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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

टी फोर्टिफिकेशन

  • 01 May 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फोर्टिफिकेशन, फोलेट और विटामिन B12, एनीमिया, भारत में फोर्टिफिकेशन प्रोग्राम

मेन्स के लिये:

भोजन के फोर्टिफिकेशन से जुड़े मुद्दे और आगे की राह

चर्चा में क्यों?

फोलेट और विटामिन B12 के साथ फोर्टिफाइंग टी/चाय के प्रभाव का आकलन करने हेतु 43 महिलाओं पर महाराष्ट्र में हाल ही में किये गए एक अध्ययन में फोलेट एवं विटामिन B12 के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसने हीमोग्लोबिन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि पर भी प्रकाश डाला।

  • हालाँकि अध्ययन अपने नमूने के आकार के कारण ज़्यादातर गलत साबित हुआ है।

टी फोर्टिफिकेशन प्रभावकारी परिवर्तन/गेम-चेंजर:

  • एनीमिया और NTD से मुकाबला: नए अध्ययन के अनुसार, फोलेट और विटामिन B12 के साथ फोर्टिफाइंग चाय भारतीय महिलाओं में एनीमिया और NTD का मुकाबला करने में मदद कर सकती है क्योंकि चाय भारत में पिया जाने वाला सबसे आम पेय पदार्थ है।
    • अधिकांश भारतीय महिलाओं द्वारा खराब आहार फोलेट और विटामिन B12 का सेवन किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी विटामिन की स्थिति लगातार कम होती है, जो एनीमिया को बढ़ाता है, यही कारण है कि भारत में फोलेट-उत्तरदायी न्यूरल-ट्यूब दोष (Neural-Tube Defects- NTD) की उच्च घटनाएँ होती हैं।
      • शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन हेतु विटामिन B12 और फोलेट दोनों महत्त्वपूर्ण हैं।
      • शरीर में फोलेट के उचित अवशोषण और उपयोग हेतु विटामिन B12 आवश्यक है क्योंकि फोलेट की कमी से गंभीर जन्म दोष (NTDs) हो सकते हैं।

नोट: न्यूरल ट्यूब की समस्या तब होती है जब भ्रूण के विकास के दौरान न्यूरल ट्यूब पूरी तरह से बंद नहीं होती है। न्यूरल ट्यूब अंततः मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और आसपास के ऊतकों का निर्माण करती है।

  • टी फोर्टिफिकेशन संबंधी मुद्दे:
    • सीमित खेती: चाय बड़े पैमाने पर केवल 4 राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में उगाई एवं संसाधित की जाती है।
    • अवसरंचना की कमी: कई चाय उगाने वाले क्षेत्रों में फोर्टीफाइड चाय के प्रसंस्करण और पैकेजिंग के लिये पर्याप्त बुनियादी ढाँचे कमी है।
      • इसमें चाय के सम्मिश्रण और पैकेजिंग के साथ-साथ परिवहन और भंडारण के बुनियादी ढाँचे की सुविधाएँ शामिल हैं।
    • आहार संबंधी बाधाएँ: लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है, जहाँ अनाज अधिक बार उगाया एवं साफ किया जाता है तथा स्थानीय स्तर पर खरीदा जाता है। सांस्कृतिक, धार्मिक एवं जातीय मतभेदों व विश्वासों के अनुसार आहार प्रकृति काफी भिन्न होती है।

फूड फोर्टिफिकेशन:

