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भारतीय अर्थव्यवस्था

पारगमन उन्मुख विकास

  • 28 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

पारगमन उन्मुख विकास (Transit Oriented Development) की अवधारणा पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station- NDLS) का पुनर्विकास किया जाना NCR में इस प्रकार की  पहली परियोजना है।

प्रमुख बिंदु

  • अनुमोदन का प्राधिकार: यह परियोजना रेल भूमि विकास प्राधिकरण (Rail Land Development Authority) द्वारा अनुमोदित है जो रेल मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है। इस प्राधिकरण का कार्य खाली पड़ी रेलवे भूमि पर विकास कार्य करना है।
    • वर्तमान में भारतीय रेलवे के पास देश भर में लगभग 43,000 हेक्टेयर खाली भूमि है।
    • जिन शहरों में सार्वजनिक परिवहन का विशेष महत्त्व है, उन शहरों में सरकार 'पारगमन-उन्मुख विकास' को बढ़ावा दे रही है।
  • TOD के विषय में:
    • पारगमन-उन्मुख विकास का आशय भूमि उपयोग और परिवहन की योजना को एकीकृत करना है। इसका उद्देश्य अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले शहरों को योजनाबद्ध तरीके से धारणीय शहरी विकास केंद्रों के रूप में विकसित करना है। 
  • TOD की योजना:
    • TOD में आमतौर पर एक केंद्रीय पारगमन स्टॉप (जैसे कि एक ट्रेन स्टेशन, रेल या बस स्टॉप) शामिल होता है जो एक उच्च घनत्व वाले क्षेत्र से घिरा होता है।
    • एक TOD को छोटे ब्लॉक के आकारों का उपयोग और ऑटोमोबाइल के भू उपयोग क्षेत्र को कम करके अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक आवागमन (पैदल) योग्य बनाया जाता है।

TOD-Components

  • TOD की आवश्यकता:
    • तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, शहरों में प्रवास और यातायात संबंधी भीड़ आदि जैसे कारकों के कारण इसकी आवश्यकता अधिक है।
  • लाभ:
    • TOD से मिलने वाले लाभों में बेहतर निवास, कार्य और खेल के स्थानों के साथ ही यातायात की भीड़, कार दुर्घटनाओं, परिवहन पर घरेलू खर्च आदि  में कमी आना शामिल है।

भारत में TOD और नीतिगत पहलें: यह तीन स्तंभों पर आधारित है:

निजी से सार्वजनिक परिवहन में परिवर्तन को आसान बनाना:

  • शहरों की निजी वाहन पर निर्भरता को सार्वजनिक परिवहन उन्मुख करने में सहायता करना।

सुलभ सार्वजनिक परिवहन (हरित गतिशीलता को बढ़ावा देना):

  • सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को सुलभ बनाने के लिये लोगों को पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिये प्रोत्साहित कर हरित गतिशीलता को बढ़ावा देना तथा प्रदूषण व मोटर वाहन के अन्य नकारात्मक प्रभावों पर अंकुश लगाना।

वहनीय परिवहन व्यवस्था:

  • भीड़-भाड़ वाले स्थानों में यात्रा करने वाले समुदायों के लिये जीवंत और वहनीय परिवहन व्यवस्था का निर्माण करना।

TOD नीति का उद्देश्य:

सार्वजनिक परिवहन:

  • इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वामित्व वाले वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देकर निजी स्वामित्व वाले वाहनों के उपयोग में कमी लाना है, इससे सार्वजनिक परिवहन और पैदल आवागमन में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप प्रदूषण में कमी के साथ ही भीड़ को भी कम किया जा सकेगा।

यात्रा में कमी लाना:

  • मिश्रित भूमि-उपयोग विकास के साथ प्रभाव क्षेत्र में कार्य/नौकरी, खरीदारी, सार्वजनिक सुविधाएँ, मनोरंजन की सभी बुनियादी ज़रूरतों को प्रदान करना, ताकि यात्राओं को कम किया जा सके।

सड़क नेटवर्क:

  • सुरक्षित और आसान आवाजाही हेतु विकसित क्षेत्र के भीतर एक सघन सड़क नेटवर्क स्थापित करना।

समावेशिता:

  • प्रभाव क्षेत्र में समावेशी आवासों का विकास करना ताकि सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर लोग परिवर्तनशील स्टेशनों से पैदल दूरी के भीतर उपयुक्त आवास में रह सकें।
  • आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) और उनके लिये किफायती आवास को एकीकृत करने के लिये कुल आवास आपूर्ति में उनके लिये निर्मित क्षेत्र का एक निर्धारित अनुपात आवंटित करना।

अतिसंवेदनशील वर्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करना:

  • महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ एक सुरक्षित समाज का विकास सुनिश्चित करना और भवन उप नियमों में आवश्यक संशोधन करना।

नियोजित नगरीकरण:

  • ट्रांज़िट कॉरिडोर तक पहुँच स्थापित करने के साथ एक सघन क्षेत्र में बढ़ती आबादी को समायोजित कर शहरी फैलाव को रोकना जो विकास के लिये बुनियादी ढाँचे की लागत को कम करेगा।

पर्यावरण अनुकूल यात्रा:

  • पर्यावरण के अनुकूल यात्रा विकल्पों की ओर अग्रसर होकर ‘कार्बन फुटप्रिंट’ को कम करना।

 स्रोत-द हिंदू

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