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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

द हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया

  • 02 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के विदेश मंत्री ने ताज़िकिस्तान के दुशांबे में आयोजित 9वीं हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया में भाग लिया।

  • उन्होंने दोहरी शांति प्रक्रिया को अपनाने की बात कही है जिसका अभिप्राय अफगानिस्तान के भीतर और अफगानिस्तान के आसपास के पड़ोसी देशों में शांति से है, साथ ही यह भी कहा कि भारत इंट्रा-अफगान वार्ता (IAN) का समर्थन करता है।

प्रमुख बिंदु:

द हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया (HoA-IP):

  • इसकी स्थापना नवंबर 2011 में तुर्की के इस्तांबुल में हुई थी। 
  • यह अफगानिस्तान को केंद्र में रखकर ईमानदार और परिणामोन्मुखी क्षेत्रीय सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करता है, क्योंकि एक सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के लिये हार्ट ऑफ एशिया क्षेत्र की समृद्धि महत्त्वपूर्ण है।
  • इस मंच की स्थापना अफगानिस्तान और इसके पड़ोसियों तथा क्षेत्रीय भागीदारों की साझा चुनौतियों और हितों को संबोधित करने के लिये की गई थी। 
  • हार्ट ऑफ एशिया में  15 सहभागी देश, 17 सहायक देश और 12 सहायक क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं।
    • भारत एक सहभागी देश है।
  • हार्ट ऑफ एशिया- इस्तांबुल प्रक्रिया का उद्देश्य समन्वय और क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से अफगानिस्तान सहित 15 क्षेत्रीय देशों के बीच  शांति, सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देकर उन्हें मजबूत करना है। अपनी स्थापना के बाद से यह प्रक्रिया क्षेत्रीय सहयोग का एक प्रमुख तत्त्व बन गई है और इसने अफगानिस्तान के निकट एवं दूरस्थ पड़ोसियों, अंतर्राष्ट्रीय समर्थकों तथा संगठनों के लिये एक मंच बनाया है जो अफगानिस्तान व क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से मौजूदा और उभरती हुई क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये रचनात्मक बातचीत में संलग्न है। इस प्रक्रिया के तीन मुख्य स्तंभ हैं: राजनीतिक परामर्श, आत्मविश्वास बढ़ाना, क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग। 

इंट्रा-अफगान वार्ता (IAN):

  • यह वार्ता अफगान सरकार और तालिबान विद्रोहियों के बीच लगभग दो दशकों के संघर्ष को (इसमें देश के सार्वभौमिक नुकसान के साथ हज़ारों योद्धाओं और नागरिकों की मृत्यु हुई) समाप्त करने के लक्ष्य को संदर्भित करती है।
  • अफगान वार्ता के भागीदार अफगानिस्तान के भविष्य के न्यायसंगत राजनीतिक रोडमैप पर समझौते सहित एक स्थायी और व्यापक युद्ध विराम की दिशा एवं तौर तरीकों पर चर्चा करेंगे।
  • वार्ता में अनेक मुद्दों (जैसे-महिलाओं के अधिकार, वाक स्वतंत्रता और देश के संविधान में बदलाव) को शामिल किया जाएगा।
  • वार्ता में वर्ष 2001 में तालिबान के सत्ता से बेदखल होने के बाद से तालिबान के हज़ारों योद्धाओं के साथ-साथ भारी हथियारों से संपन्न अफगानिस्तान की सैन्य शक्ति के भाग्य का भी पता चलेगा।

क्षेत्रीय-कनेक्टिविटी पहल:

  • सम्मेलन के दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने हवाई माल ढुलाई गलियारा (एयर कार्गो कॉरिडोर) और चाबहार बंदरगाह परियोजना के साथ-साथ
  • तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन सहित कई क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पहलों की सराहना की।

भारत का रुख:

  • भारत ऐसी समग्र वार्ता और सामंजस्य प्रक्रिया का समर्थन करता है जो अफगान नेतृत्व, स्वामित्व और नियंत्रित हो, उसे अफगानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना होगा और अफगानिस्तान में एक लोकतांत्रिक इस्लामी गणराज्य की स्थापना में हुई प्रगति को संरक्षित करना होगा।
  • अल्पसंख्यकों, महिलाओं और समाज के कमज़ोर वर्गों के हितों का संरक्षण किया जाना चाहिये और देश तथा उसके पड़ोस में हिंसा के मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जाना चाहिये।

तापी पाइपलाइन

  • TAPI पाइपलाइन 1,814 किमी. की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है जो तुर्कमेनिस्तान से शुरू होकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए भारत तक पहुँचती है। इसे पीस पाइपलाइन‘ परियोजना भी कहा जाता है
  • इसका उद्देश्य तुर्कमेनिस्तान के गैस आपूर्ति एवं भंडार का मुद्रीकरण करना तथा पड़ोसी देशों में प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करना है।
  • इस परियोजना को TAPI पाइपलाइन कंपनी (TPCL) द्वारा विकसित किया जा रहा है, जो  चार अलग-अलग राज्यों के स्वामित्व वाली गैस कंपनियों [ तुर्कमेन्गज (तुर्कमेनिस्तान), अफगान गैस (अफगानिस्तान), अंतर-राज्यीय गैस सेवा (पाकिस्तान) और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया तथा इंडियन ऑयल (भारत)] का एक संघ है।
  • पाइपलाइन के विकास के लिये चार देशों ने दिसंबर 2010 में अंतर-सरकारी समझौते (IGA) और गैस पाइपलाइन फ्रेमवर्क समझौते (GPFA) पर हस्ताक्षर किये

Trans-Afghanistan-Pipeline

स्रोत: द हिंदू

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