  • परिचय:
    • चावल, दूध और नमक जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों में आयरन, आयोडीन, जिंक, विटामिन A और D जैसे प्रमुख विटामिन तथा खनिजों को शामिल करना फोर्टिफिकेशन है, ताकि उनकी पोषण सामग्री में सुधार हो सके। प्रसंस्करण से पहले ये पोषक तत्त्व भोजन में मूल रूप से मौजूद हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  • भारत में फूड फोर्टिफिकेशन की स्थिति:
    • चावल: खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) "चावल के फोर्टिफिकेशन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से इसके वितरण पर केंद्र प्रायोजित पायलट योजना" चला रहा है।
      • योजना को तीन साल के पायलट अवधि के लिये वर्ष 2019-20 में शुरू किया गया था।
      • यह योजना वर्ष 2023 तक चलेगी और लाभार्थियों को 1 रुपए किलो की दर से चावल की आपूर्ति की जाएगी।
    • गेहूँ: गेहूँ के फोर्टिफिकेशन पर निर्णय की घोषणा वर्ष 2018 में की गई थी और बच्चों, किशोरों, गर्भवती माताओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण में सुधार के लिये भारत के प्रमुख पोषण अभियान के तहत 12 राज्यों में इसे लागू किया जा रहा है।
    • खाद्य तेल: वर्ष 2018 में FSSAI द्वारा देश भर में खाद्य तेल का फोर्टिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया था।
    • दूध: वर्ष 2017 में भारतीय राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने कंपनियों को विटामिन D मिलाने के लिये प्रोत्साहित करके दूध के फोर्टिफिकेशन की शुरुआत की।
  • महत्त्व:
    • व्यापक जनसंख्या स्वास्थ्य सुधार: चूँकि व्यापक रूप से उपभोग किये जाने वाले प्रमुख खाद्य पदार्थों में पोषक तत्त्वों का योग किया जाता है, यह आबादी के एक बड़े हिस्से के स्वास्थ्य में एक साथ सुधार लाने का एक उत्कृष्ट तरीका है।
    • सुरक्षित तरीका: फोर्टिफिकेशन लोगों के बीच पोषण में सुधार का एक सुरक्षित तरीका है।
      • यदि मिलाई गई मात्रा को निर्धारित मानकों के अनुसार अच्छी तरह से विनियमित किया जाता है तो पोषक तत्त्वों की अधिक मात्रा की संभावना नहीं होती है।
    • खाने की आदतों पर कोई प्रभाव नहीं: इसे खाने की आदतों और लोगों के पैटर्न में किसी भी बदलाव की आवश्यकता नहीं होती है और यह लोगों को पोषक तत्त्व प्रदान करने का एक सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य तरीका है।
      • यह भोजन की विशेषताओं- स्वाद, स्पर्श, रूप में भी परिवर्तन नहीं करता है।
    • लागत प्रभावी: यह विधि लागत प्रभावी है, विशेष रूप से यदि मौजूदा प्रौद्योगिकी और वितरण प्लेटफॉर्म का समुचित लाभ उठाया जाता है।
      • कोपेनहेगन सहमति (Copenhagen Consensus) का अनुमान है कि फूड फोर्टिफिकेशन पर व्यय किया गया प्रत्येक 1 रुपया अर्थव्यवस्था के लिये 9 रुपए का लाभ उत्पन्न करता है।
  • चुनौतियाँ:
    • भारत में केवल कुछ खाद्य पदार्थों (गेहूँ, चावल, नमक) के लिये खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिकेशन किया जाता है, कई अन्य खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाइड नहीं किया जाता है, जिससे पोषक तत्त्वों का सेवन अपर्याप्त हो जाता है।
    • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को मिलाने की प्रक्रिया प्राकृतिक खाद्य पदार्थों जैसे- फाइटोकेमिकल्स और पॉलीअनसैचुरेटेड वसा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
    • गर्भवती महिलाओं द्वारा अधिक आयरन का सेवन करने से भ्रूण के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और जन्म के समय बच्चों में पुरानी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ सकता है।
    • फोर्टीफिकेशन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये एक गारंटीकृत बाज़ार प्रदान कर सकता है, जो पूरे भारत में छोटे व्यवसायों की आजीविका को संभावित रूप से नुकसान पहुँचा सकता है।
    • जोड़े गए विटामिन और खनिजों की अस्थिरता के कारण दूध एवं तेल जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के फोर्टिफिकेशन में तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

टी फोर्टिफिकेशन से संबंधित चुनौतियों से निपटने हेतु आवश्यक कदम:

  • सरकार का हस्तक्षेप: चाय के पोषण में वृद्धि करने के लिये नीतियों और विनियमों को लागू करके सरकार टी फोर्टिफिकेशन को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
    • उदाहरण के लिये सरकार चाय निर्माताओं हेतु आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की मात्रा में वृद्धि करना अनिवार्य कर सकती है।
  • उद्योग की भागीदारी को बढ़ावा देना: चाय निर्माता अनुसंधान एवं शोध में निवेश करके और बाज़ार में फोर्टिफाइड चाय उत्पादों को पेश करके चाय के फोर्टिफिकेशन को बढ़ावा देने का कार्य कर सकते हैं।
    • वे फोर्टिफाइड चाय के लाभों को बढ़ावा देने के लिये सरकार और गैर-लाभकारी संगठनों के साथ भी सहयोग कर सकते हैं।
  • उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना: उपभोक्ताओं को फोर्टिफाइड चाय के लाभों के बारे में शिक्षित करने से इसकी खपत को बढ़ावा देने में काफी मदद मिल सकती है।
    • यह विभिन्न माध्यमों जैसे विज्ञापन अभियान, सोशल मीडिया और स्कूलों एवं कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किया जा सकता है।
  • रसद में सुधार: बड़े पैमाने पर चाय के फोर्टिफिकेशन को लागू करने के लिये एक मज़बूत रसद प्रणाली का होना आवश्यक है।
    • इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि पोषण तत्त्वों के किसी भी नुकसान के बिना फोर्टिफाइड चाय लक्षित आबादी तक समय पर और कुशल तरीके से पहुँचे।

स्रोत: द हिंदू

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