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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

टाइटन त्रासदी प्रस्तावित भारतीय सबमर्सिबल डाइव के लिये सबक

  • 28 Jun 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मत्स्य-6000, टाइटन सबमर्सिबल, डीप ओशन मिशन, RMS टाइटैनिक, अटलांटिक महासागर, NOAA, यूनेस्को

मेन्स के लिये:

डीप ओशन मिशन और भारत के लिये इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिक वर्ष 2024 के अंत में टाइटन सबमर्सिबल के समान वाहन मत्स्य-6000 के साथ डीप सी डाइव की तैयारी कर रहे हैं जो हाल ही में लापता हो गया था।

  • वर्ष 2024 के अंत में निर्धारित भारत के डीप ओशन मिशन के तहत मत्स्य-6000 परियोजना का लक्ष्य लगभग 6,000 मीटर की गहराई तक हिंद महासागर में खोज करना है।
  • टाइटन सबमर्सिबल की हालिया घटना को देखते हुए चालक दल के लिये नियोजित सुरक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु गहन समीक्षा की जाएगी।

टाइटन सबमर्सिबल के मुख्य बिंदु:

  • Fपरिचय:
    • टाइटन सबमर्सिबल का संचालन निजी स्वामित्व वाली अमेरिकी कंपनी ओशनगेट द्वारा किया गया जो अनुसंधान एवं पर्यटन दोनों के लिये गहरे पानी में अभियान आयोजित करती है।
    • इसका निर्माण "ऑफ-द-शेल्फ" घटकों द्वारा किया गया था तथा यह अन्य गहरी गोताखोर पनडुब्बियों की तुलना में हल्की और अधिक लागत-कुशल थी।
    • टाइटन सबमर्सिबल कार्बन फाइबर और टाइटेनियम से बनी थी तथा इसका वज़न 10,432 किलोग्राम था।
    • यह समुद्र की गहराई में 4,000 मीटर तक जाने में सक्षम थी तथा इसकी गति तीन समुद्री मील प्रति घंटे (5.56 किलोमीटर प्रति घंटे) थी।

  • उद्देश्य:
    • टाइटन सबमर्सिबल RMS (Royal Mail Ship) पर यात्रा कर रहे लोगों का उद्देश्य टाइटैनिक के मलबे को देखना था, जो बर्फीले उत्तरी अटलांटिक महासागर में लगभग 4,000 मीटर की गहराई में स्थित है।
      • यात्रा शुरू होने के एक घंटे पैंतालीस मिनट के बाद ही टाइटन से संपर्क टूट गया।
  • चिंताएँ:
    • सबमर्सिबल के फॉरवर्ड व्यूपोर्ट को 1,300 मीटर के लिये प्रमाणित किया गया था लेकिन ओशनगेट का लक्ष्य 4,000 मीटर की गहराई तक पहुँचने का था।
    • इस बात की आशंका है कि सबमर्सिबल की तकनीक और घटकों के मामले में सख्त सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया हो। अपर्याप्त संरचना परीक्षण के कारण विफलता की संभावना बढ़ जाती है जो लोगों की जान को ज़ोखिम में डालता है।
    • दबाव टैंक में टाइटेनियम और कार्बन फाइबर का संयोजन असामान्य है और गहरी समुद्री स्थितियों में उनकी प्रवृत्तियों मेंभिन्नता चिंता का विषय है।

टाइटन के साथ हुई घटना:

  • यूएस कोस्ट गार्ड के अनुसार, सबमर्सिबल "टाइटन" में "विनाशकारी अंतःस्फोट" हुआ। माना जा रहा है कि अंतःस्फोट के कारण सबमर्सिबल पर सवार पाँचों लोगों की मौत हो गई।
  • अंतःस्फोट विस्फोट के विपरीत है। विस्फोट में बल बाहर की ओर कार्य करता है, लेकिन अंतःस्फोट में बल अंदर की ओर कार्य करता है। जब कोई सबमर्सिबल समुद्र में गहराई में होती है तो पानी के दबाव के कारण उसके पृष्ठ पर बल का अनुभव होता है।
  • जब यह बल पतवार की क्षमता से अधिक हो जाता है तो जहाज़ में अंतः स्फोट हो जाता है।
    • जल में प्रत्येक 10 मीटर नीचे उतरने पर दबाव लगभग एक अट्मोसफेयर की इकाई के साथ बढ़ जाता है।
      • समुद्र तल पर औसत वायुमंडलीय दबाव 101.325 किलोपास्कल (kPA) या 14.7 पाउंड प्रति वर्ग इंच (पीएसआई) है, जो एक वायुमंडल के बराबर है।

कार्बन फाइबर और टाइटेनियम:

