतिरोध और बजट की कमी मिश्रित-उपयोग विकास तथा पारगमन सुधारों को सीमित करती है।

राष्ट्रीय पारगमन उन्मुख विकास (TOD) नीति, 2017

  • आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने राष्ट्रीय पारगमन-उन्मुख विकास नीति 2017 शुरू की। इसे शहरी विकास के लिए पारगमन उन्मुख विकास (TOD) का उपयोग करने में राज्यों और शहरों की सहायता करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • विज़न:
    • परिवर्तन: निजी वाहन पर निर्भरता से सार्वजनिक परिवहन-उन्मुख विकास की ओर बदलाव।
    • पहुँच: सार्वजनिक परिवहन के उपयोग, हरित गतिशीलता को बढ़ावा देना और प्रदूषण को कम करना।
    • पैदल चलने योग्य समुदाय: कॉम्पैक्ट, किफ़ायती और पैदल चलने योग्य वातावरण विकसित करना।
    • सार्वजनिक परिवहन: पारगमन और पैदल यात्राएँ बढ़ाना, प्रदूषण और भीड़भाड़ को कम करना।
    • सघन अवसंरचना: सघन सड़क नेटवर्क बनाना  और निजी वाहन स्वामित्व को कम करना।
    • समावेशी आवास: किफायती और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये आवास शामिल करना।
    • मनोरंजन और सुरक्षा: विशेष रूप से कमज़ोर समूहों के लिये मनोरंजक स्थान और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
    • पर्यावरणीय प्रभाव: पर्यावरण के अनुकूल यात्रा विकल्पों को बढ़ावा देकर कार्बन पदचिह्नों को कम करना।

भारत में पारगमन उन्मुख शहरी विकास के लिये की गई पहल

निष्कर्ष

ट्रांज़िट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) एक आधुनिक शहरी नियोजन दृष्टिकोण है जो उच्च घनत्व, मिश्रित-उपयोग वाले वातावरण को बढ़ावा देने के लिये भूमि उपयोग को ट्रांज़िट इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य वाहनों पर निर्भरता को कम करना, भीड़भाड़ को कम करना और स्थिरता को बढ़ाना है। सफल TOD समन्वय, ऊर्ध्वगामी विकास और बेहतर कनेक्टिविटी पर निर्भर करता है, जिसे भारत में अपनाया जा रहा है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: चर्चा कीजिये कि ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) शहरों के सतत् विकास में कैसे एक गेम चेंजर सिद्ध हो सकता है। भारतीय शहरों के लिये TOD के साथ क्या चुनौतियाँ आती हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

मेन्स

प्रश्न. भारत में तीव्र आर्थिक विकास के लिये कुशल और किफ़ायती शहरी जन परिवहन कैसे महत्त्वपूर्ण है? (2019)

प्रश्न. भारत में शहरी जीवन की गुणवत्ता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, 'स्मार्ट सिटी कार्यक्रम' के उद्देश्यों और रणनीति का परिचय दीजिये। (2016)

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