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भारतीय अर्थव्यवस्था

ग्लोबल फाइंडेक्स डेटाबेस 2021

  • 07 Jul 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वित्तीय समावेशन, डिजिटल बैंकिंग, औपचारिक बैंकिंग।

मेन्स के लिये:

ग्लोबल फाइंडेक्स डेटाबेस 2021, विश्व बैंक।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक ने 'द ग्लोबल फाइंडेक्स रिपोर्ट 2021' जारी की है।

  • ग्लोबल फाइंडेक्स ने कोविड-19 के दौरान 123 अर्थव्यवस्थाओं में 125,000 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण किया ताकि इस बात को बेहतर ढंग से समझा जा सके कि लोग औपचारिक और अनौपचारिक वित्तीय सेवाओं एवं डिजिटल भुगतान का उपयोग कैसे करते हैं।

निष्कर्ष:

  • खाता स्वामित्व:
    • विश्व भर में खातों के स्वामित्व में 50% की वृद्धि हुई है इसके साथ ही 76 प्रतिशत वयस्क आबादी के पास खातों की उपलब्धता है।
      • दर्जनों विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में व्यापक रूप से खाता स्वामित्व में वृद्धि हुई है और अधिकांश नए खाते भारत एवं चीन में खोले गए हैं।
  • औपचारिक बैंकिंग की पहुँच:
    • औपचारिक बैंकिंग के बिना वैश्विक आबादी का बड़ा हिस्सा (क्रमशः 130 मिलियन और 230 मिलियन) भारत और चीन में रहता है।
    • महिलाओं को अक्सर औपचारिक बैंकिंग सेवाओं से बाहर रखा जाता है क्योंकि उनके पास पहचान के आधिकारिक दस्तावेज़ों की कमी होती है, उनके पास मोबाइल फोन या अन्य प्रकार की तकनीक नहीं होती है और उनकी वित्तीय क्षमता कम होती है।
      • विकासशील देशों में 74% खाते पुरुषों के थे, जबकि 68% खातों के साथ महिलाएँ छह अंक पीछे हैं।
  • बैंक रहित (Unbanking):
    • विश्व स्तर पर 24% वयस्क बैंक रहित हैं, जिसमें विभिन्न कारणों में से एक, पैसे की कमी है, साथ ही 31% बैंक रहित वयस्कों के लिये दूरी एक बाधा है।
      • जिन लोगों का किसी वित्तीय संस्थान या मोबाइल मनी सेवा प्रदाता में खाता नहीं है, उन्हें बैंक रहित के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • विश्व स्तर पर 64% बैंक रहित वयस्क प्राथमिक स्तर या उससे कम शिक्षित हैं।
    • विश्व भर में 36% बैंक रहित वयस्कों का कहना है कि वित्तीय सेवाएंँ बहुत महंँगी हैं।
  • कोविड-19 और डिजिटल भुगतान:
    • कोविड-19 महामारी ने डिजिटल भुगतान के उपयोग में वृद्धि को उत्प्रेरित किया।
    • वर्ष 2021 में विकासशील देशों में 18% वयस्कों ने उपयोगिता बिलों का भुगतान सीधे खाते से किया। इनमें से लगभग एक-तिहाई बिलों का पहली बार ऑनलाइन भुगतान किया गया।
  • मोबाइल मनी:
    • मोबाइल मनी उप-सहारा अफ्रीका में विशेष रूप से महिलाओं के लिये वित्तीय समावेशन में सहयोग कर रहा है।
    • 11 अर्थव्यवस्थाएँ ऐसी हैं जहाँ वयस्कों के पास वित्तीय संस्थान खाते की तुलना में केवल मोबाइल मनी खाता ही है और ये सभी उप-सहारा अफ्रीका में स्थित हैं।
  • वित्तीय प्रदाताओं की वित्तीय पहुंँच के विस्तार में योगदान:
    • सरकारी, निजी नियोक्ताओं और वित्तीय प्रदाताओं ने बाधाओं को कम करके और बुनियादी ढांँचे में सुधार करके बैंक रहित लोगों के बीच वित्तीय पहुंँच एवं उपयोग का विस्तार करने में मदद की।
    • कोविड-19 महामारी के बाद से वित्तीय समावेश अल्पकालिक राहत और स्थायी पुनर्प्राप्ति दोनों प्रयासों के लिये आधारशिला बन गया है।
  • वित्तीय चिंताएंँ:
    • वित्त के संदर्भ में, विकासशील देशों के वयस्कों को उच्च आय वाले देशों के वयस्कों की तुलना में अधिक चिंतित होने की संभावना है । 
    • उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में चिकित्सा खर्चों के संबंध में सबसे अधिक चिंता देखी गई, जहांँ 64% वयस्क अधिक चिंतित हैं तथा पूर्वी एशिया एवं प्रशांत में सबसे कम 38% वयस्क अधिक चिंतित पे गए।

सिफारिशें:

  • महामारी से बाहर निकलने के लिये जैसे-जैसे सरकारें डिजिटल बैंकिंग सेवाओं की गति को तीव्र और पहुंँच का विस्तार करना चाहती हैं, नीतियों को महिलाओं, गरीबों और सीमित शैक्षिक योग्यता या वित्तीय साक्षरता वाले लोगों सहित सबसे कमजोर वर्गों के लिये सुरक्षा में कारक होना चाहिये।
  • वित्तीय समावेशन पर समान प्रगति सुनिश्चित करने के लिये गतिशीलता में लैंगिक अंतर को दूर किया जाना चाहिये।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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