  • कार्बन फाइबर: कार्बन फाइबर एक ऐसा पॉलिमर है जो वज़न में हल्का होने के बावजूद काफी मज़बूत माना जाता है। यह स्टील से पाँच गुना अधिक मज़बूत और दोगुना कठोर हो सकता है।
    • टाइटेनियम की तुलना में मिश्रित कार्बन-फाइबर अधिक कठोर होता है और इसमें समान प्रकार की लोच नहीं होती है।
  • टाइटेनियम: टाइटेनियम, स्टील के समान मज़बूत है पर वज़न में उससे 45% हल्का है। संयुक्त राज्य भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, यह एल्युमीनियम से दोगुना मज़बूत है लेकिन वज़न में उससे केवल 60% भारी है।
    • एक टाइटेनियम या मोटे स्टील का दबाव टैंक आमतौर पर गोलाकार होता है जो 3,800 मीटर की गहराई पर अत्यधिक दबाव का सामना कर सकता है, इसी गहराई पर टाइटैनिक का मलबा पड़ा है।
    • चूँकि टाइटेनियम लोचदार है, यह वायुमंडलीय दबाव में वापसी के बाद किसी भी दीर्घकालिक तनाव का अनुभव किये बिना भार की एक विस्तृत शृंखला को समायोजित कर सकता है। यह दबाव बलों के साथ तालमेल बिठाने के लिये सिकुड़ता है और इन बलों के कम होने पर पुन: विस्तारित होता है।

सबमरीन और सबमर्सिबल:

  • हालाँकि दोनों श्रेणियाँ अतिव्याप्त हो सकती हैं, एक सबमरीन जल के नीचे संचालित वाहन को संदर्भित करती है जो स्वतंत्र रूप से एक बंदरगाह से प्रस्थान करने या अभियान के बाद बंदरगाह पर वापस आने में सहायता करने में सक्षम होती है।
  • जबकि एक सबमर्सिबल आमतौर पर आकार में छोटी होती है और इसकी क्षमता न्यून होती है, इसलिये इसे लॉन्च करने और पुनर्प्राप्त करने के लिये जहाज़ की आवश्यकता होती है।
    • लापता सबमर्सिबल टाइटन पोलर प्रिंस नाम के जहाज़ में संग्लग्न था।

मत्स्य-6000 से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • मत्स्य-6000 भारत में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT- National Institute of Ocean Technology) द्वारा विकसित एक स्वदेशी गहरे समुद्र में गोता लगाने वाली पनडुब्बी है। इसे हिंद महासागर में लगभग 6,000 मीटर की गहराई तक पता लगाने के लिये निर्मित किया गया है।
    • मिशन का लक्ष्य तीन भारतीय नाविकों को कन्याकुमारी से लगभग 1,500 किमी. दूर एक बिंदु पर भेजना है।
  • उद्देश्य:
    • मिशन का प्राथमिक उद्देश्य भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का समर्थन के साथ समुद्री संसाधनों का पता लगाना है।
    • भारत का लक्ष्य ताँबा, निकल, कोबाल्ट और मैंगनीज़ जैसे मूल्यवान संसाधनों वाले पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के लिये अनुसंधान एवं खनन करना है।
    • यह प्रयास भारत सरकार के डीप ओशन मिशन के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य महासागर स्कैनिंग और खनन के लिये वाहन तथाप्रौद्योगिकी विकसित करना है।
  • सबमर्सिबल की विशेषताएँ:
    • सबमर्सिबल टाइटेनियम की एक गोलाकार संरचना होती है, जो अधिक गहराई पर अत्यधिक दबाव को सहने की क्षमता रखती है।
      • टाइटेनियम संरचना का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया है, क्योंकि भारत में कोई भी वाणिज्यिक फैब्रिकेटर इस तरह की संरचना का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था।
    • उभरी संरचना, जो चालक दल और आसपास के जल स्तंभों के बीच मुख्य सीमा के रूप में कार्य करती है, टाइटेनियम मिश्र धातु के दो गोलार्द्धों को जोड़कर बनाया गया है।
  • हालिया घटना से सीख:
    • हालिया घटना सुरक्षा संबंधी संपूर्ण मूल्यांकन और निरंतर परीक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
    • जहाज़ में कई संचार प्रणालियाँ होने के बावजूद सबमर्सिबल का पता लगाने में असमर्थता कई सवाल उठाती है। ऐसी घटनाओं के कारणों का पता लगाने में सहायता के लिये भविष्य में सबमर्सिबल में विमान में उपयोग किये जाने वाले "ब्लैक बॉक्स" समकक्ष उपायों को शामिल किया जा सकता है।
    • सबमर्सिबल के बाह्य आवरण के लिये टाइटेनियम के चयन, सिंटैक्टिक फोम के उपयोग और ध्वनिक संचार तथा ट्रैकिंग प्रणाली के क्षमतापूर्ण कार्यान्वयन का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. भारत के कतिपय तटीय क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध एल्मेनाइट और रूटाइल निम्नलिखित में से किसके समृद्ध स्रोत हैं?

(a) एल्युमीनियम
(b) ताम्र
(c) लोहा
(d) टाइटेनियम

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • भारत मुख्य रूप से देश के तटीय इलाकों में पाए जाने वाले भारी खनिज संसाधनों से संपन्न है।
  • भारी खनिज रेत में सात खनिज शामिल है, जैसे- एल्मेनाइट, ल्यूकोक्सिन (भूरा एल्मेनाइट), रूटाइल, ज़िरकाॅन, सिलिमेनाइट, गार्नेट और मोनाज़ाइट। एल्मेनाइट (FeO.TiO2) और रूटाइल (TiO2) टाइटेनियम के दो प्रमुख खनिज स्रोत हैं। अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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