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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार

  • 01 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी प्रकार के व्यापार निलंबित करने के दो साल पुराने फैसले को आंशिक रूप से बदलते हुए भारत से कपास और चीनी आयात करने की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु:

पाकिस्तान का व्यापार प्रतिबंध:

  • अगस्त 2019 में भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करने का पाकिस्तान का निर्णय जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक परिवर्तनों का परिणाम था।
  • हालाँकि व्यापार को निलंबित करने का एक अंतर्निहित कारण भारत द्वारा पाकिस्तानी आयातों पर लगाया गया 200% सीमा शुल्क था, जिसके एक साल बाद भारत ने पुलवामा आतंकवादी हमले के पश्चात् पाकिस्तान के मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा रद्द कर दिया था। 
  • इसकी वजह से दोनों देशों के बीच व्यापार अत्यधिक प्रभावित हुआ।
    • भारत से पाकिस्तान को होने वाला निर्यात लगभग 60% की गिरावट के साथ 816.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रह गया और वित्तीय वर्ष 2019-20 में उसका आयात 97% गिरावट के साथ 13.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रह गया।

प्रतिबंध से पूर्व भारत-पाकिस्तान व्यापार:

  • वर्षों से भारत का पाकिस्तान के साथ व्यापार अधिशेष है, आयात और निर्यात की तुलना में व्यापार को हमेशा राजनीति से जोड़ा गया है।
  • वर्ष 2016 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड्स पर उरी आतंकी हमले और भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद संबंधों में तनाव के कारण भारत में पाकिस्तान का निर्यात वित्तीय वर्ष 2015-16 के 2.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर से वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 16% गिरावट के साथ 1.82 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • निरंतर तनाव के बावजूद हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में कुछ वृद्धि हुई है।
    • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारतीय निर्यात लगभग 6% वृद्धि दर के साथ 1.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया तथा वित्तीय वर्ष 2018-19 में इसमें लगभग 7% की बढ़ोतरी हुई।
    • हालाँकि पाकिस्तान से आयात में न्यूनतम वृद्धि के चलते वित्तीय वर्ष 2016-17 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह 7.5% वृद्धि के साथ 488.56 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

प्रमुख व्यापारिक उत्पाद:

  • वित्तीय वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान भारत के शीर्ष 50 व्यापारिक भागीदारों में से एक था, लेकिन वित्तीय वर्ष 2019-20 में मोस्ट फेवर्ड नेशन की सूची से पाकिस्तान को बाहर कर दिया गया था।
    • यह अनुमान लगाया गया था कि देशों के बीच व्यापार प्रतिबंध पाकिस्तान को अधिक प्रभावित करेगा, क्योंकि पाकिस्तान अपने वस्त्र और फार्मास्यूटिकल्स उद्योगों हेतु कच्चे माल के लिये भारत पर सर्वाधिक निर्भर था।
  • पाकिस्तान को भारतीय निर्यात: 
    • वित्तीय वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान को कपास और जैविक रसायनों का भारतीय निर्यात का लगभग आधा भाग प्राप्त हुआ
    • अन्य प्रमुख वस्तुओं में प्लास्टिक, टैनिंग/ रंगाई के अर्क और परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी तथा यांत्रिक उपकरण शामिल थे।
    • प्रतिबंध के बाद कई वस्तुओं के आयात में भारी गिरावट आई, जबकि कपास का आयात पूरी तरह से बंद हो गया।
      • केवल दवा उत्पादों के आयात में वृद्धि हुई है। पाकिस्तान ने अब तक कोविड -19 महामारी के दौरान दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये दवा उत्पादों और जैविक रसायनों का आयात किया है।
  • पाकिस्तान से भारतीय आयात:
    • वित्तीय वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान से भारत को आयातित प्रमुख वस्तुओं में  खनिज ईंधन, तेल, खाद्य फल, नारियल, नमक, सल्फर, पत्थर ,प्लास्टर सामग्री, अयस्क, लावा, राख, खाल और चमड़ा आदि शामिल थे।

पाकिस्तान द्वारा व्यापार प्रतिबंध हटाया जाना:

  • कच्चे माल में कमी: पाकिस्तान ने कपास के आयात पर प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है, क्योंकि कपास की घरेलू पैदावार कम होने के कारण पाकिस्तान का वस्त्र उद्योग कच्चे माल की कमी का सामना कर रहा है।
  • भारत से सस्ता आयात: अमेरिका और ब्राज़ील जैसे- देशों से कपास और चीनी का आयात करना तुलनात्मक रूप से काफी महँगा पड़ता है और डिलीवरी में भी काफी समय लगता है।
  • उच्च घरेलू मांग और कीमतें: चीनी पर आयात प्रतिबंध हटाने का निर्णय उसकी उच्च घरेलू मांग और उच्च कीमतों से भी प्रेरित है।
    • भारत से आयात करने का निर्णय पाकिस्तान के स्थानीय बाज़ार में कीमतों को स्थिर करने का एक उपाय है।

निहितार्थ

  • चयनित वस्तुओं यथा- चीनी और कपास में व्यापार की अनुमति देने के पाकिस्तान के निर्णय से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों के सामान्य होने की संभावना और अधिक बढ़ गई है।
  • भारत के लिये यह एक अच्छा समय है कि वह उत्पादों पर 200% आयात शुल्क में कमी की संभावनाओं का पता लगाए ताकि उद्योगों को लाभ मिल सके।
  • तीन वर्ष के अंतराल के बाद भारत द्वारा खेल संबंधी वीज़ा देने, दिल्ली में सिंधु जल आयुक्तों की बैठक आयोजित करने, नियंत्रण रेखा पर शांति और भारत तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान जैसे उपायों के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार होने की संभावना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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