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मोबाइल फ़ोन द्वारा गरीबों तक बैंकिंग सेवाओं का विस्तार

  • 24 Apr 2018
  • 7 min read

संदर्भ 
विश्व बैंक के अनुसार-मोबाइल फोन द्वारा गरीबों को व्यापक रूप से बैंकिंग सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया के सभी कोनों में मोबाइल फोन का प्रसार गरीब और ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है।
  • विश्व बैंक के अर्थशास्त्री लियोरा क्लैपर ने कहा कि महिलाओं की बैंक खाते तक पहुँच विशेष रूप से उन्हें बचत करने और शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च करने में मदद करता है।
  • आज अधिकतर लोग मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं, सरकार उन्हें डिजिटल भुगतान करने के लिये प्रेरित कर डिजिटल अर्थव्यवस्था का बढ़ावा दे सकती है।
  • क्लैपर ने अनुसार, औपचारिक वित्तीय सेवाओं का विकास वैश्विक गरीबी उन्मूलन और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • उन्होंने कहा कि अधिकतर वयस्कों के पास बैंक खाते की सुविधा है, लेकिन इसमें क्षेत्रीय स्तर पर असमानताएँ भी विद्यमान हैं, इसके साथ ही महिलाओं और पुरुषों के बीच भी बैंक खातों की संख्या में काफी अंतर है ।
  • ग्लोबल फाइंडेक्स डेटाबेस के नवीनतम अपडेट में विश्व बैंक ने पाया कि 2011 से 1.2 बिलियन और 2014 से 515 मिलियन वयस्कों को बैंक खाते खुल चुके हैं, जिससे पिछले साल कुल खातों में वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत हो गया।
  • बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं ने विकास की प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाने में सहायता की है, लेकिन फिर भी कुछ देशों में महिलाओं और गरीबों को पीछे छोड़ दिया गया है।
  • आँकड़ों से पता चलता है कि दुनिया भर में 72 प्रतिशत पुरुषों और 65 प्रतिशत महिलाओं के पास बैंक खाता है, जबकि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में यह लैंगिक अंतर 9 प्रतिशत अंक पर अपरिवर्तित बना हुआ है।
  • नीदरलैंड की रानी मैक्सिमा के अनुसार, लोगों की वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में काफी प्रगति हुई है। नीति निर्माताओं और निजी क्षेत्र के लिये इसका उपयोग बढ़ाने और महिलाओं, किसानों तथा गरीबों को शामिल करते हुए इसका विस्तार करने के लिये बहुत अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन की स्थिति हासिल करने के लिये ‘डिजिटल वित्तीय सेवाएँ’ अनिवार्य हैं। 
  • 144 देशों में 150,000 वयस्कों के साक्षात्कारों को संकलित कर बड़े पैमाने पर डेटाबेस तैयार किया गया। इसके माध्यम से पहली बार व्यक्तियों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग एवं पहुँच के बारे में जानकारी एकत्रित की गई, जिसमें यह दर्शाया गया है कि 1.1 बिलियन बैंकिंग सुविधाओं से असंबद्ध व्यक्तियों के पास मोबाइल फोन है और यदि सरकारें मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा दें तो मोबाइल खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ाया जा सकता है।
  • क्लैपर के अनुसार, डिजिटल भुगतान सुरक्षित हैं। यदि श्रमिकों को किया जाने वाला भुगतान नकदी में न होकर डिजिटल रूप में होगा तो वे भ्रष्टाचार या अन्य शुल्कों से बच सकेंगे और इससे धन के रिसाव को भी रोका जा सकेगा। उन्होंने एक ऐसी महिला का उदाहरण दिया जिसने शिकायत की कि उसकी सास ने नकद में भुगतान किये जाने पर उसकी मज़दूरी को ज़ब्त कर लिया।
  • क्लैपर के अनुसार, एक बार सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान तकनीक को अपनाने के बाद एक ऐसा डिजिटल ‘पारिस्थितिकी तंत्र’ का निर्माण हो जाएगा जिससे निजी क्षेत्र भी मज़दूरी का भुगतान करने और भुगतान एकत्र करने, वित्तीय व्यवहारों को अधिक सुरक्षित बनाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और संभावित कर संग्रह में सुधार कर इसका लाभ प्राप्त कर सकेगा।
  • हालाँकि, इसके लिये एक अच्छी तरह से विकसित भुगतान प्रणाली, उपयुक्त विनियमन और "ज़ोरदार उपभोक्ता सुरक्षा" की आवश्यकता है।
  • इस प्रकार की सुविधाओं से व्यक्ति किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिये बचत कर सकता है और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा किसी एक छोटे से व्यवसाय में निवेश करने के लिये इस धन का उपयोग कर सकता है। 
  • चूँकि कम आय वाले देशों में वयस्कों का एक बड़ा हिस्सा ऐसे किसान हैं जिन्हें फसल बीमा जैसी चीज़ों के लिये भुगतान करने की आवश्यकता होती है। इन भुगतानों को डिजिटाइज़ करके बैंकिंग सुविधाओं से रहित व्यक्तियों की संख्या में एक-चौथाई तक की कमी की जा सकती है।
  • पूर्वी अफ्रीका (East Africa) मोबाइल मनी अकाउंट्स (mobile money accounts) में अग्रणी था और इस तकनीक का काफी प्रसार हुआ। इसलिये 2014 के बाद से उप-सहारा अफ्रीका (Sub-Saharan Africa) में इसका इस्तेमाल करने वाले वयस्कों की संख्या में 21 प्रतिशत की वृद्धि होकर यह दोगुनी हो गई।
  • एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भुगतान के लिये बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड को अपनाने के कारण खातों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और इसने खातों के स्वामित्त्व में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच लैंगिक अंतर को छह प्रतिशत अंक तक कम कर दिया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में पेंशन का भुगतान नकदी में किये जाने की बजाय बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड के माध्यम से करने पर धन के रिसाव में 47 प्रतिशत (2.8 प्रतिशत अंक) तक की कमी हुई है।
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